सियासत में फंसी अफसरशाही, पत्नी को हटाया तो डीजीपी ने छुट्टी ली

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विनी महाजन, दिनकर गुप्ता, इकबाल प्रीत सिंह सहोता

चुनावी साल नजदीक आने के साथ ही अचानक बदले राजनीतिक माहौल के बीच पंजाब में रातों रात सब कुछ बदलने की तैयारी चल रही है. इसका सीधा सीधा असर जहां राज्य का शासन चलाने वाले शीर्ष पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर पड़ा है वहीं इसने अधिकारियों की गुटबाज़ी की भी पोल खोल कर रख दी. साथ ही यहाँ अफसरशाही में ताबड़तोड़ तबादलों से धड़ेबंदी में इज़ाफा होता जा रहा है. ताज़ा घटना क्रम में मुख्य सचिव के पद से विनी महाजन को हटाए जाने के बाद उनके पति और पंजाब के पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता छुट्टी पर चले गए क्योंकि चरनजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में बनी सूबे की नई सरकार ने वक्त से पहले ही नए पुलिस चीफ की तलाश शुरू कर दी थी. उनके स्थान पर फिलहाल काम देखने के लिए आईपीएस इकबाल प्रीत सिंह सहोता को आदेश कर दिए गए हैं. अभी दो दिन पहले ही पंजाब में पुलिस कमिश्नर स्तर पर तबादले किये गये थे.

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पांच दिन पहले की तस्वीर जब पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने मुख्यमंत्री बने चरनजीत चन्नी को शुभकामनाएं दी थीं.

आईपीएस सहोता पुलिस प्रमुख :

भारतीय पुलिस सेवा के 1988 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब पुलिस के कार्यकारी प्रमुख के तौर पर काम करने सम्बन्धी आदेश शनिवार को जारी किये गये हैं. पंजाब सरकार के गृह और न्याय विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग वर्मा की तरफ से जारी इस आदेश पत्र में कहा गया है कि जलंधर स्थित सशस्त्र बटालियन के विशेष महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता , दिनकर गुप्ता के अवकाश पर होने के कारण , महानिदेशक का अतिरिक्त रूप से कार्यभार संभालेंगे. उन्हें तुरंत प्रभाव से ये कार्यभार संभालने को कहा गया है.

सरदार इकबाल प्रीत सिंह सहोता का नाम उन अधिकारियों की फेहरिस्त में भी शामिल करने पर चर्चा हुई थी जो केंद्र सरकार को महानिदेशक के पद किसी अधिकारी का नाम तय करने से पहले पैनल के तौर पर भेजी जाती है. पंजाब कैडर के 1987 बैच के आईपीएस दिनकर गुप्ता फरवरी 2019 में पंजाब पुलिस के महानिदेशक बनाये गए जिसे लेकर शुरू से ही विवाद रहा जो भारत की शीर्ष अदालत तक भी पहुंचा. बहरहाल , दिनकर गुप्ता डीजीपी बने रहे.

पत्नी चीफ सेक्रेटरी और पति डीजीपी :

आईपीएस दिनकर गुप्ता के डीजीपी बनने के तकरीबन सवा साल बाद ही जून 2020 में उनके ही बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी और उनकी पत्नी आईएएस विनी महाजन को पंजाब का मुख्य सचिव बना दिया गया था. आईएएस अधिकारी विनी महाजन पंजाब के मुख सचिव के ओहदे पर नियुक्त की गई पहली महिला अधिकारी हैं. पंजाब के शासन में शीर्ष पर तैनात ये दम्पति चन्नी से पहले मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीब माना जाता है. पंजाब में इस तरह अफसरशाही के शीर्ष पर पहुंचा ये पहला जोड़ा था.

नया मुख्य सचिव नियुक्त :

ताज़ा हालात में दो दिन पहले ही विनी महाजन को मुख्य सचिव पद से हटाकर उनकी जगह 1990 बैच के आईएएस अधिकारीअनिरुद्ध तिवारी को पंजाब का मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया गया था. इसके साथ कुछ और अफसरों के तबादले भी किये.

पत्नी को हटाया , डीजीपी ने छुट्टी ली :

