एक जिंदादिल इंसान दिल्ली पुलिस के पूर्व पीआरओ रवि पवार चल बसे

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ज़िंदादिली : एक पारिवारिक कार्यक्रम में रवि पवार

दिल्ली पुलिस के पूर्व जन सम्पर्क अधिकारी (delhi police pro) रवि पवार का आज दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया. दिल्ली पुलिस में 22 बरस तक पीआरओ के ओहदे पर रहे श्री पवार बेहद मिलनसार स्वभाव की शख्सियत के मालिक थे. पुलिस ही नहीं पत्रकार बिरादरी में भी उनकी लोकप्रियता व सम्मान रहा. 77 वर्षीय रवि पवार के शोकाकुल परिवार में उनकी पत्नी रजनी पवार, दो बेटियाँ, दामाद नाती नातिन हैं. उनके साथी उन्हें एक जिंदादिल इंसान की तरह हमेशा याद करते हैं.

श्री पवार की कुछ दिन से तबीयत नासाज़ चल रही थी. पहले से ही ह्रदयरोग था और हाल ही में फिर से दिल का दौरा पड़ने के बाद रवि पवार को दिल्ली के शालीमार बाग़ स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. शाम को पंजाबी बाग़ शवदाह गृह पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. श्री पवार 13 सितंबर 1946 को पैदा हुए रवि पवार दिल्ली में ही पले और बढ़े हुए थे.

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पत्नी रजनी पवार के साथ रवि पवार.

रवि पवार भारतीय सूचना सेवा (indian information service) के अधिकारी थे. दिल्ली पुलिस में जनसम्पर्क अधिकारी के तौर पर 1984 में नियुक्ति से पहले वे रक्षा मंत्रालय में भी काम कर चुके थे.

दिल्ली पुलिस में जनसम्पर्क विभाग को उनके नेतृत्व में ही पेशेवर रूप मिला. जिस वक्त उन्होंने दिल्ली पुलिस के इस महकमे की कमान सम्भाली तब इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद दिल्ली में हुए सिखों के कत्लेआम के कारण पुलिस की छवि तार तार हुई पड़ी थी. पुलिस के काम का अनुभव या पुलिस सेवा में न होते हुए भी वो अपने काम की बदौलत दिल्ली पुलिस का अभिन्न अंग बन गए थे. बाद में उनको पुलिस विभाग में शामिल कर लिया गया और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के बराबर का दर्जा दिया गया. रवि पवार दिल्ली पुलिस के पीआरओ के पद से 2006 में रिटायर हुए. वे पहले ऐसे अफसर थे जो इतने लम्बे समय तक राजधानी की पुलिस के जन सम्पर्क अधिकारी रहे. रिटायरमेंट के बाद से वे दिल्ली के रोहिणी इलाके में परिवार के साथ रह रहे थे.

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दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर संजय सिंह के साथ बीते माह दिल्ली पुलिस मुख्यालय में एक आयोजन के दौरान पूर्व पीआरओ रवि पवार.

इस रैंक पर शायद वो एकमात्र अधिकारी ऐसे थे जिन्होंने न सिर्फ सबसे अधिक पुलिस आयुक्तों के दौर में काम किया बल्कि ज्यादातर पुलिस प्रमुखों से वे सीधे सम्पर्क में भी रहते थे. दिल्ली पुलिस समाचार को नए कलेवर के साथ प्रकाशित करने में उनकी अहम भूमिका रही. दिल्ली पुलिस और क्राइम रिपोर्टर्स की टीमों के बीच हर साल खेले जाने वाले फ्रेंडली क्रिकेट मुकाबले “जी मुरली ट्रॉफी” (G Murali Trophy ) की शुरुआत उनके समय में हुई जो पुलिस व स्थानीय पत्रकारों के बीच होने वाला शानदार सालाना आयोजन बना. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों व क्राइम रिपोर्टर के संबंधों को बेहतर करने की दिशा में एक अनौपचारिक ‘बर्थ क्लब’ भी उनके प्रयासों से गठित किया गया.

दिल्ली पुलिस के पूर्व पीआरओ रवि पवार (pro ravi pawar) की हालिया बीमारी व उनके अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी ज्यादातर पुराने साथियों को नहीं थी. लिहाज़ा सबके लिए ये झटके वाली सूचना थी. हैरानी की बात है कि जिस दिल्ली पुलिस के जिस सूचना तंत्र को विकसित करने में श्री पवार ने पूरा जीवन लगाया उस तंत्र ने कई घंटे बाद तक उनकी मृत्यु की आधिकारिक सूचना जारी नहीं की. ये हालत तो तब है जब बीते माह ही इस अनुभाग ने पुलिस मुख्यालय में एक आयोजन में उनको व उनके बाद पीआरओ नियुक्त हुए राजन भगत को आमंत्रित किया था. दिल्ली के कई वरिष्ठ पत्रकारों और क्राइम रिपोर्टर्स ने रवि पवार के निधन पर शोक ज़ाहिर किया है.