सीमा सुरक्षा बल (bordersecurityforce) के महानिदेशक के पद से नितिन अग्रवाल को हटाने के बाद सरकार ने फिलहाल बीएसएफ की कमान सशस्त्र सीमा बल ( sashastra seema bal ) के महानिदेशक को सौंपी है . दलजीत सिंह चौधरी भारतीय पुलिस सेवा के 1990 बैच उत्तर प्रदेश कैडर अधिकारी हैं . एसएसबी के महानिदेशक के साथ साथ वह अतिरिक्त तौर पर बीएसएफ़ के महानिदेशक का काम भी देखेंगे.
एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बीएसएफ के महानिदेशक नितिन अग्रवाल ( ips nitin agrawal ) और उनके मातहत विशेष महानिदेशक (पश्चिम) वाईबी खुरानिया ( y b khurania) को हटा दिया था . यही नहीं उन्हें “तत्काल प्रभाव से” उनके राज्य कैडर में वापस भेज दिया गया . श्री अग्रवाल 1989 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, जबकि श्री खुरानिया ओडिशा कैडर के 1990 बैच के आईपीएस हैं. केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आए आईपीएस नितिन अग्रवाल ने पिछले साल जून में ही बीएसएफ प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला था जबकि श्री खुरानिया, विशेष महानिदेशक (पश्चिम) के पद पर तैनात थे . पाकिस्तान से सटी सीमा उनके ज़िम्मेदारी वाली क्षेत्र में आती है .
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ( cabinet committee of appointment) की तरफ से दोनों अधिकारियों के संबंध में जारी अलग-अलग आदेशों में कहा गया है कि उन्हें “तत्काल प्रभाव से” “समय से पहले” उनके मूल कैडर में वापस भेजा जा रहा है. कहा जा रहा है सरकार के इस फैसले के पीछेरहे कारणों में एक है अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगातार घुसपैठ होना. वहीं बल में आपसी समन्वय की कथित कमी सहित महत्वपूर्ण मामलों को लेकर बीएसएफ प्रमुख ( bsf chief ) के खिलाफ शिकायतें मिली हैं. एनडीटीवी के एक समाचार में बिना नाम का खुलासा किये एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “बल के भीतर कमान और नियंत्रण की कमी और अन्य सहयोगी एजेंसियों के साथ समन्वय की कमी के कारण उन्हें वापस भेजा गया. ” अधिकारी ने कहा, “दो बहुत वरिष्ठ अधिकारियों को समय से पहले वापस भेजना निश्चित रूप से सरकार की ओर से बलों को एक कड़ा संदेश है कि वे अपने काम को एक साथ करें. ”
रिपोर्ट में लिखा है : अधिकारी ने कहा, “पीर पंजाल के दक्षिण में बढ़ी हुई कार्रवाई के मद्देनजर, जिसमें बीएसएफ अंतरराष्ट्रीय सीमा का एक बड़ा हिस्सा रखता है, डीजी और विशेष डीजी बीएसएफ के पास जिम्मेदारी है. ” यह पहली बार है कि आतंकवाद से संबंधित मामलों में प्रमुखों को हटाया गया है. 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से कोई जवाबदेही तय नहीं की गई थी.
उल्लेखनीय है कि लम्बे अरसे से अपेक्षाकृत शांत पड़े पीर पंजाल के दक्षिणी इलाकों में पिछले दो महीनों में, हमले और घात लगाकर हमला करना आम बात हो गई है, हाल ही में एक ऑपरेशन में सेना के दो अधिकारियों की जान गई थी और दो पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए, जिनमें से एक लश्कर-ए-तैयबा का स्नाइपर और विस्फोटक विशेषज्ञ था.
सबसे बड़ा बल :
सीमा सुरक्षा प्रबन्धन करने वाले दुनिया भर के बलों में बीएसएफ़ सबसे बड़ा बल है. वर्तमान में इसके कार्मिकों की संख्या 2 लाख 65 हज़ार से ऊपर है. पाकिस्तान और बंगलादेश से सटे बॉर्डर की निगरानी बीएसएफ़ के जिम्मे है . सीमान्त राज्यों पंजाब , राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बॉर्डर को कवर के अलावा अन्य कई जिम्मेदारियां भी इस बल के जिम्मे आती हैं . इसलिए इसका प्रमुख बनना किसी भी अधिकारी के लिए न सिर्फ करियर में उपलब्धि हासिल करने जैसा है बल्कि यह उसके लिए गर्व की बात भी है.
कौन हैं आईपीएस दलजीत सिंह चौधरी :
दलजीत सिंह चौधरी उत्तर प्रदेश कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. अपनी 34 साल की सेवा में, उन्होंने उत्तर प्रदेश में विभिन्न पदों पर कार्य किया है लेकिन 2017 से लगातार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं . इस दौरान उन्होंने भारत तिब्बत सीमा पुलिस ( ITBP) में अतिरक्त महानिदेशक और केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल ( central reserve police force – crpf ) में विशेष महानिदेशक (special dg ) के रूप में भी काम किया. आईपीएस दलजीत चौधरी ने 23 जनवरी 2024 को सशस्त्र सीमा बल के महानिदेशक का पदभार ग्रहण किया.