कोविड 19 संक्रमण से लड़ते इंस्पेक्टर यशवंत पाल शहीद, मिलेगा कर्मवीर सम्मान

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उज्जैन के नीलगंगा थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर यशवंत पाल.

वैश्विक महामारी कोविड 19 के संकट से भारत में सबसे ज्यादा जूझ रहे राज्यों में से एक मध्य प्रदेश से पुलिस के लिए खासतौर से एक और बुरी ख़बर है. इंदौर में जुनी थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर देवेन्द्र चन्द्रवंशी के देहावसान के बाद अब महाकाल की धरती उज्जैन नगरी से भी ऐसा ही खराब समाचार है. उज्जैन के नीलगंगा थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर यशवंत पाल ने भी कोरोना वायरस से जंग लड़ते हुए प्राण त्याग दिए.

उज्जैन को नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए लॉक डाउन का सख्ती से पालन कराने में लगातार जुटे रहे नीलगंगा थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर यशवंत पाल स्वयं भी इस संक्रमण की चपेट में आ गये थे. कोविड 19 के लक्षण पाए जाने के बाद की गई उनकी जांच की रिपोर्ट, 6 अप्रैल को , कोविड पोज़िटिव आई थी. शुरू में उनका इलाज उज्जैन के मेडिकल कॉलेज में चला था लेकिन बाद में उन्हें इलाज के लिए इंदौर के अरविंदो अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी के मुताबिक़ यहाँ दस दिन से इंस्पेक्टर यशवंत पाल का उपचार चल रहा था लेकिन मंगलवार यानि 21 अप्रैल को इंस्पेक्टर यशवंत पाल ने यहाँ प्राण त्याग दिए.

संक्रमण की चपेट में :

असल में 27 मार्च को उज्जैन की अम्बर कालोनी में संतोष वर्मा नाम के कोविड 19 पोज़िटिव एक शख्स की मौत के बाद, इंस्पेक्टर यशवंत पाल यहाँ बन्दोबस्त पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे. 31 मार्च को यहाँ एक युवक की हत्या के मामले की भी उन्होंने जांच की थी. हालांकि वे थाने के पीछे ही बने आवास में रहते थे और इस दौरान इंदौर भी नहीं गए जहां उनकी पत्नी और बच्चे हैं. अलबत्ता उनके परिवार के सदस्य यहाँ उनसे मिलने आये थे.

परिवार व साथी क्वारंटाइन :

मूलत: बुरहानपुर के रहने वाले यशवंत पाल के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. ये परिवार इंदौर के ही विजय नगर क्षेत्र में रहता है. पत्नी मीना पाल तहसीलदार हैं. इंस्पेक्टर यशवंत पाल के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनकी पत्नी मीना और दोनों बेटियां फाल्गुनी और ईशा को एक होटल में क्वॉरैंटाइन किया गया है. वे भी करीब 15 दिन से क्वारैंटाइन हैं, लेकिन अब तक उनकी जांच रिपोर्ट नहीं आई है. इंस्पेक्टर यशवंत पाल के संपर्क में आए 12 पुलिसकर्मियों को भी एकांतवास में शिफ्ट कर दिया गया है.

लोकप्रिय पुलिस अधिकारी :

महकमे में अपने काम और उनके किस्से कहानियों की वजह से लोकप्रिय 59 वर्षीय इंस्पेक्टर यशवंत पाल की जनता में भी एक अच्छे पुलिसकर्मी की भी छवि थी. कर्तव्य परायणता के साथ साथ इंस्पेक्टर यशवंत पाल ने गरीब और ज़रूरतमंदों की हमेशा मदद की. यही वजह है कि उनके यूँ जाने के बाद पुलिस विभाग के साथ नागरिकों को भी बेहद तकलीफ का अहसास हो रहा है. इसी कारण मध्य प्रदेश पुलिस के इंस्पेक्टर बरसों तक याद रखे जायेंगे.

बेटी को पुलिस में नौकरी :

शोकाकुल परिवार को राज्य शासन की ओर से सुरक्षा कवच के रूप में 50 लाख रुपए, असाधारण पेंशन के साथ साथ उनकी बेटी फाल्गुनी को उपनिरीक्षक पद पर नियुक्ति देने का वादा किया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंस्पेक्टर यशवंत पाल की मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए जो संदेश ट्वीट किया है उसमें कहा गया है कि इंस्पेक्टर पाल को मरणोपरांत कर्मवीर पदक से सम्मानित किया जायेगा.