हनी ट्रैप : ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह के खिलाफ जासूसी के केस में चार्जशीट दायर

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भारतीय वायुसेना के अधिकारी अरुण मारवाह
फरवरी में गिरफ्तार किये गये भारतीय वायुसेना के अधिकारी अरुण मारवाह (फोटो-फेसबुक से)

नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने राजधानी की एक अदालत में दायर की गई चार्जशीट में बताया है कि किस तरीके से सोशल मीडिया के जरिये भारतीय सुरक्षा तंत्र को भेदने के मकसद से लोगों को फंसाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी से प्रोफाइल बनाकर सुरक्षा कर्मियों से राब्ता कायम किया जाता है. इसके बाद उन्हें जाल में फंसाकर (हनी ट्रैप) उनसे अहम जानकारियां हासिल की जाती हैं. ऐसी कई बारीक जानकारियाँ, फरवरी में गिरफ्तार किये गये भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के अधिकारी अरुण मारवाह के केस की चार्जशीट में दी गई हैं.

54 वर्षीय ग्रुप कैप्टन मारवाह को आफिशियल सीक्रेट एक्ट (OSA) के तहत जब गिरफ्तार किया गया था तब वो नई दिल्ली में वायुसेना के मुख्यालय में संयुक्त निदेशक के ओहदे पर तैनात थे. पुलिस ने मारवाह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़ा था.

आरोप है कि उन्होंने सेना के क्लासीफाइड दस्तावेज़ में दर्ज सूचनाएं किरन रंधावा और महिमा पटेल नाम की उन दो महिलाओं को दीं जो 6 महीने पहले ही फेसबुक के जरिये उनसे सम्पर्क में आईं. असल में ये दोनों फर्जी अकाउंट थे और पुलिस को शक है कि ISI ने ये खाते बनाये. चार्जशीट में पुलिस ने मैरीन कमांडो फ़ोर्स (MARCOS ) और GARUD कमांडो फ़ोर्स की ट्रेनिंग से जुड़े कुछ दस्तावेज़ की कापियां भी नत्थी की हैं. आरोपपत्र में कहा गया है कि मारवाह से ऐसे दस्तावेजों की जानकारी लेने के लिए उन्हें “हनी ट्रैप” किया गया.

पुलिस का कहना है कि मनाही के बावजूद मारवाह वायुसेना मुख्यालय में स्मार्ट फोन लेकर जाते थे. इलज़ाम है कि फोन से दस्तावेज़ की फोटो खींचने के बाद वो व्हाट्स ऐप पर भेज देते थे. पुलिस ने ऐसे दो व्हाट्स ऐप नम्बरों का जिक्र चार्जशीट में किया है. इन व्हाट्स ऐप पर हुई बातचीत का ब्योरा भी चार्जशीट में लगाया गया है.