दुर्लभ संक्रमण स्क्रब टाइफस ने लिए लेफ्टिनेंट जनरल पीएस जग्गी के प्राण

1187
दुर्लभ संक्रमण स्क्रब टाइफस
लेफ्टिनेंट जनरल पीएस जग्गी की मौत दुर्लभ संक्रमण स्क्रब टाइफस की वजह से हुई. (फोटो-भारतीय सेना के ट्विटर अकाउंट से )

नई दिल्ली. भारतीय सेना के सेवारत सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में लेफ्टिनेंट जनरल पीएस जग्गी का नाम शामिल था. सेना की वायु रक्षा कोर के महानिदेशक के ओहदे तक पहुंचने से पहले अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) से सम्मानित ये अफसर कई मोर्चों पर तो अव्वल रहा लेकिन एक दुर्लभ रोग स्क्रब टाइफस ने इसे पछाड़ डाला. इस रोग से दो हफ्ते तक युद्ध लड़ने के बाद भी योद्धा जनरल फतेह हासिल न कर सका.

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण जब मंगलवार को दिल्ली में उन्हें आखिरी विदाई सलाम दे रही थीं, तब भी किसी को यकीन न हो रहा था कि जनरल जग्गी कूच कर गये. पूरे सैनिक सम्मान के साथ जनरल जग्गी को दिल्ली छावनी के बरार स्क्वेयर में अलविदा किया गया

  • क्या है स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus ) :

 

स्क्रब टाइफस
यही है स्क्रब टाइफस का वाहक (फाइल फोटो)

स्क्रब टाइफस एक ऐसा रोग है जो जीवाणु संक्रमण (bacterial infection) से होता और जो घुन से या चूहे, गिलहरी जैसे जीव के काटने से फैलता है, इसके लक्षण डेंगू, टायफायड या निमोनिया बुखार से मिलते जुलते होते हैं. इसे भारत में दुर्लभ ही माना जाता है क्यूंकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसके प्रकोप जैसा कुछ हुआ नहीं. तब भी असम में कई लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा बैठे थे. इसके बाद बाद कई साल तक भारत में इसके केस नहीं आये और सेना में तो इसके बारे में कभी ख़ास असर वाली बात सुनी ही नहीं गई.

  • कहाँ कहाँ है इसका प्रभाव :
स्क्रब टाइफस
ऐसी तकलीफ देता है स्क्रब टाइफस (फाइल फोटो)

हाल के दशक में भारत में इसके मामले हिमाचल प्रदेश , मिजोरम और तमिलनाडु में सामने आये हैं. राजस्थान के अलवर में 2011 में इससे 60 लोगों की मौत हुयी थी. इसके बाद कुछ अरसा पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भी कुछ लोग इसकी चपेट में आकर मारे गये थे. उन्हें पहले जापानी बुखार का मरीज़ समझा गया था. कोलकाता में भी स्क्रब टाइफस के मामले सामने आये. श्रीलंका और मालदीव में भी इसका असर दिखता है. लेकिन भारत में इससे मौत डेंगू के मुकाबले तो बेहद कम हुयी हैं. इसलिए भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में इस रोग को लेकर ज्यादा जागरूकता भी नहीं है.

  • इलाज :

स्क्रब टाइफस का रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है एंटीबायटिक्स के जरिये बशर्ते शुरूआती अवस्था में ही इसका पता लगाकर दवा दी जाए. वैसे इसकी वैक्सीन बनाने की कोशिशें नाकाम रही हैं.