बिना स्वार्थ गैरों की मदद करके उन्हें सशक्त बनाने वालों की जब कोई लिस्ट तैयार होगी तो वो इस आईपीएस अधिकारी का नाम शामिल किये बिना अधूरी ही रहेगी. और हैरानी की बात ये कि जिन लड़कों और लड़कियों की मदद ये अभी कर रहे हैं उनमें से कइयों से देशसेवा की उम्मीद की जा रही है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि ये शख्स एक ऐसे तरीके से औरों की शख्सियत निखार रहे हैं जो सामाजिक माहौल, लोगों का वक्त और शख्सियत खराब करने का इलज़ाम झेल रही है. ये है युवा नस्ल के लिए नशा और रोग बनता जा रहा व्हाट्स ऐप. जी हाँ, आईपीएस अधिकारी महेश मुरलीधर भागवत ने डिजिटल युग के इस ‘क्रांतिकारी’ ऐप को उन छात्र छात्राओं का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनाने का जरिया बनाया है जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.
400 से ज्यादा युवाओं को इंटरव्यू क्लीयर करने में कामयाबी दिलाई
खुद इस परीक्षा को कामयाबी से पार कर चुके महेश 1995 बैच के IPS अधिकारी हैं और तेलंगाना के साइबराबाद में रचकोंडा के पुलिस कमिश्नर हैं. उन्होंने दो व्हाट्स ऐप ग्रुप के जरिये 400 से ज्यादा युवाओं को पर्सनेलिटी टेस्ट यानि इंटरव्यू क्लीयर करने में कामयाबी दिलाई है. इनमें से हैदराबाद के ग्रुप में 230 और महाराष्ट्र के ग्रुप में 200 उम्मीदवार थे. 2015 से व्हाट्स ऐप के जरिये, सिविल सेवा के परीक्षार्थियों को ज्ञान और गाइडेंस देकर मदद करने वाले महेश इससे
पहले ज्ञान प्रबोधिनी कांपटेटिव एग्जामिनेशन सेंटर (JPCEC) में सिविल सेवा प्रतियोगिता की तैयारी के लिए आने वाले युवाओं को कोचिंग देते थे.
बड़ी जिम्मेदारी वाले ओहदे पर रहते हुए रोजाना के कुछ घंटे अलग से निकालना और कोचिंग देना आसान नहीं
लेकिन एक शहर के पुलिस कमिश्नर जैसे बड़ी ज़िम्मेदारी वाले ओहदे पर रहते हुए और बिना अपनी पुलिस ड्यूटी को प्रभावित किये रोजाना के कुछ घंटे अलग से निकालना और इस तरह की कोचिंग देना आसान नहीं है. इसके लिए उन्हें कुछ महीने तो खासतौर से अपनी नींद त्यागनी पड़ती है. तड़के उठकर अखबारों को छानना, फिर नोट्स तैयार करना, साथ में प्रश्नावली बनाना और फिर जिसको जैसी ज़रूरत हो उसे समझाने के लिए फोन काल भी करना. इसके साथ ही जुटाई गई जानकारी व्हाट्स ऐप करना. फिर उस पर आने वाले अतिरिक्त सवाल का उम्मीदवारों को जवाब देना. ग्रुप के मेम्बर्स को देश विदेश की तमाम महत्वपूर्ण घटनाओं से रूबरू कराना, सरकार की नीतियाँ, विकास योजनाओं से जुडी जानकारियाँ, नये नियम कायदे, सियासी और राजनयिक गतिविधियां, सरकारी महकमों के तौर तरीके, पुलिस और न्याय व्यवस्था के काम आने वाली बातें आदि आदि… बहुत कुछ जानना, समझाना और समझाना महेश भगवत के लिए रूटीन का हिस्सा बन गया है.
अन्य सेवाओं के अधिकारी भी इस काम में देते हैं भागवत को योगदान
मज़ेदार बात ये भी है कि वो उन कई लोगों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं जो उनकी मदद लेते है और फिर औरों को ट्रेंड करते हैं. अच्छा इंटरव्यू देने के लिए जो ट्रेनिंग ग्रुप में दी जाती है उसमें अन्य सेवाओं के अधिकारी भी योगदान देते हैं. आईसीएएस (ICAS) 2001 बैच की सुप्रिया देवस्थली, तमिलनाडु काडर के 1998 बैच के IAS आनंद पाटिल, भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम व एक्साइज़) के 2016 बैच के नीतेश पथोदे अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के हिसाब से ग्रुप में उम्मीवारों को गाइड करते हैं. जो उम्मीदवार इंटरव्यू देकर आते हैं, उनसे लिए गये फीडबैक के आधार पर ये ग्रुप लीडर सवालों का ट्रेंड जानते हैं और फिर बाकियों को गाइड करते हैं.
2016 में 84 तो 2017 में इस ग्रुप से गाइडेंस पाए 93 छात्रों ने इंटरव्यू पास किया
एक जो बड़ी चुनौती होती है वो है उम्मीदवार में आत्मविश्वास का इजाफा करना और उन्हें उनकी दिलचस्पी के विषय के हिसाब से ज़रूरी जानकारियाँ मुहैया कराना… खाने से लेकर गाने तक की. ग्रुप की कामयाबी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2016 में 84 तो 2017 में इस ग्रुप से गाइडेंस पाए 93 छात्रों ने इंटरव्यू पास किया. इनमें से 70 छात्र महाराष्ट्र के और बाकी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, ओडिशा, उत्तराखंड, राजस्थान और कर्नाटक से थे. इतना ही नहीं महाराष्ट्र में टाप करने और UPSC में 20 वीं रैंक पाने वाले गिरीश बडोले और केरल की टापर शिखा सुरेन्द्रन इस ग्रुप का हिस्सा थे.
मानव तस्करी की रोकथाम में ज़बरदस्त मेहनत और सूझबूझ के बूते उपलब्धियां हासिल कर चुके महेश भागवत को अमेरिकी सरकार भारत में मानव तस्करी की रोकथाम में अहम भूमिका निभाने पर उन्हें ट्रैफिकिंग इन परसंस (TIP) रिपोर्ट हीरोज़ अवार्ड से सम्मानित भी किया था.