ऐसा युद्ध ना पहले हुआ और ना ही शायद कभी होगा

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भारत-पाकिस्तान युद्ध
ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष सरेंडर पेपर पर दस्तखत करते पाकिस्तान के ले. जनरल नियाज़ी.

ये ऐसे युद्ध की यादगार का दिन है जो इससे पहले दुनिया में न तो पहले देखा सुना गया और न ही ऐसा कभी देखा जा सकेगा जब सिर्फ 13 दिन में एक देश की सेना ने दूसरे देश की सेना को जबरदस्त तरीके से धूल चटा दी बल्कि उस देश के दो टुकड़े भी करवाने में सबसे बड़ा रोल अदा किया. ये था दिसम्बर 1971 में हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध जिसका ‘समापन’ हुआ आज ही की तारीख यानि 16 दिसम्बर को.

भारत-पाकिस्तान युद्ध
सरेंडर करते पाकिस्तानी अधिकारी.

49 बरस पहले यानि 3 दिसम्बर 1971 को भारत और पाकिस्तान के बीच इस युद्ध की शुरुआत हुई थी. युद्ध में क्या हुआ और इसके बाद क्या हुआ उसके बारे में ज़िक्र करने से पहले इसके पीछे की कहानी जानना भी ज़रूरी है.

भारत-पाकिस्तान युद्ध
सरेंडर करने के बाद पाकिस्तानी जवान.

दरअसल पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली राष्ट्रवादी लम्बे अरसे से आत्मनिर्णय की मांग कर रहे थे. पाकिस्तान में 1970 के आम चुनावों के बाद ये संघर्ष बढ़ गया और बड़ा आन्दोलन खड़ा हो गया. 25 मार्च, 1971 को पश्चिमी पाकिस्तान ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया. इसके तहत पूर्वी पाकिस्तान में इस तरह की मांग करने वालों को निशाना बनाया जाने लगा. पूर्वी पाकिस्तान में विरोध भड़का और वहां लोगों ने हथियार उठा लिए. इतना ही नहीं बांग्लादेश मुक्ति बाहिनी नाम का सशस्त्र बल बनाकर ये लोग पाकिस्तान की सेना से मोर्चा लेने लगे.

भारत-पाकिस्तान युद्ध
Instrument Of Surrender.

इसी सिलसिले में भारत ने बांग्लादेशी राष्ट्रवादियों को कूटनीतिक, आर्थिक सहयोग और सैन्य मदद दी. नाराज पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हवाई हमला कर दिया. पाकिस्ता‍न ने ऑपरेशन चंगेज खान के नाम से भारत के 11 हवाई ठिकानों पर हमले किये. इसके नतीजतन 3 दिसंबर, 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हो गई. उधर भारत ने पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर मोर्चा खोल दिया और पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश मुक्ति बाहिनी का साथ दिया. हालत ये हो गई कि पाकिस्तान की सेना को महज़ 13 दिन में बिना शर्त सरेंडर करना पड़ गया.

भारत-पाकिस्तान युद्ध
भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद नव निर्मित बांग्लादेश के नए राष्ट्रपति शेख मुज़ीबुर्रहमान के साथ भारतीय सेना अधिकारी.

आज ही के दिन पूर्वी मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना के लेफ़्टीनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने अपनी हार स्वी‍कार की थी. उन्होंने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सरेंडर किया. तब भारतीय सेना की अगुआई लेफ़्टीनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा कर रहे थे. तभी से आज के दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

भारत-पाकिस्तान युद्ध
विजय दिवस के मौके पर स्वर्णिम विजय दिवस का लोगो जारी करते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह.

भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के इस युद्ध ने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य को ही बदल दिया. एक नया देश दुनिया के नक़्शे पर सामने आया जो सातवीं सबसे बड़ी आबादी वाला मुल्क था-बांग्लादेश. यही नहीं फ़ौरन यानि 1972 में संयुक्त राष्ट्र के ज़्यादातर सदस्य देशों ने बांग्लादेश को राष्ट्र के तौर पर मान्यता दे दी.