पूर्व डीजीपी की पत्नी जो खुद भी आईपीएस थीं , अब बन सकती हैं उत्तराखंड की मुख्य सचिव

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उत्तराखंड की आई ए एस राधा रतूड़ी और उनके पति पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी
बेहद प्रभावशाली व्यक्तित्व की मालिक भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी राधा रतूड़ी के उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाए जाने की प्रबल सम्भावना है . जितनी शानदार उनकी शख्सियत है  उतना ही दिलचस्प उनका करियर रहा है जिसमें तरह तरह के उन्होंने अनुभव लिए. उम्मीद की जा रही है कि 31 जनवरी को डॉ एस एस संधु के रिटायर होने पर उत्तराखंड के मुख्य सचिव की कुर्सी उन्हीं की तरह 1988 बैच की आई ए एस अधिकारी राधा रतूड़ी को सौंपी जा सकती है . ऐसे में राधा उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव होंगी .

मध्य प्रदेश की बेटी और उत्तराखंड की बहू राधा रतूड़ी अपनी सादगी के लिए विशेष पहचान रखती हैं. आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी  उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक के ओहदे से तीन साल पहले  रिटायर हुए आईपीएस अनिल रतूड़ी की पत्नी है लेकिन पुलिस से इनका नाता और भी गहरा है . राधा रतूड़ी दरअसल खुद भी पुलिस अधिकारी रही हैं. इतना ही नहीं राधा रतूड़ी ने पत्रकारिता में भी अपना हाथ आजमाया है.

दर असल राधा रतूड़ी के पिता बी के श्रीवास्तव भी सिविल सेवा के अधिकारी रहे हैं . पिता के गुण उनमें भी थे. करियर की शुरुआत में राधा रतूड़ी ने संघ लोक सेवा आयोग ( यूपीएससी – upsc ) की परीक्षा दी और  भारतीय सुचना सेवा के लीयते उनका चयन हुआ . यह सन 1985-86 की बात है . इस तैनाती के लिए उनका दिल्ली आना हुआ लेकिन राजधानी में उनका मन नहीं लगा. पिता की सलाह पर उन्होंने फिर से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. 1987 में परीक्षा पास कर ली और उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा के लिए हो गया . आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए राधा रतूड़ी हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी गईं . यहीं पर उनकी मुलाक़ात आईपीएस अनिल  रतूड़ीसे हुई. दोनों में दोस्ती हुई जो वैवाहिक संबंध में तब्दील हो गई.   पुलिस सेवा में होने के कारण पति पत्नी को विभिन्न  जगह  पर तैनाती की वजह से अलग अलग रहना पड़ता था.

पुलिस सेवा की बजाय प्रशासनिक सेवा के प्रति रुझान कायम था सो राधा रतूड़ी ने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी. इस तरह वह 1988 में आईएएस अधिकारी ( IAS officer ) बन गई . लेकिन उनको मध्य प्रदेश का कैडर मिला जबकि उनके पति अनिल रतूड़ी उत्तर प्रदेश कैडर के अफसर. उनकी तैनाती यूपी में होना स्वाभाविक थी.  राधा रतूड़ी ने भी अपना कैडर बदलवाने की कोशिश और यह भी साल भर बाद संभव  हो गया . राधा रतूड़ी को यूपी  में पहली पोस्टिंग बरेली में मिली. इस बीच पति अनिल रतूड़ी के हैदराबाद स्थित नेशनल पुलिस अकादमी पोस्टिंग हुई  तो  राधा रतूड़ी ने स्टडी लीव ले ली.फिर वह प्रतिनियुक्ति पर आंध्र प्रदेश चली गईं. वहां पर राधा रतूड़ी ने  दो  साल संयुक्त सचिव के तौर पर काम किया.

राधा रतूड़ी वर्ष 1999 में वापस उत्तर प्रदेश आ गई.  9 नवंबर 2000 को जब  उत्तर प्रदेश के हिस्से को अलग करके अलग उत्तराखंड राज्य बनाया गया तब  राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड कैडर ले लिया. तभी से राधा रतूड़ी उत्तराखंड में काम कर रही हैं . वह उत्तराखंड के कई जिलों में जिला अधिकारी रही हैं और दस साल मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी रहीं.  उनकी छवि हमेशा ही एक ईमानदार अधिकारी के तौर पर रही.

 

पत्रकारिता भी की :  

राधा रतूड़ी के करियर का एक दिलचस्प पहलू और भी है. उन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया था. उसी दौरान मुंबई में इंडियन एक्सप्रेस अखबार में उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया . फिर इंडिया टुडे मैगज़ीन में भी उन्होंने काम किया. पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी की  थी .
अनिल रतूड़ी :
राधा रतूड़ी के पति अनिल रतूड़ी उत्तराखंड के पुलिस  महानिदेशक के तौर पर तीन साल काम करके नवंबर 2000 में सेवानिवृत्त हुए. इसके तीन महीने बाद फरवरी 2021 में  श्री रतूड़ी को उत्तराखंड में सेवा के अधिकार आयोग का आयुक्त भी बनाया गया था . पूर्व महानिदेशक अनिल  रतूड़ी लेखन में भी रूचि रखते हैं. उनका उपन्यास ‘ भंवर , एक प्रेम कहानी ‘ लोकप्रिय भी हुआ है जिसका विमोचन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था.