पंजाब पुलिस के दो जुनूनी सिपाही जो कमीशंड अधिकारी के तौर पर सेना में जाएंगे

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लव प्रीत सिंह और अनमोल शर्मा
परिवार वालों के सपने और अपने जुनून के खातिर  पंजाब  पुलिस के यह दो सिपाही भारतीय सेना में अधिकारी बनने की अपनी तैयारी के लिए चंद पलों  तक मौका नहीं छोड़ते  थे. कइयों के लिए प्रेरणास्रोत बने यह सिपाही  कई घंटे की ड्यूटी के बाद कपूरथला के एक मंदिर में साक्षात्कार की तैयारी से लेकर शारीरिक प्रशिक्षण (पीटी) ब्रेक के दौरान भी अपने  नोट्स  रिवाइज कर लिया करते थे.  यह हैं 24 साल के अनमोल शर्मा और उन्हीं के हम उम्र साथी लवप्रीत सिंह.
संयुक्त रक्षा सेवा (सीडीएस) परीक्षा में अखिल भारत स्तर पर  99 रैंक  पाने अनमोल शर्मा  पंजाब पुलिस के सहायक उप निरीक्षक (एएसआई)  के पुत्र हैं , जो एक अंतरराष्ट्रीय हॉकी अंपायर भी हैं. जबकि पंजाब पुलिस के दूसरे कांस्टेबल लवप्रीत सिंह ने  सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी -ssb ) साक्षात्कार में कामयाबी  हासिल की है . वह कुपवाड़ा में ,  रक्षा सुरक्षा कोर की 28 गोला बारूद कंपनी में तैनात सूबेदार का पुत्र  है. नवगठित सड़क सुरक्षा बल (एसएसएफ ssf ) के लिए बाद के प्रशिक्षण के लिए कांस्टेबलों में चुने जाने से पहले दोनों को पंजाब पुलिस की 7वीं इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) में तैनात किया गया था.  जहां लवप्रीत 1 फरवरी को औपचारिक लॉन्च के बाद एसएसएफ में शामिल  वहीं अनमोल ने चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए OTA ) में चयन के बाद इसे छोड़ दिया.

पंजाब के पुलिस  महानिदेशक गौरव यादव ने इन दोनों सिपाहियों की कामयाबी पर खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “पंजाब पुलिस और राज्य के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि हमारे युवाओं को सशस्त्र बलों में अधिकारियों के रूप में सेवा करने के लिए चुना गया है. मुझे यकीन है कि वे साहस और वीरता के साथ सेवा करने की हमारी परंपरा को कायम रखेंगे और युवा पीढ़ी को प्रेरित करेंगे.”

लवप्रीत सिंह ने  एनसीसी विशेष प्रविष्टि ( NCC special entry scheme ) के माध्यम से ओटीए में जगह बनाई और श्रेणी के हिसाब से तो अखिल भारतीय स्तर पर 16 वीं रैंक  की. लवप्रीत ने अपने पिता सूबेदार जगविंदर सिंह के एसएसबी साक्षात्कार ( ssb interview ) पास नहीं कर पाने के बाद पीढ़ियों का एक पारिवारिक सपना पूरा किया है. लवप्रीत ने बताया ,   “ मेरे पिता ने 1991 और 1992 में दो बार आर्मी कैडेट कॉलेज परीक्षा पास  की, लेकिन एसएसबी साक्षात्कार उत्तीर्ण नहीं कर सके. वह एक बार एसएसबी इंटरव्यू में शामिल हुए थे लेकिन  दूसरे एसएसबी साक्षात्कार में नहीं जा  सके क्योंकि जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में तैनात होने के दौरान उन्हें चोट लग गई थी. जब उन्होंने दूसरी बार आर्मी कैडेट कॉलेज की परीक्षा उत्तीर्ण की तो वह मेंढर में ऊंचाई वाले स्थान पर तैनात थे.  कंपनी के मेजर हवलदार मेरे पिता से पूछ रहे थे कि उन्होंने एसीसी परीक्षा की तैयारी कैसे की और जब मेरे पिता उन्हें तैयारी के लिए पढ़ी गई किताब दिखा रहे थे, तो पाकिस्तान की दिशा  चलाई गई बंदूक की एक  गोली उनके पैर में लगी “.

