दिल्ली के पहाड़गंज में रहने वाले 52 बरस के बलराज चौधरी और उनकी पत्नी गंगा देवी एकबारगी तो जिंदा रहने की उम्मीद ही छोड़ चुके थे. शायद इसीलिए चार मंजिला मकान में आग में फंसी गंगादेवी ने पति से कहा कि मेरी वजह से आप यहाँ न रुको वरना दोनों ही मारे जायेंगे. वजह ये भी थी कि कुछ ही मिनट पहले इस आग से बचने की कोशिश में मकान से कूदा एक नौजवान जितेन्द्र कुमार बुरी तरह घायल हो गया था. खौफ़ के इस माहौल में चौधरी दम्पति के लिए फरिश्ते बनकर यहाँ जा पहुंचे दिल्ली पुलिस के तीन जवान, जिन्होंने न सिर्फ सूझबूझ और साहस से बलराज और गंगा को सही सलामत बचाया बल्कि आम लोगों के बीच पुलिस की मददगार वाली छवि को मजबूत किया. दिल्ली पुलिस ये तीनों जवान जो अपने और साथियों के लिए प्रेरणा बने हैं उनके नाम है – हवलदार (HC) मनोज मलिक, सिपाही संदीप यादव और अमित यादव.
सैल्यूट इन जवानों को
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बुधवार की तड़के पहाड़गंज की संकरी गलियों वाले इलाके चूनामंडी में आग की चपेट में आये गली नम्बर 1 के इस मकान के करीब पहुंचते ही मनोज मलिक के जेहन में वो नज़ारा भी कौंध गया जब इसी इलाके में करीब साल भर पहले उन्होंने 11 साल की मानसिक रोगी बच्ची को आग की चपेट में आये मकान से सही सलामत निकाला था. बच्ची को उसकी मां कमरे में बंद करके चली गई थी और वहां शार्ट सर्किट से आग लग गई थी. हवलदार मनोज मलिक बताते हैं कि वो ऐसा पहला वाकया था जब उन्हें आग में राहत – बचाव आपरेशन करना पड़ा. शुरू में घबराहट हुई लेकिन दरवाज़ा तोड़कर कमरे में घुसे और बच्ची को बाहर निकल लाये.
सीढ़ी और मानव श्रृंखला के मेल का आइडिया काम आया
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इस बार के हालात काफी अलग थे. इस बार साथी भी थे और आग में फंसे लोगों के हालात दिखाई भी दे रहे थे लेकिन जोखिम भी कम नहीं था. लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी हवलदार अमित मलिक ने फायर ब्रिगेड के आने का इंतज़ार नहीं किया. उन्हें दिखाई दे रहा था कि गंगा देवी छत पर (बालकनी जैसा) ऐसी जगह फंसी हैं जहां आग की लपटें पहुंच चुकी हैं. गंगा देवी नीचे आ नहीं सकती थीं और उस जगह से ऊपर वाले हिस्से में पहुंचने के लिए उनके पास कोई जरिया नहीं था. पहले उन्होंने सोचा कि पड़ोस के होटल से गद्दे लाकर गली में रखते हैं ताकि गंगादेवी उन पर कूद जाएँ लेकिन इसमें 50 वर्षीया गंगा देवी को चोट लगने की आशंका थी क्यूंकि बालकनी ज्यादा ऊँची थी. तब विचार आया कि मकान की सबसे ऊपर वाली मंजिल तक पहुंचा जाये.
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हवलदार मनोज मलिक और सिपाही संदीप यादव बगल के मकान की छत से इस मकान की छत पर पहुंचे लेकिन गंगा देवी को ऊपर लाने के लिए जरिया नहीं था जो पहले से ही बहुत घबराई हुई थीं. इसी बीच सिपाही अमित यादव भी वहां पहुंच गया. पहले तीनों पुलिस कर्मियों ने एक दूसरे को पकड़कर (मानव श्रृंखला) नीचे लटकने का प्लान बनाया, इसी बीच वहां एक सीढ़ी मिल गई लेकिन वो छोटी थी. लेकिन यहाँ सीढ़ी और मानव श्रृंखला के मेल का आइडिया काम आया और गंगादेवी को ऊपर सुरक्षित खींच लिया गया.
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एक युवक ने जान बचाने के लिये दिखाई ऐसी जांबाजी
जिस वक्त आग लगी तब इस मकान में सात लोग थे जिनमें से अलग अलग मंजिलों पर सो रहे थे. वक्त सुबह साढ़े पांच बजे के आसपास का था. चार लोग तो बचके बाहर निकल आये थे लेकिन चौधरी दम्पति और 24 वर्षीय जितेन्द्र ऊपर की मंजिल में होने की वजह से फंस गये थे. आग की वजह से नीचे जा नहीं सकते थे. घबराहट में और जल्दबाजी में जितेन्द्र ने इस मकान से सामने वाले मकान की बालकनी में कूदकर जान बचाने की कोशिश की लेकिन सामने वाली बालकनी तक छलांग न लगा सका और गली में जा गिरा. उसके जिस्म की कई हड्डियां टूट गई हैं.
जिस मकान में आग लगी यहाँ एक्यूप्रेशर थेरेपी करने वाले बलराज चौधरी रहते हैं और एक्यूप्रेशर का सामान बनाने की फैक्टरी भी है जिसके साझीदार सौरभ बुधिराजा हैं. यहाँ काम करने वाले कर्मचारयों की भी रिहायश है. आग सम्भवत: बिजली के शार्ट सर्किट से लगी थी.
They do what they pledge "with you, for you, always" and "शांति, सेवा, न्याय"
Hats off to these @DelhiPolice men for saving life of a woman who was trapped in a building in central Delhi's Paharganj that caught fire today morning @DCPCentralDelhi @IPSMadhurVerma @htTweets pic.twitter.com/oY6M3DIxVA— Karn Singh (@KarnHT) August 22, 2018