गलवान घाटी झड़प में वीरगति को प्राप्त हुये कर्नल संतोष बाबू की मूर्ति का अनावरण

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कर्नल बी संतोष बाबू
कर्नल बी संतोष बाबू की कांस्य प्रतिमा का अनावरण.

भारत चीन की लदाख सीमा पर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद भारतीय सेना के कर्नल बी संतोष बाबू की गृह राज्य तेलंगाना में कांसे की मूर्ति लगाई गई है. राजधानी हैदराबाद से तकरीबन 140 किलोमीटर दूर सूर्यपेट में इस मूर्ति का अनावरण गलवान घाटी की दुर्भाग्यपूर्ण झड़प के एक साल पूरा होने पर किया गया. कर्नल बाबू सूर्य पेट के मूल निवासी थे. कर्नल बी संतोष बाबू की मूर्ति का अनावरण राज्य के मंत्री के टी रामाराव ने मंगलवार को किया.

कर्नल बी संतोष बाबू
कर्नल बी संतोष बाबू की कांस्य प्रतिमा का अनावरण.

13 फरवरी 1983 को सूर्यपेट में जन्मे कर्नल बी संतोष बाबू ने 16 साल थल सेना की सेवा की. उनका निधन 15 जून 2020 को चीनी सैनिकों से झड़प के दौरान हुआ था. 14 -15 जून 2020 की रात हुई इस झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत 20 सैनिकों की जान गई थी. कर्नल बी संतोष बाबू को भारत सरकार ने महावीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया था.

कर्नल बिक्कुमल्ला संतोष बाबू भारतीय सेना के, 1967 के बाद, पहले कमीशन प्राप्त अधिकारी थे जिनकी चीन पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ सीमा पर किसी कार्रवाई में जान गई. कर्नल संतोष बाबू के परिवार में पत्नी मंजुला, 10 साल की बेटी अभिग्ना और 5 साल का बेटा अनिरुद्ध हैं. वैसे ये परिवार दिल्ली में रहता था.

कर्नल बी संतोष बाबू
कर्नल बी संतोष बाबू

स्कूल के समय से ही मेधावी छात्र रहे संतोष बाबू ने प्राइमरी के बाद की शिक्षा (12 वीं तक) विजयनगरम ज़िले के कोरुकोंडा स्थित सैनिक स्कूल से पूरी की थी.

कर्नल संतोष बाबू राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 105 वें कोर्स के छात्र थे और इसके बाद 2004 में वह इंडियन मिलिटरी अकादमी में गये. वह वहां नवंबर स्क्वाड्रन में थे. 10 दिसम्बर 2004 में उन्होंने 16 बिहार में कमीशन हासिल किया. वह 105 कामयाब कैडेट्स में से थे. पासिंग आउट के बाद ही उन्हें कश्मीर में तैनात किया गया था. फरवरी 2020 में ही वह लेफ्टिनेंट कर्नल से कर्नल बने थे.

कर्नल बी संतोष बाबू
कर्नल बी संतोष बाबू को श्रद्धांजलि.

संयुक्त राष्ट्र की शान्ति सेना के तौर पर भी उन्होंने कांगो में सेवा दी थी. बताया जाता है कि वहां के स्थानीय निवासियों से उनका अच्छा तालमेल हो गया था और कर्नल बाबू उनके प्रति बहुत उदार थे और मदद करते थे. वहां उन्होंने खतरनाक हालात में भी बेहतरीन काम किया.