भारत में बनाया गया नौसेना का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएसी विक्रांत 2 सितंबर 2022 को कमीशन किया जाएगा. इस विशाल पोत का निर्माण 2005 में शुरू हुआ था और इसे भारत के आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदमों के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है. इस नजरिए से आईएसी विक्रांत का जलावतरण वाला दिन न सिर्फ नौसेना के इतिहास में बल्कि राष्ट्र के लिए भी एक विशेष मौका होगा . इस मौके पर होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि की हैसियत से मौजूद रहेंगे.

आईएसी विक्रांत का निर्माण भारत में पोत बनाने वाले उद्योग के लिए भी बेहद अहम है. इस पोत के निर्माण की शुरुआत अप्रैल 2005 में ‘ स्टील कटिंग ‘ ( steel cutting ) की रस्म के साथ हुई थी. स्वदेशी करण के अभियान को बढ़ावा देने के मकसद से युद्धपोत आईएसी विक्रांत के निर्माण के लिए इस्पात का इंतजाम स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ( SAIL ) ने रक्षा अनुसन्धान विकास प्रयोगशाला (defence research and development Laboratory – DRDL) और भारतीय नौसेना ( indian navy ) के सहयोग से किया. फरवरी 2009 में युद्धपोत की ‘कील ‘ स्थापित की गई. आईएसी विक्रांत के निर्माण का पहला चरण कामयाबी से पूरा करके अगस्त 2013 में पोत को लांच कर दिया गया था.
विक्रांत की लम्बाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है. पूरी तरह लोड किये जाने पर ये पोत 43000 टन का वजन ले जा सकता है. ये 28 नॉट्स (knots) यानि तकरीबन 51 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 7500 नॉटिकल मील यानि 13890 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है. विमान वाहक इस पोत के चालक दल के करीब 1600 सदस्यों के लिए तैयार किये गए इसके डिजाइन में 2200 कम्पार्टमेंट बनाए गए हैं. इनमें महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए विशेष रूप से निर्मित केबिन शामिल हैं.

उच्च श्रेणी की मशीनें , शिप नेवीगेशन , मज़बूत और टिकाऊपन इसकी खासियत है. अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस विक्रांत में ऑपरेशन थियेटर , फिजियोथैरेपी क्लिनिक , आईसीयू , लेबोरेटरी , सीटी स्कैनर , एक्स रे मशीन , डेंटल कॉम्प्लेक्स , आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसन जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं.
रक्षा मन्त्राल की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ आईएसी विक्रांत मिग -29 के , केमोव -31 , एम एच -60 आर बहुउद्देशीय हेलिकॉप्टर से युक्त 30 एयरक्राफ्ट वाली वायु सेना के विंग का संचालन करने की क्षमता रखता है.