भारतीय सेना की ‘अमर, अकबर, एंथनी’ की तिकड़ी के अकबर को अलविदा

780
इदरीस हसन लतीफ़
एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़ जवानी के दिनों की इस तस्वीर में अपनी पत्नी बेगम बिलकीस के साथ.

1977 में विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर अभिनीत सुपरहिट फिल्म ‘अमर, अकबर, एंथनी’ की फिल्मी तिकड़ी के बारे में तो नई और पुरानी पीढी भी वाकिफ है लेकिन उस दौर में ही भारतीय सेना में भी ऐसी ही एक तिकड़ी बनी थी जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. आज वो तिकड़ी फिर चर्चा में है लेकिन तब जब तिकड़ी के अकबर को आखिरी सलाम कहने का वक्त आया. वो अकबर कोई और नहीं एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़ थे जिन्होंने 94 वर्ष की उम्र में कल हैदराबाद के अस्पताल में आखिरी सांस ली.

भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सितम्बर 1978 से अगस्त 1981 तक भारतीय वायुसेना के प्रमुख रहे एयर चीफ मार्शल लतीफ़ के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है, ‘ उनकी सेवाओं के लिए राष्ट्र हमेशा उनका आभारी रहेगा’. मार्शल लतीफ़ को न्युमोनिया हो गया था और उन्हें 25 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहाँ उन्हें ICU में रखा गया था.

एकमात्र मुस्लिम अफसर जो वायुसेना प्रमुख के ओहदे तक पहुंचे

इदरीस हसन लतीफ़
इदरीस हसन लतीफ़ 1978 में जब एयर चीफ मार्शल बने, परिवार के साथ यह फोटो तभी की है

मार्शल लतीफ़ को रिटायरमेंट के बाद महाराष्ट्र का राज्यपाल भी बनाया गया था. रिटायर्ड सेनाधिकारी हरीश पुरी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्विटर संदेश में उस तिकड़ी का ज़िक्र किया है जब भारतीय सेनाओं के तीन अंगों में से थलसेना के प्रमुख जनरल ओपी मल्होत्रा, नौसेना के प्रमुख एडमिरल रोनी परेरा और लतीफ़ वायुसेना के एयर चीफ मार्शल हुआ करते थे. मार्शल लतीफ़ सेना में प्रचलित हुई उस तिकड़ी के अकबर थे. मार्शल लतीफ़ एकमात्र ऐसे मुस्लिम अफसर थे जो वायुसेना के प्रमुख के ओहदे तक पहुंचे.

‘मैं लेट लतीफ़ कहलाना पसंद नहीं करता’

सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी के अलावा बतौर लेखक भी पहचान रखने वाले हरीश पुरी ने उस दिलचस्प घटना को भी याद किया जब राज्यपाल के तौर पर कार्यक्रम में आये मार्शल लतीफ़ की ठीक समय पहुंचने की आदत के बारे में किसी ने सवाल किया तो लतीफ़ साहब का जवाब था, ‘मैं लेट लतीफ़ कहलाना पसंद नहीं करता’. वक्त के अनुशासन और हाज़िर जवाबी ही नहीं, वो कई और आदतों और विशेषताओं की वजह से चर्चा का हिस्सा बने रहते थे.

इदरीस हसन लतीफ़
इदरीस हसन लतीफ़

1942 में सेना में कमीशन प्राप्त किया

9 जून 1923 को हैदराबाद में जन्मे लतीफ ने 1942 में सेना में कमीशन प्राप्त करने से पहले हैदराबाद के निजाम कालेज से शिक्षा ली थी. तब ब्रिटिश शासन था और वर्तमान भारतीय वायुसेना को रायल इंडियन एयरफोर्स कहा जाता था. अम्बाला में ट्रेनिंग के बाद उनकी तैनाती करांची में हुयी थी. उन्हें एक जांबाज़ वायुसैनिक के तौर पर भी हमेशा याद किया जाता रहेगा. उन्होंने अरब सागर पर वापिती, ओडेकस्स और हार्ट्स से पनडुब्बीरोधक उड़ाने भी भरीं. स्वतंत्रता मिलने से पहले वो उन बेहद कम भारतीय पायलटों में से एक थे जिन्होंने स्पिटफायर और हरीकेन सामायिक युद्धक विमानों पर प्रशिक्षण हासिल किया था. 1944 में इंग्लैंड से लौटने पर उन्होंने बर्मा अभियान में हिस्सा लिया था.

एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़
1946 में द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप की जीत के जश्न के मौके पर ब्रिटेन की महारानी से मिलते युवा फ्लैग आफिसर इदरिस हसन लतीफ. इस तस्वीर में सबसे बाएं आज की महारानी एलिजाबेथ (उस समय वह प्रिंसेस एलिजाबेथ थीं)
  • सम्भवत: वह इकलौते आफिसर हैं जो तीन विभिन्न वायुसेनाओं से सम्बद्ध रहे और जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध समेत अनेक युद्धों में हिस्सा लिया. उन्होंने इंडियन एयरफोर्स से पहले रायल इंडियन एयरफोर्स और रायल एयरफोर्स की सेवा की है. उन्होंने इंडोनेशियाई एयरफोर्स के पायलटों को भी प्रशिक्षित किया था.
इदरीस हसन लतीफ़
इदरीस हसन लतीफ़ अपनी बेगम के साथ हालैंड में

ठुकराया जिन्नाह का दबाव

कहा जाता है कि देश के बंटवारे के समय में श्री लतीफ़ पर खुद पाकिस्तान के कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्नाह की तरफ से दबाव बनाया गया था कि वे पाकिस्ताली वायुसेना में आ जाएँ तब शायद उन्हें भी नहीं पता था कि एक दिन इसी पाकिस्तान को उनके युद्ध कौशल का सामना करना होगा. 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध के समय लतीफ़ असिस्टेंट चीफ आफ एयर स्टाफ थे. जब पूर्वी पाकिस्तान में सरेंडर हुआ तब लतीफ़ पूर्व सेक्टर में शिलोंग में थे.

जगुआर की वो टेस्ट उड़ान

दिलचस्प बात तो ये भी है कि 70 के दशक के अंत में उन्होंने फ्रांस में उस वक्त जगुआर पर टेस्ट उड़ान भरी जब भारत ने जगुआर खरीदने का फैसला तक नहीं लिया था. जगुआर खरीदने का प्रस्ताव तब कई साल से लटका हुआ था. मिग-23 और बाद में मिग-25 को इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल कराने में भी उनकी अहम भूमिका रही. इतेफाक देखिये कि राज्यपाल के बाद वो फ्रांस में भारत के राजदूत भी बने. यहाँ यह भी बताना जरूरी है कि लतीफ साहब की बायोग्राफी उनकी पत्नी बेगम बिलकीस ने लिखी है. इसका नाम है “The Ladder of His Life”.

एयर वारियर स्व. एयर चीफ मार्शल इदरिस हसन लतीफ को अंतिम सलाम : मंगलवार की सुबह हैदराबाद के बहुदुरपुरा क्षेत्र में स्थित कब्रिस्तान में पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.

एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़
पूरे सैनिक सम्मान के साथ एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़ को अंतिम विदाई
एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़
एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़ को सलामी
एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़
अंतिम संस्कार के वक्त भाव विभोर करने वाला दृश्य
एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़
एयर चीफ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़ को अंतिम विदाई