लवप्रीत के दादा नत्था सिंह 5 सिख लाइट इन्फैंट्री ( 5 sikh light infantry )  से मानद कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.  लवप्रीत ने कहते हैं , ”यह मेरे दादाजी का सपना था कि परिवार से कोई व्यक्ति सेना में अधिकारी के रूप में भर्ती हो”.   जब उन्होंने अपने चयन की खबर अपने पिता जगविंदर सिंह को फोन पर दी तो वह खुशी के मारे रो पड़े. लवप्रीत ने कहा कि उनके दादा 5 सिख एलआई के कंपनी हवलदार मेजर थे, जिन्होंने 1965 में ओपी हिल पर कब्जा किया था.

भाई-बहनों में सबसे बड़ी लवप्रीत की बहन रजनीश कौर  चंडीगढ़ स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन (आईडीसी) से समाजशास्त्र में  पीएचडी कर रही हैं  और भाई सिमरनजीत सिंह पंजाब पुलिस में सिपाही  हैं.  अमृतसर जिले के जंडियाला गुरु के पास नंगल दयाल सिंह गांव के रहने वाले लवप्रीत तीनों में से सबसे छोटे हैं.

अगस्त 2022 में पंजाब पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर भर्ती होने के बाद अनमोल और लवप्रीत ने एक साथ एसएसबी साक्षात्कार के लिए तैयारी की. उन्होंने कपूरथला में इन-सर्विस ट्रेनिंग सेंटर (आईएसटीसी) में प्रशिक्षण लिया. इसके बाद एसएसएफ के लिए प्रशिक्षण लिया.  कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम के बीच पढ़ाई के लिए समय निकाला जो सुबह 4.00 बजे शुरू होने वाले पीटी सत्र, अभ्यास और कानून कक्षाओं के बीच में भी होता था. यही नहीं  रात 9.30 बजे ‘लाइट्स आउट’ के बाद भी पढ़ने का मौका नहीं छोड़ते. लवप्रीत ने बताया , “चूंकि प्रशिक्षण केंद्र में रात 9:30 बजे रोशनी हो जाती थी, इसलिए हम दोनों पढ़ाई के लिए प्रशिक्षण केंद्र के पास एक मंदिर में जाते थे “.

अनमोल का कहना था , “हमने मंदिर में जोत (लौ) की रोशनी में भी पढ़ाई की है.   हम रात में ट्रेनिंग सेंटर में अपने कमरों में टेबल लैंप का भी इस्तेमाल करते थे ताकि दूसरों को परेशानी न हो.  मैं अपनी जेब में नोट्स लेकर जाता था और पीटी जैसे ब्रेक के दौरान मैं रिवीजन करता था. कांस्टेबल के रूप में सेवा प्रशिक्षण के साथ-साथ एसएसबी साक्षात्कार की तैयारी के दौरान मेरा वजन दस किलोग्राम कम हो गया. जब हम अत्यधिक गर्मी के मौसम में पढ़ते थे, तो प्रशिक्षण केंद्र में हमारे सहकर्मी कहते थे कि हम भट्ठी में पढ़ते हैं”.

अनमोल की एक छोटी बहन अमानत शर्मा है जो चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स कर रही है. अनमोल के  पिता सहायक उपनिरीक्षक ( एएसआई ) रिपुदमन शर्मा, एक अंतरराष्ट्रीय हॉकी अंपायर हैं . उनके (अनमोल के) चाचा  चंद्रशेखर, पेशे से वकील हैं, जिनका सपना था कि वह (अनमोल) सेना में कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल हों”.

कपूरथला के लक्ष्मी नगर के रहने वाले अनमोल ने अपनी स्कूली शिक्षा कपूरथला के  सैनिक स्कूल से और ग्रेजुएशन (बीएससी मेडिकल) जलंधर के डीएवी कॉलेज से किया.  वहीं लवप्रीत ने अपनी 12वीं की पढ़ाई खडूर साहिब में  निशान-ए-सिखी प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट  से की और पंजाब यूनिवर्सिटी (panjab university) चंडीगढ़ से बीएससी (गणित ऑनर्स) में की.