धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की ज़मीन पर आतंकवादी घुसपैठियों और देशद्रोहियों से निपटने में अपनी शहादतें तक देने में भी न हिचकने वाले वो भारतीय सैनिक भी अब यहाँ, न दिखाई देने वाले दुश्मन से भी जंग कर रहे हैं जो फ़ौज में अपनी सेवा पूरी कर चुके हैं लेकिन आज की ज़रुरत के हिसाब से देशवासियों की सेवा में फिर से जुट गये हैं. और इस बार उनकी जंग कोरोना वायरस नाम के उस दुश्मन से है जो पूरी दुनिया के लिए खतरनाक आदमखोर बना हुआ है. दो चार या दर्जन दो दर्जन नहीं यहाँ इतने पूर्व सैनिकों ने महामारी कोविड 19 से अपनों को बचाने की कवायद शुरू कर दी है. फौजी हिसाब से उनकी नफरी इतनी है कि एक बटालियन से भी बड़ी यूनिट खड़ी की जा सके.
ये पूर्व सैनिक कोविड 19 महामारी से लड़ने के लिए कश्मीर प्रशासन से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. श्रीनगर ज़िला सैनिक वेलफेयर के प्रभारी राशिद वार बताते है कि विभिन्न सेनाओं से सेवानिवृत्त हुए कुल 1453 पूर्व सैनिक कोविड 19 संकट से लोगों को बचाने के लिए कमर कास के तैयार हैं. इनमें से 250 पूर्व सैनिक अस्पतालों और अन्य ऐसी जगहों पर जुट चुके है जहां बीमारों का इलाज या बचाव कार्य किया जा रहा है. इनमें ऐसे कई वो पूर्व सैनिक भी हैं जो सेना में अपनी सेवा के दौरान मेडिकल या स्वास्थ्य सेवा से जुड़े रहे.
दिलचस्प बात ये है कि इन पूर्व सैनिकों को इस काम को करने में गर्व और ख़ुशी महसूस हो रही है जो हवलदार बशीर अहमद वाणी के चेहरे और बातों से तब झलक रही थी जो वो कोविड 19 की सेफ्टी किट लेने के लिए आये थे. कश्मीरी मूल के बशीर अहमद वाणी आर्मी मेडिकल कोर में हवलदार थे और 2017 में रिटायर हुए लेकिन उन्हें ख़ुशी इस बात की है कि अपनों की खिदमत करने का और मौका मिला है. सेवानिवृत्त हवलदार बशीर अहमद का कहना है कि उन्हें जब पता चला कि कोविड 19 संक्रमण के हालात से निपटने के लिए उनकी ज़रुरत है तो वे खुद यहाँ के प्रभारी के पास आये और अपनी सेवा दी.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और कश्मीर डिवीज़न के कमिश्नर पांडुरंग के. पोले ने बताया कि हरेक ज़िले में 10 -10 पूर्व सैनिकों की टीमें प्रशासनिक अमले को महामारी के हालात में निपटने में मदद कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इन 250 में से 27 पूर्व सैनिक वो हैं जो सेना स्वास्थ्य सेवा की यूनिटों में काम करने के अनुभवी हैं.
पूरे जोश खरोश से कश्मीर में कोविड 19 संकट से जूझ रहे प्रशासनिक अमले की सहायता में मुस्तैदी से लगे इन चिनार वालंटियर कोविड 19 योद्धाओं का स्लोगन है re – attiring & not retiring (री अटायरिंग नॉट रिटायरिंग) यानि सेवानिवृत्त नहीं हुए उन्होंने बस वेशभूषा बदली है.
जब सेना के एक मेजर को कुदरत 20 साल बाद शहीद साथी के गाँव ले आई