छावनी क्षेत्र की सड़कें बंद या खोलने का फैसला फ़ौजी अफसर करेंगे, मानक प्रोटोकॉल तैयार

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छावनी क्षेत्र
छावनी क्षेत्र की फाइल फोटो

छावनी क्षेत्र की सड़कें आम ट्रैफिक के लिए खोले जाने को लेकर उठे विरोध के स्वरों और इससे उपजे विवाद के बाद सरकार बैकफुट पर आई है. अब सरकार ने इन इलाकों की सड़कें बंद या खुली रखने का फैसला सैन्य अधिकारियों पर छोड़ा है और साथ ही इन सड़कों को बंद या खुला रखने के विषय पर मानक प्रोटोकाल भी तैयार किया गया है.

आधिकारिक सूचना के मुताबिक़ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, सांसदों तथा 62 छावनी बोर्डों के उपाध्यक्षों की 4 मई, 2018 को हुई बैठक में छावनी क्षेत्रों में सड़कें बंद किए जाने के अहम विषय पर चर्चा हुई थी. उस बैठक से मिले सुझावों के आधार पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने छावनी क्षेत्रों में सड़कें बंद किए जाने के मुद्दे पर कई दौर की चर्चाएं कीं. रक्षा मंत्री और मंत्रालय के अधिकारियों, सेना प्रमुख, सैन्य मुख्यालय के अधिकारियों और रक्षा संपदा संगठनों के साथ मामले की विस्तृत समीक्षा के बाद दो अहम फैसले लिए गए.

पहला ये कि यदि स्थानीय सैन्य अधिकारी किसी वजह से जरूरी समझेंगे तो सड़कों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. यह काम छावनी अधिनियम 2006 की व्यवस्थाओं और रक्षा मंत्रालय से 28 मई को जारी किए गए आदेशों के आधार पर होगा.

दूसरा, रक्षा मंत्रालय ने सैन्य मुख्यालयों के साथ मिलकर छावनी क्षेत्रों में सड़कें बंद किए जाने के बारे में एक मानक प्रोटोकॉल तैयार किया है. इसे तैयार करते समय सेना की नई रक्षा जरूरतों को पूरी तरह से ध्यान में रखा गया है.

उल्लेखनीय है कि रक्षा सम्पदा महानिदेशालय (DGDE) ने सभी 62 छावनी क्षेत्रों की सड़कों के सूची बनाई थी जिस पर रक्षा मंत्री ने बताया था कि इन 850 सड़कों में से 119 को बंद करते वक्त तय नियमों का पालन नहीं किया गया और उनमें से 80 सड़कें खोलने का आदेश दिया गया था.

इसके बाद से पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों ने इस मुद्दे पर विरोधस्वरूप मुखर होना शुरू कर दिया था. आलोचना होने लगी थी कि राजनीतिक लाभ और स्थानीय लोगों में लोकप्रियता हासिल करने की नीयत से, आम नागरिकों के लिए सड़कें खोलने के ये फैसले छावनी क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकता है.