चिनार कोर के नये कमांडर की श्रीनगर में राज्यपाल से पहली मुलाक़ात

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चिनार कोर
भारतीय सेना की चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे ने जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाक़ात की.

भारतीय सेना की चिनार कोर के तौर पर पहचाने जाने वाली 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे ने जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से राजधानी श्रीनगर स्थित राज भवन में मुलाक़ात की. चिनार कोर की कमान सम्भालने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल पांडे की उप राज्यपाल से पहली मुलाक़ात थी. इस दौरान उन्होंने श्री सिन्हा को पाकिस्तान सीमा की नियंत्रण रेखा और कश्मीर में सेना की आतंकवादरोधक कार्रवाईयों के नवीनतम हालात से अवगत कराया.

लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे ने 17 मार्च को लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू से चिनार कोर की कमान सम्भाली थी. लेफ्टिनेंट जनरल राजू को मिलिटरी ऑपरेशंस का महानिदेशक बनाया गया है. चिनार कोर की कमान उन्होंने साल भर पहले वैश्विक महामारी कोविड 19 की चुनौती के बीच सम्भाली थी जो आतंकवाद के साथ एक बेहद नाज़ुक दौर था.

चिनार कोर का रोचक इतिहास :

लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पाडे पहले भी कश्मीर में तैनात रह चुके और वह आतंकवाद और घुसपैठ रोधक ऑपरेशंस करने वाली ‘किलो फ़ोर्स’ के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) रह चुके हैं. चिनार कोर की कमान सम्भालने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल पांडे प्रांतीय सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के महानिदेशक थे.

राजधानी श्रीनगर स्थित मुख्यालय वाली चिनार कोर भारतीय सेना की बेहद अहम कोर है. कश्मीर घाटी में सेना की तमाम कार्रवाइयों की ज़िम्मेदारी इस ऐतिहासिक 15 कोर पर है. इस कोर ने पाकिस्तान से हुए अब तक के सभी युद्धों में हिस्सा लिया है.

आज़ादी से पहले ब्रिटिश इंडियन आर्मी का हिस्सा रही इस 15 कोर का गठन 1916 में प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लेने के लिए हुआ था. 1918 में विगठित किये जाने के बाद इस कोर को 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा ऑपरेशन के लिए फिर से गठित किया गया लेकिन 1947 में भारत के बंटवारे के समय सेना की इस 15 कोर को कराची में फिर से विगठित कर दिया गया. भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1948 भारतीय सेना के हिस्से के तौर पर इसे जम्मू कश्मीर फ़ोर्स मुख्यालय का नाम देकर बनाया गया. 1955 में तब तक ये अलग अलग नाम से जानी जाती रही जब तक ऊधमपुर में फिर से अंतिम नाम नहीं मिला.