भारतीय सेना के शौर्य और तिरंगे की थीम के साथ जीडी गोयनका स्कूल में मना आज़ादी का जश्न

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जीडी गोयनका स्कूल के स्वतंत्रता दिवस समारोह 2023 में सैनिक वेशभूषा में विद्यार्थियों की प्रस्तुति

नाम  , नमक और निशान ..! भारतीय सेना के इस मन्त्र और इसके महत्व  को जब मेजर राकेश शर्मा ने  समझाया तो स्कूल के विद्यार्थियों में ही नहीं , उन्हें  पढ़ाने वाले अध्यापकों – अध्यापिकाओं और स्कूल प्रबंधन में भी जिज्ञासा और  दिलचस्पी दिखाई दी . शौर्य चक्र  से सम्मानित करगिल योद्धा राकेश शर्मा के जोशीले संबोधन ने , भारत की आज़ादी की 76वीं सालगिरह के मौके पर मनाए गए जश्न में चार चाँद लगा दिए. भारत के इतिहास , स्वत्रन्त्रता आन्दोलन , राष्ट्रीय ध्वज  , देशभक्ति और सेना के शौर्य  से सराबोर  विभिन्न प्रस्तुतियों वाला यह  शानदार कार्यक्रम गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम स्थित जीडी गोयनका स्कूल में आज हुआ.

भारत के स्वंतंत्रता दिवस ( independence day ) की ख़ुशी मनाने के लिए किये गए इस स्कूली आयोजन में विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों  में गीत , संगीत  से लेकर कविता पाठ और  नाटक से लेकर नृत्य जैसी   कला व अभिव्यक्ति की तमाम अलग अलग विधाओं का इस्तेमाल किया गया . एक नाटक में , सेना में भर्ती होने के लिए गए जवान की युद्ध से वापसी होने की जगह सैनिक की  सिर्फ टोपी का घर लौटना और  जिसपर श्रद्धांजलि स्वरूप बच्ची का  माला चढ़ाना सच में भावुक दृश्य था. इसी तरह एक अन्य नाटक में , भारत में जन्मे ब्रिटिश अधिकारी का  भारत को महत्वहीन बताते हुए  ‘जीरो ‘ कहना और उसके जवाब में  एक किरदार का  ‘ जीरो  ‘ की  भारत में आविष्कार की कहानी बताना उसे  लाजवाब कर गया. ये दृश्य शानदार था लेकिन  इसके साथ ही जब पार्श्व  में हिंदी की लोकप्रिय फिल्म  ‘पूरब और  पश्चिम’ के गाने के बोल ‘ … जब जीरो दिया मेरे भारत ने … दुनिया को तब गिनती आई …’  के बोल जुड़े तो ज्यादा  प्रभावशाली हो गया .

जीडी गोयनका स्कूल के स्वतंत्रता दिवस समारोह 2023 में विद्यार्थियों की नृत्य प्रस्तुति

विविधता में एकता और भारतीय संस्कृति ( indian culture ) की झलक देने  वाली  विभिन्न पेशकारियों ने सबका मन मोह लिया . एक अच्छी बात यह भी थी कि नर्सरी से लेकर 12 तक के विद्यार्थियों की  यहां के कार्यक्रमों में किसी न किसी रूप में हिस्सेदारी दिखाई दी. रंग बिरंगे चमकीले  लिबासों में नन्हें मुन्नों की नृत्य प्रस्तुति तो कभी तिरंगे की थीम के लिबासों में उनकी  मंच  में प्रस्तुति ने  दर्शकों को  लगातार बांधे रखा. भारत की स्वतंत्रता आन्दोलन की प्रतीक खादी से लेकर देश की निगहबानी करने वाले सैनिकों की पोशाक में अपनी प्रस्तुति देते यह बच्चे आकर्षण का केंद्र  हालांकि दर्शकों में ज्यादातर विद्यार्थी , टीचर और चंद मेहमान ही थे .

कार्यक्रम की शुरुआत जीडी गोयनका स्कूल  ( g d goenka school ) की हेड मिस्ट्रेस वंदना मुदगिल ने करते हुए सबका स्वागत किया . स्कूल की डायरेक्टर स्मिता मल्होत्रा ने मुख्य अतिथि मेजर राकेश शर्मा , विशेष अतिथियों  मुख्यालय से आईं शिक्षा अधिकारी रजनी जोहरी और रक्षक न्यूज़ के मुख्य सम्पादक संजय वोहरा को स्मृति चिन्ह व पौधे भेंट किए.

मेजर  शर्मा ( major rakesh sharma ) ने अपने संबोधन में कहा कि हम सबको  अपने रोज़मर्रा के जीवन यापन के दौरान विभिन्न काम करते हुए थोडा योगदान देश के लिए , समाज कल्याण के लिए अवश्य देना चाहिए . ज़रूरी नहीं है कि देश सेवा के लिए सेना की वर्दी ही पहनी जाए. अच्छी पढ़ाई लिखाई करके , देश के विकास और उन्नति में योगदान भी देशभक्ति होती है. मेजर राकेश शर्मा को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1999 में करगिल  के दौरान ऑपरेशन विजय में प्रदर्शित की गई  वीरता के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया किया गया था. उन्होंने दस साल भारतीय सेना की सेवा की .

शौर्य चक्र से सम्मानित मेजर राकेश शर्मा स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए

मेजर शर्मा ने करगिल युद्ध  ( kargil war ) की पृष्ठभूमि और उस दौरान की परिस्थितियों के बारे में बताया. मेजर शर्मा ने याद दिलाया कि करगिल युद्ध में भारत के 550 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे लेकिन जवाब में हमने हजारों दुश्मन सैनिक मारे गए  थे. उन्होंने भारतीय सेना व उसमें तैनात सैनिकों को मिले संस्कारों का ज़िक्र करते हुए  बताया मारे गए कई पाकिस्तानी सैनिकों के शवों के पाकिस्तान ने स्वीकार करने से मना कर डाला था . ऐसे में भारतीय सेना ने उन दुश्मन सैनिकों के शवों को भी उनके धार्मिक तौर तरीके से उस सम्मान के साथ दफनाया जो एक सैनिक के शव को मिलना चाहिए .  मेजर राकेश शर्मा ने कहा कि ऐसे 13 पाकिस्तानी सैनिकों को दफनाने में तो वह खुद भी शामिल रहे थे .

स्वतंत्रता दिवस समारोह में छोटे बच्चे

श्रीमती जोहरी ने  मेजर राकेश शर्मा के संबोधन की सराहना की और  बच्चों से पर्यावरण के बारे में बातचीत की. उन्होंने जीवन में कम्पीटीशन  वाली मानसिकता की बजाय कोलैबोरेशन ( सहयोग) वाली मानसिकता अपनाने पर ज़ोर दिया.  उन्होंने कहा कि हमें एक दुसरे से आगे नहीं  बल्कि साथ साथ चलना चाहिए . जिसे मदद की ज़रुरत हो उसे सहयोग करते हुए साथ लेकर बढ़ना चाहिए. जीडी गोयनका स्कूल ( इंदिरापुरम ) का यह  खूबसूरत और थोड़ा अलग हटकर  कार्यक्रम इसलिए भी था  क्योंकि अतिथियों ने मंच से विथार्थियों के साथ वार्तालाप भी किया जो आमतौर पर इस तरह के स्कूली औपचारिक आयोजनों  में कम ही दिखाई देता है .