सुप्रीम कोर्ट का फैसला : आलोक वर्मा सीबीआई के निदेशक रहेंगे लेकिन…

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आलोक वर्मा
आलोक वर्मा.

भारत की केंद्र सरकार के फैसले के उलट भारत की सर्वोच्च अदालत ने आलोक वर्मा को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के पद पर काम करते रहने को कहा है लेकिन साथ ही शर्त ये भी रखी है कि वह तब तक कोई बड़ा निर्णय नहीं लेंगे जब तक कि चयन समिति उनके भविष्य के बारे में फैसला न ले ले. भारतीय पुलिस सेवा के 1979 बैच के अधिकारी 61 वर्षीय आलोक वर्मा को सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया था और निदेशक के तौर पर उनके काम करने पर रोक लगा दी थी. ज्ञात हो कि आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है.

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई क़ानून नहीं है जिससे सरकार, उच्च अधिकार प्राप्त समिति की मंजूरी लिए बिना, सीबीआई के निदेशक की शक्तियां छीनकर उन्हें काम करने से रोक सकती हो. अदालत ने एक सप्ताह के भीतर चयन समिति की बैठक करने का आदेश भी दिया है.

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के बारे में ये फैसला भारत की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने दिया लेकिन फैसला सुनाये जाते वक्त वह खुद अदालत में मौजूद नहीं थे. फैसला जस्टिस संजय किशन कौल ने सुनाया और उनके साथ जस्टिस के. एम. जोसफ भी थे. अदालत ने आईपीएस अधिकारी एम. नागेश्वर राव की अंतरिम निदेशक के तौर पर नियुक्ति के सरकार के फैसले को भी रद कर दिया.

सरकार ने आलोक वर्मा और उनके मातहत सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़े उस विवाद के बाद दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था जब दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के इलज़ाम लगाये थे.