भारतीय वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी संजय चौहान की जगुआर के गुजरात के कच्छ के मुंदरा इलाके में दुर्घटनाग्रस्त होने से जान चली गई. वायु सेना मेडल से सम्मानित और विभिन्न विमानों की उड़ान में माहिर 50 वर्षीय एयर कोमोडोर संजय चौहान इसी जगुआर के पायलट थे.
एयर कोमोडोर चौहान गुजरात के जामनगर वायु सेना स्टेशन के एयर आफिसर कमांडिंग थे और उन्होंने सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर बेस से जैसे ही रूटीन उड़ान भरी, बस तुरंत ही जगुआर क्रेश हो गया. पता चला है कि उन्होंने जगुआर की ही 2 हजार घंटे की उड़ान का तजुर्बा ले रखा था. वह लखनऊ के रहने वाले थे.
अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम ओहदों पर रहे एयर कोमोडोर संजय चौहान टेस्ट पायलट स्कूल के कमान अधिकारी भी रहे. उन्होंने एक स्क्वाड्रन भी कमांड की थी. जगुआर के अलावा वो मिग 21, हंटर, एचपीटी -32, इस्कारा, किरन, ऐवरो-748, ए एन -32 और बोइंग 737 जैसे विमान उड़ाने का अनुभव प्राप्त कर चुके थे. कुल मिलाकर कोमोडोर चौहान 17 तरह के विमान उड़ा चुके थे. कोमोडोर चौहान को राफेल, ग्रिपेन और यूरो फाइटर जैसे मध्यम श्रेणी के बहु उद्देशीय विदेशी लड़ाकू उड़ाने का भी अनूठा अनुभव था.
हादसे के कारणों का पता लगाने और जांच के लिए कोर्ट आफ इन्क्वायरी के आदेश दिए गये हैं. हालांकि वरिष्ठता के हिसाब से एक निश्चित सीमा के बाद अधिकारियों के उड़ान भरने का सिलसिला कम हो जाता है लेकिन सक्रियता के मकसद से वे भी कभी कभी उड़ान भरते हैं.
लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा ने जांच के आदेश जारी किये हैं. उन्होंने इस मामले में कहा, विमान सुबह साढे दस बजे के आसपास उड़ा था. वह रूटीन उड़ान पर था. हालांकि पायलट संजय की मौत की पुष्टि से पहले उसके लापता होने की खबरें आई थीं.
- जगुआर के बारे में
भारतीय वायुसेना (Indian AirForce) में जगुआर विशिष्ट कैटेगरी का जंगी विमान है. यह विमान दुश्मन की सीमा में भीतर तक घुसकर हमला करने में यह सिद्धहस्त माना जाता है. वायुसेना इस जहाज के जरिये दुश्मन के एयरबेस, कैम्पों और जंगी जहाजों पर हमला बोल सकती है और चंद पलों के भीतर सब कुछ तबाह करने की क्षमता रखती है.
दुश्मन के इलाके में बेहद भीतर तक घुसकर मार करने की क्षमता रखने वाले 121 जगुआर भारतीय वायु सेना के बेड़े में है लेकिन पुराने पड़ चुके इन विमानों की जगह दूसरे विमान लाये जाने का प्रस्ताव लम्बे समय से अटका हुआ है.
- हाल की कुछ घटनाएं
पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में वायुसेना का चीता हेलीकाप्टर हेलीपैड पर हादसे का शिकार हुआ था. फाइटर चोपर में दो यात्री और दो क्रू मेम्बर थे लेकिन गनीमत रही कि सभी चारों लोग सुरक्षित थे.
मार्च की 10 तारीख को रायगढ के मुरुड में तटरक्षक का चेतक हेलिकाप्टर क्रैश हुआ था. इस घटना में सह पायलट सहायक कमांडेंट कैप्टन पेनी चौधरी गम्भीर रूप से घायल हो गये थे, 17 दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई थी.