कश्मीर में आम लोग भी अब आतंकवादियों की खबर दे रहे हैं : ले. जन. डीपी पांडेय

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ले. जन. डीपी पांडेय
चिनार कोर के कमांडर ले. जन. डीपी पांडेय

भारतीय सेना की 15 कोर (चिनार कोर) के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे और हालात को सामान्य बनाने की दिशा में बढ़ने की हमारी रणनीति एकदम स्पष्ट है और इसका असर भी दिखाई देने लगा है. जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में बादामी बाग़ छावनी स्थित कोर मुख्यालय में रक्षक न्यूज़ के साथ संक्षिप्त बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कश्मीर में आतंकवाद और सुरक्षा बलों से जुड़े कुछ पहलुओं पर चर्चा की. सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पाण्डेय ने चार महीने पहले ही भारतीय सेना, उत्तरी कमांड की उस 15 वीं कोर की कमान सम्भाली है जिसके अधीन क्षेत्र में सबसे ज्यादा आतंकवाद संबंधी गतिविधियां होती रही हैं.

चिनार कोर के कमान अधिकारी डीपी पाण्डेय ने साफ साफ़ कहा कि “व्हाइट कॉलर “(सफेद पोश) आतंकवादियों को टारगेट करना हमारी पहली प्राथमिकता है जिस पर सेना और सुरक्षा बल काम कर रहे हैं. सफेदपोश आतंकवादियों से उनका आशय था जो लोग पर्दे के पीछे रहकर आतंकवादियों की धन आदि से मदद कर रहे हैं, समर्थन करते हैं या उनके लिए प्लानिंग करते हैं. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों और अलगाववादियों की मदद करने वाले अब एक्सपोज़ हो चुके हैं और यहाँ के लोगों के सामने उनकी असलियत आ चुकी है.

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और घुसपैठ से निपटने में अच्छा ख़ासा अनुभव रखने वाले 57 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय यहाँ के हालात में आये बदलाव के बारे में खुल कर बात करते हैं. उनका कहना है कि बदलाव साफ़ साफ़ दिखाई देने लगा है. उन्होंने कहा कि अब पथराव की घटनाएँ बंद हो गई हैं. सिर्फ सुरक्षा बलों का ही मनोबल नहीं बढ़ा बल्कि स्थानीय प्रशासन में भी सकारात्मक परिवर्तन महसूस किया जा रहा है. लेफ्टिनेंट जनरल पांडेय का कहना है कि अब लोग आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ ज्यादा मुखर होने लगे हैं. इतना ही नहीं अब हालात ऐसे हैं कि हमें आम लोग भी आतंकवादियों और उनके ठिकानों के बारे में सूचनाएं उपलब्ध करवा रहे हैं.

ले. जन. डीपी पांडेय
ले. जन. डीपी पांडेय और रक्षक न्यूज़ के संपादक संजय वोहरा.

लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय का दावा है कि सेना को आधुनिक हथियारों और साजो सामान की सप्लाई मिलने से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में तो मदद मिली ही है. उन्होंने कहा कि इस कारण भी पहले के मुकाबले अब आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को होने वाले जानी नुकसान की तादाद में कमी आई है. इन बदले हालात को लेफ्टिनेंट जनरल पांडेय सेना व सुरक्षा बलों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला मानते हैं.

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल पांडेय :

दिसम्बर 1985 में लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पाण्डेय ने भारतीय सेना की सिख लाइट इन्फेंटरी की 9 वीं बटालियन में कमीशन हासिल किया था. वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं. भारत के पश्चिमी हिस्से के राजस्थान और पंजाब के सरहदी इलाकों में काम के अनुभव के अलावा उन्होंने करगिल में ऑपरेशन विजय में भी हिस्सा लिया था. अत्यधिक ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में युद्ध करने का प्रशिक्षण प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल पाण्डेय सियाचिन ग्लेशियर में भी तैनात रह चुके हैं. वे देश विदेश में अलग अलग ओहदों पर भी तैनात रहे हैं. मद्रास यूनिवर्सिटी (चेन्नई) से डिफेन्स स्टडीज में स्नातकोत्तर और इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से सुरक्षा प्रबन्धन पर एम फिल कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पाण्डेय अमेरिका के वाशिंगटन स्थित नेशनल डिफेन्स यूनिवर्सिटी और वेलिंग्टन स्थित डिफेन्स सेविसेज़ स्टाफ कॉलेज के भी छात्र रहे हैं.

15 कोर यानि चिनार कोर :

भारतीय थल सेना की उत्तरी कमांड की इस कोर का क्षेत्र कश्मीर घाटी है. बेहद खुबसूरत और प्राक्रतिक संसाधन से भरपूर कश्मीर घाटी तकरीबन 30 साल से आतंकवादियों की गतिविधियों का गढ़ बनी रही है. इस क्षेत्र में चिनार के पेड़ों के बहुतायत में होने से सेना की इस 15वीं कोर को चिनार कोर भी कहा जाता है जिसका प्रतीक चिन्ह चिनार का पत्ता है. भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान गठित चिनार कोर 1916 में वजूद में आई. ये प्रथम विश्व युद्ध के दौरान की बात है और इसने मिस्र और फ्रांस में जंग लड़ी लेकिन 1918 में इस कोर को विखंडित कर दिया गया. ऐसा ही 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के वक्त हुआ जब इसे बर्मा में ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया. भारत के बंटवारे से पहले 1947 में सेना की 15 कोर को करांची में विखंडित किया गया लेकिन आज़ाद भारत में इसे फिर से गठित किया गया. 1948 में ये जम्मू और कश्मीर फ़ोर्स बनी लेकिन 1955 में वर्तमान स्वरुप में आने से पहले इसमें बदलाव होते रहे. 1972 में जब जम्मू कश्मीर के लिए सेना ने उत्तरी कमांड बनाई तब 15 कोर का मुख्यालय राजधानी श्रीनगर बनाया गया. कश्मीर के साथ लदाख भी इसका कार्यक्षेत्र बना. 1999 में ऑपरेशन विजय के बाद इसके नियंत्रण में कश्मीर घाटी का क्षेत्र ही है.

चिनार कोर ने पाकिस्तान के साथ हुए सभी युद्धों और संघर्षों में अहम भूमिका निभाई है. जनरल बिक्रम सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन और जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन इसके लोकप्रिय कमांडरों में से रहे हैं.