पाकिस्तान की जेल में कैद पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव का क्या होगा ?

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पाकिस्तान में कैद कुलभूषण जाधव
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना (indian navy) के पूर्व अधिकारी 55 वर्षीय कुलभूषण सुधीर जाधव के भविष्य को लेकर एक बार फिर से सुगबुगाहट होने लगी है . इसकी वजह है बना है हाल ही में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में जाधव के उस केस का ज़िक्र होना जिसमें मौत की सज़ा सुनाई गई थी और यह मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचा . पाकिस्तान में  कुलभूषण जाधव पर जासूसी करने, पाकिस्तान विरोधी तत्वों की मदद करने और  आतंकवाद फैलाने का इलज़ाम लगाते हुए वहां की सैन्य अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी .

भारत ने इस केस में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जादव के पक्ष में पैरवी करते हुए दलील दी थी कि कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने पारदर्शिता नहीं दिखाई और वियना समझौते के तहत बने उस  नियम का उल्लंघन किया जिसमें  ‘ काउंसलर एक्सेस ‘ देने का प्रावधान है . न्यायालय ने पाकिस्तान को आदेश दिया  था कि वह जाधव की सज़ा पर अमल रोकते हुए उन्हें काउंसलर एक्सेस मुहैया कराए और सज़ा प्रक्रिया की समीक्षा करे .

अब पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य केस की सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय के वकील ने खुलासा किया कि कुलभूषण जाधव को अपनी सज़ा के खिलाफ अपील करने का अधिकार नहीं है .

पाकिस्तान के प्रतिष्ठित समाचार पत्र  डॉन ( dawn )  में छपी खबर  के अनुसार,  रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि  कुलभूषण जाधव को 2019 के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (international court of justice ) के फैसले के आलोक में अपील करने का अधिकार नहीं दिया गया है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने उस मामले में केवल काउंसलर एक्सेस के मुद्दे को संबोधित किया था. यह लोग सत्ताच्युत किए गए इमरान खान के वो समर्थक थे जिन्हें हिंसा करने और सैन्य संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के केस में गिरफ्तार किया गया था. उन पर सेना की अदालत में केस चला था.

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट की सात जजों वाली  संवैधानिक पीठ के सामने  कुलभूषण जाधव  के मामले का ज़िक्र पहले की दलीलों के जवाब में  किया गया था. दलील में दावा किया गया था कि कुलभूषण जाधव  को अपील करने का अधिकार प्रदान किया गया था, लेकिन वही सुविधा उन पाकिस्तानी नागरिकों को नहीं दी जा रही थी, जिन्हें 9 मई, 2023 की हिंसा में शामिल होने के लिए सैन्य अदालतों द्वारा दोषी ठहराया गया था.

काउंसलर एक्सेस से तात्पर्य किसी विदेशी नागरिक के उस अधिकार से है, जिसे किसी दूसरे देश में गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है और वह अपने देश के वाणिज्य दूतावास या दूतावास से संपर्क कर सकता है और सहायता प्राप्त कर सकता है.

ख्वाजा ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा और पुनर्विचार) अधिनियम 2021 लागू किया, जिसमें कहा गया कि कानून में वियना कन्वेंशन के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए विदेशी नागरिकों से संबंधित सैन्य अदालत के आदेशों की समीक्षा और पुनर्विचार की अनुमति दी गई है.

कौन है कुलभूषण जाधव  :
महाराष्ट्र के सांगली में 1970 में पैदा कुलभूषण जाधव का पूरा नाम कुलभूषण सुधीर जाधव है. सुधीर उनके पिता का नाम है जो महाराष्ट्र पुलिस में काम करते थे. कुलभूषण ने 1987 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ( national defence academy) में प्रवेश लिया और 1991 में एक अधिकारी के तौर पर भारतीय नौ सेना का हिस्सा बने. लेकिन उन्होंने समय से पहले ही तब सेवानिवृत्ति ले ली थी जब वह कमांडर के पद पर थे. इसके बाद कुलभूषण  ईरान चले गए और स्क्रैप का व्यापार करने लगे . उनके परिवार में माता -पिता , पत्नी और दो बच्चे हैं .

गिरफ्तारी या अपहरण :
पाकिस्तान का कहना है कि कुलभूषण जाधव भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानि रॉ ( research and analysis wing – RAW) के एजेंट का काम करते हैं और उनको मार्च 2016 में  तब गिरफ्तार किया गया जब वह ईरान से बलूचिस्तान सीमा के रास्ते पाकिस्तान में घुस रहे थे. उनके पास से जो पासपोर्ट बरामद हुआ उस पर उनका नाम हुसैन मुबारक पटेल है जोकि रॉ के एजेंट के तौर पर उनका कोड नाम है. वहीं भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा किया गया था.

जाधव पर इलज़ाम :
पाकिस्तान का इलज़ाम है कि कुलभूषण जाधव 2013 से  रॉ के उस ऑपरेशन के तहत काम कर रहे थे जिसका मकसद  , बलूचिस्तान और कराची में  अलगाववादी आंदोलन को मजबूत करके पाकिस्तान को अस्थिर करना है . पाकिस्तान ने जाधव का रिकॉर्ड किया हुआ एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें जाधव को अपने जुर्म कबूल करते दिखाया गया . भारत ने इसे फर्जी तरीके से और दबाव डालकर बनाया गया वीडियो कहा था. पाकिस्तान में 2017 में, फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल  ने कुलभूषण को  मौत की सजा सुनाई थी, जिसकी पुष्टि तत्कालीन सेना प्रमुख ने की थी.
कुलभूषण जाधव के परिवार के साथ तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज .
भारत ने इस मामले की जब पैरवी की तब सुषमा स्वराज विदेश मंत्री थीं . उन्होंने व्यक्तिगत रूप से केस में रूचि ली और जाधव परिवार से मुलाकात करके सरकार की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा दिया था . इन क्षणों की तस्वीर भी उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट की थी .