‘लेडी सिंघम ‘आईपीएस मंजिल सैनी को राहत , तरक्की में अटका रोड़ा हटा

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आईपीएस अधिकारी मंजिल सैनी

उत्तर प्रदेश की चर्चित पुलिस अफसर आईपीएसएस मंजिल सैनी को अब एक बड़ी राहत मिली है. लखनऊ के कारोबारी श्रवण साहू को सुरक्षा न मिलने के मामले में मंजिल सैनी की भूमिका पर उठे सवालों के बाद हुई जांच में उनको क्लीन चिट मिल जाने का समाचार  है. इससे माना जा रहा है कि अब उनको तरक्की मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है . भारतीय पुलिस सेवा के 2005 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर की अधिकारी मंजिल सैनी वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ( national security guard ) में उप महानिरीक्षक (डी आई जी ) हैं. उनको उनकी तर्रारी के लिए मीडिया ने ‘ लेडी सिंघम ‘ नाम भी दिया  है.

आईपीएस मंजिल सैनी ips manzil saini से जुडा ये विवादित मामला तब का है जब  ( मई 2016 से अप्रैल 2017 तक )  जब वह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ( एसएसपी ) थीं. 1  फरवरी 2017 को  लखनऊ के सआदतगंज के एक  कारोबारी 62 वर्षीय श्रवण साहू की , उनके घर की ही बाहर मोटर साइकिल सवार बदमाशों ने,  ताबड़तोड़ गोलियां  मारकर हत्या कर दी थी. इससे 17 महीने  पहले 2015  में ही उनके बेटे आयुष साहू  की भी हत्या कर दी गई थी.  श्रवण साहू अपने बेटे की हत्या के मामले में इकलौते गवाह भी थे . वो अपने बेटे के हत्यारों को सज़ा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनकी जान को भी खतरा था जिसकी आशंका व्यक्त करते उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी. पुलिस पर इस मामले में आरोप लगा कि बार बार गुहार लगाए जाने के बावजूद श्रवण साहू को सुरक्षा  मुहैया नहीं कराई.

दरअसल आयुष की हत्या के मामले  पुलिस ने बाद में  अकील अंसारी नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया था जो पुलिस के लिए मुखबिरी करता था और इस नाते से पुलिस अधिकारियों से सम्बन्ध भी थे. इसका फायदा उठाते हुए अकील ने चार बेगुनाह युवकों को पारा थाने  की पुलिस से गिरफ्तार करके जेल भिजवा दिया था. आरोप लगाया गया कि उन अभियुक्तों ने  श्रवण साहू से अकील अंसारी की हत्या की सुपारी ली. इसके बाद अकील ने अपने संबंधों का इस्तेमाल करके श्रवण साहू के खिलाफ ठाकुरगंज थाने में एक झूठा केस दर्ज करवा दिया.

आयुष साहू और उसके पिता श्रवण साहू

इस पूरे मामले को लेकर खूब विवाद हुआ था. श्रवण साहू को सुरक्षा मुहैया कराने के मामले की फाइल पुलिस और जिला अधिकारी के दफ्तरों में चक्कर लगाती रही. इस बीच अकील अंसारी ने सरेंडर किया और उसे जेल भेज दिया गया . झूठा केस बनवाने में कुछ पुलिसकर्मी बर्खास्त और गिरफ्तार भी हुए थे . सब इंस्पेक्टर धीरेन्द्र शुक्ला भी इनमें था .  श्रवण साहू की हत्या के मामले की  जांच सीबीआई को दे दी गई  थी. सीबीआई ने कुछ अरसा बाद श्रवण साहू की हत्या के मामले का खुलासा किया था. इसमें अकील को मास्टर माइंड पाया गया जोकि खुद जेल में था .

दूसरी तरफ सीबीआई ने पूरे प्रकरण में श्रवण साहू को सुरक्षा देने में नाकाम रहने पर लखनऊ के तत्कालीन डीएम गौरी शंकर प्रियदर्शी और  तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी की विभागीय जांच करने की संस्तुति की थी. जांच के लिए अपर महानिदेशक ( इंटेलिजेंस) भगवान स्वरूप के नेतृत्व वाली दो सदस्यीय समिति गठित की गई जिसने अब अपनी रिपोर्ट में आईपीएस मंजिल सैनी को क्लीन चिट दी . मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई खत्म कर दी गई और उसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई . समिति ने पाया कि मंजिल सैनी ने श्रवण साहू को सुरक्षा देने के लिए कहा था .