भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली स्थित रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग (DRDO डीआरडीओ) भवन के परिसर में स्थापित एंटी सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल के मॉडल का अनावरण किया.
‘मिशन शक्ति’ भारत का पहला एंटी-सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल टेस्ट था, जिसका 27 मार्च, 2019 को उड़ीसा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक संचालन किया गया था. यहां लो अर्थ ऑर्बिट (low earth orbit – एलईओ) में एक तेजी से घूमती भारतीय परिक्रमा लक्ष्य उपग्रह को बिना किसी चूक के सटीकता के साथ निष्क्रिय किया गया था. यह एक काफी जटिल मिशन था, जिसे उल्लेखनीय सटीकता के साथ अत्यंत उच्च गति पर संचालित किया गया था.
‘मिशन शक्ति’ की कामयाबी ने भारत को पूरी दुनिया में ऐसा चौथा देश बना दिया, जो बाहरी अंतरिक्ष में अपनी संपत्तियों की रक्षा करने में समर्थ है.
![एंटी सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल](https://www.rakshaknews.in/wp-content/uploads/2020/11/Anti-Satelite-Missile-Model-2.jpg)
इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिकों की टीम की इस अभिनव उपलब्धि की तारीफ़ की. इस अवसर पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डीडीआरएंडडी) के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी भी मौजूद थे.
रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि ए-सैट मॉडल की स्थापना डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को भविष्य में ऐसे और कई चुनौतीपूर्ण मिशनों के लिए प्रेरित करेगी.
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यात्री बसों के लिए आग का पता लगाने और उसे बुझाने वाली प्रणाली (एफडीएसएस FDSS) का अवलोकन किया. यात्री कम्पार्टमेंट में जल आधारित जबकि इंजन में लगने वाली आग पर ऐरोसॉल आधारित एफ़डीएसएस का प्रदर्शन किया गया.
डीआरडीओ के दिल्ली स्थित अग्नि विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद्र (सीएफईईएस-CFEES) प्रयोगशाला द्वारा विकसित इस तकनीक की मदद से, यात्री कम्पार्टमेंट में लगने वाली आग का महज़ 30 सेकेंड के भीतर पता लगाया जा सकता है और 60 सेकेंड के भीतर उसे बुझाया जा सकता है. इससे जान और माल की बड़े पैमाने पर सुरक्षा की जा सकती है. श्री गडकरी ने इस प्रौद्योगिकी पर संतुष्टि व्यक्त की तथा इसे आगे बढ़ाने की कामना की.