विनी महाजन को हटाने के निर्णय के साथ ही उनके आईपीएस पति दिनकर गुप्ता का भी विकल्प खोजने की प्रक्रिया चालू हो गई थी. राज्य के गृह विभाग का भी ज़िम्मा सम्भाल रहे चरनजीत चन्नी और उनके मंत्री इस मुद्दे पर सहमत नहीं हो पा रहे थे. क्योंकि पंजाब में सरकार कांग्रेस की है और यहाँ सत्ता परिवर्तन या यूं कहें कि अचानक तख्ता पलट में कांग्रेस नेतृत्व का अहम रोल था इसलिए राज्य के पुलिस चीफ जैसे महत्वपूर्ण ओहदे पर अधिकारी के नाम पर निर्णय में पार्टी नेतृत्व ने भी दखल दिया. आईपीएस सहोता के अलावा पंजाब पुलिस के प्रमुख के लिए उन्हीं के बैचमेट वी के भवरा भी दौड़ में हैं और साथ ही उनसे एक बैच वरिष्ठ 1987 बैच के आईपीएस एस चट्टोपाध्याय का नाम भी है. शुक्रवार तक भी जब अधिकारी का पैनल बनाने और भेजने की प्रक्रिया लटकी रही तो तय हुआ कि फिलहाल सहोता को कार्यकारी महानिदेशक बना कर काम सौंपा जाए . वजह ये थी कि पत्नी को मुख सचिव पद से हटाए जाने के बाद दिनकर गुप्ता ने एक महीने की छुट्टी पर जाने का आवेदन भेज दिया था जिसे मंजूर करने का फैसला मुख्यमंत्री चन्नी को लेना था.

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वी के भवरा और एस चट्टोपाध्याय.

पुलिस कमिश्नर बदले :

इससे पहले 22 सितम्बर को 1997 बैच के आईपीएस नौनिहाल सिंह को लुधियाना के पुलिस कमिश्नर के ओहदे से हटाकर पड़ोसी जिले जलंधर का कमिश्नर तैनात कर दिया गया. जबकि जलंधर से हटाए गए सुखचैन सिंह गिल को अमृतसर का पुलिस कमिश्नर बनाया गया. वहीं राज्य पुलिस सेवा के 2004 बैच के अधिकारी गुरप्रीत सिंह भुल्लर को लुधियाना का पुलिस कमिश्नर बनाया गया. वे लुधियाना रेंज में उप महानिरीक्षक ( डी आई जी ) थे.

धड़ों में बंटे अधिकारी :

पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद नये मंत्रीमंडल का गठन और मंत्रालयों के बंटवारे के बीच अफसरशाही में जिस तरह की उठापटक दिखाई दे रही है वह इस स्तर की पहले कभी नहीं थी . आमतौर पर पंजाब में कभी शिरोमणि अकाली दल तो कभी कांग्रेस की सरकार बनती है इसलिए यहां के अफसर बादल या अमरिंदर खेमे के ठप्पे वाले ज़रूर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश या बिहार जैसे उत्तर भारत के अन्य राज्यों की तरह हालत कभी नहीं थी जहां अलग अलग पार्टियों की सत्ता रही या ज्यादा सियासी दलों के नेता सक्रीय रहते हैं.

पंजाब में अब जो अधिकारियों की खेमेबंदी बड़ी वो फिलहाल तो कांग्रेस में ही हुए दो हिस्सों के कारण दिखाई दे रही है. कैप्टन खेमे के लॉयल अधिकारियों वाला ठपा लगे ज़ाहिर सी बात है अहम स्थानों पर नही रहेंगे. सियासी पूर्वाग्रह के अलावा इसकी एक वजह आने वाले चुनाव का दबाव नई सरकार पर पड़ने वाला दबाव भी है. चुनाव में चंद ही महीने बचे है. देश के बाकी हिस्सों पहले से ही खस्ताहाल कांग्रेस पार्टी अगर इस बार पंजाब को भी विधानसभा चुनाव में खो देती है तो हालत बदतर हो जाएगी. पार्टी स्तर पर पंजाब में टुकड़े टुकड़े हो गई कांग्रेस की इज्ज़त यहां बचा पाने जो भी रोल अदा करेगी तो वो नई सरकार की छवि और उसका काम. ऐसे में हरेक मंत्री और विधायक काम के हिसाब से अपने पसंदीदा अधिकारी को तैनात करना चाहेगा. दूसरी तरफ केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के प्रभाव वाला भी अफसरों का एक छोटा सा धड़ा है. इसमें भी बदलाव हुआ है क्यूंकि अब तक भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार का केंद्र में घटक रहा अकाली दल किसानों के मुद्दे और आन्दोलन के बाद भाजपा से नाता तोड़ चूका है.

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पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल

वहीं पंजाब के नये मुख्यमंत्री चरनजीत चन्नी की नियुक्ति में दलित राजनीति का पेंच घुसने से बने अलग तरह के माहौल में अफसरों की धड़े बंदी , तबादले और तैनाती में इस एंगल को भी शामिल कर लिया गया है. वहीं आगामी चुनाव में अकाली दल और दलितों की पार्टी माने जाने वाली बहुजन समाज पार्टी यहाँ मिलजुल कर मैदान में जाने की तैयारी में हैं. ऐसे में हर तेज तर्रार अधिकारी के लिए भी अपनी पसंद की जगह पर जाने का ये अच्छा मौका है जिसको वे भुनाने की कोशिश कर रहा है.