हाई कोर्ट ने कर्नल बाठ पर हमले के केस की जांच सीबीआई से करवाने का आदेश दिया

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घायल अवस्था में कर्नल पुष्पिन्दर सिंह बाठ ( फाइल फोटो )
भारतीय सेना के कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ ( Colonel Pushpinder Singh Bath) पर हुए हमले की जांच को लेकर पंजाब पुलिस और चंडीगढ़ पुलिस की छीछालेदर हो रही है. अब इस मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण  ब्यूरो ( central bureau of investigation) करेगा.  इस बारे में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार को आदेश दिए है,
इस मामले में खुद पंजाब पुलिस व उसके अधिकारी कटघरे में हैं क्यूंकि केस में प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर जांच करने में व दोषी अधिकारियों के खिलाफ तुरंत व सख्त कार्रवाई करने की बजाय उसने लचर रुख अपनाया था. भारतीय सेना के एक सेवारत कर्नल के साथ इस तरह की घटना का होना तो दुर्भाग्यपूर्ण है ही इसके बाद के घटनाक्रम और भी अधिक अफ़सोसनाक थे. अदालत के हस्तक्षेप के बाद 3 अप्रैल को जांच चण्डीगढ़ पुलिस को सौंपी गई जिसके लिए एक विशेष जांच दल गठित किया गया था.पुलिस अधीक्षक मंजीत श्योराण के नेतृत्व वाली  उस एसआईटी के काम और मंशा पर भी सवाल उठा . ऐसे में हाई कोर्ट ने केस की जांच सीबीआई (cbi) से कराने के आदेश दिए हैं .

यह मामला तकरीबन चार महीने पुराना यानि 13 मार्च 2025 का है. उस दिन पंजाब के पटियाला में एक ढाबे के बाहर पार्किंग को लेकर विवाद हुआ था. आरोप है कि पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों और उनके मातहत पुलिसकर्मियों ने  कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ पर हमला किया जिसमें उनके फ्रैक्चर हुआ . इस मारपीट में कर्नल बाठ के बेटे को भी चोटें आईं थीं .  पंजाब पुलिस की यह टीम एक अपहर्ता को छुड़ाने गई थी जहां उनकी मुठभेड़ भी हुई थी. वहां से लौटी पुलिस टीम अपने वाहन में उसी  ढाबे के पास रुकी थी जहां कर्नल बाठ की गाडी पार्क थी और उनका परिवार खाना खा  रहा था. पुलिस कर्मी उसी जगह पर अपना वाहन खड़ा करना चाहते थे.

सुनवाई के बाद कर्नल बाठ के वकील  ने कहा, “अदालत ने पुलिस जांच को दोषपूर्ण पाया. इसलिए, उसने मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला किया.”

पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय ( punjab and haryana high court)  के जस्टिस न्यायमूर्ति राजेश भारद्वाज की उच्च न्यायालय की पीठ पुलिस जांच की गति से असंतुष्ट थी और एक बार मौखिक रूप से कहा, “(पुलिस का) विशेष जांच दल आरोपी अधिकारियों को संदेह का लाभ देने के लिए खामियां पैदा कर रहा है.”

अदालत ने  चंडीगढ़ पुलिस के एसपी मंजीत श्योराण के नेतृत्व वाली एसआईटी से यह भी पूछा कि वह मामले से हत्या के प्रयास की धारा को हटाने के क्या तरीका अपनाएगी जैसा कि वो इरादा रखती है . अदालत ने एसआईटी से पूछा कि आरोपी इंस्पेक्टर रोनी सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद क्या कदम उठाए गए हैं.

इससे पहले, एसआईटी ने अपने जवाब में अदालत को आश्वासन दिया था कि जांच चल रही है और इसे समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाएगा.

सोमवार को, कर्नल बाठ  ने एक नई याचिका दायर की थी जिसमें एसआईटी पर एफआईआर की निष्पक्ष जांच करने में “संकोच और अनिच्छा” का आरोप लगाया गया और मांग की गई कि जांच उससे वापस लेकर चंडीगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों या सीबीआई को सौंपी जाए.

जिस समय यह घटना हुई थी तब डॉ नानक सिंह पटियाला के एसएसपी थे. कर्नल बाठ और उनके परिवार ने डॉ नानक सिंह के शुरूआती रवैये पर एतराज़ किया था. इसके बाद नानक सिंह का तबादला पटियाला से अमृतसर कर दिया गया था . कर्नल बाठ की पत्नी ने दोषी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन तक किया. वे पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से भी मिली. अदालत का दरवाज़ा भी बार बार खट खटाना  पड़ा.