यह हैं शूटर प्रीति रजक जिन्होंने भारतीय सेना की पहली महिला सूबेदार बन इतिहास रचा

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सूबेदार प्रीति रजक ( फाइल फोटो )

मध्य प्रदेश के निम्न मध्य वर्गीय परिवार की प्रीति रजक 13  साल की थी जब उसने निशानेबाज़ी के खेल की दुनिया में कदम रखा लेकिन  खेल के लिए जूनून ने उन्हें न सिर्फ अंतर्राष्टीय मंच पर  पहचान दिलाई बल्कि इतिहास रचने वाली शख्सियत भी बना दिया. मात्र 22 साल की उम्र में प्रीति भारतीय थल सेना ( indian army ) में सूबेदार  बन गई. प्रीति रजक सेना में पहली नॉन कमीशंड सैनिक  ( non commissioned soldier ) हैं जो जूनियर कमीशंड अधिकारी बनाई गई और जिनको सूबेदार के रैंक पहनाए गए.

शूटिंग के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में हासिल की गई उपलब्धियों के बूते पर सेना में  बारी से पहले तरक्की पाकर प्रीति की सैन्य वर्दी का  सूबेदार के रैंक से सजने का सफर  यह इतना सरल नहीं था.  खासकर एक ऐसी लड़की के लिए तो बिलकुल नहीं जिसके परिवार या आसपास के वातावरण में शूटिंग और सैन्य जीवन के तत्व न हों .  चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच इस मुकाम पर पहुंचने वाली प्रीति बहुत सी लड़कियों के लिए निश्चित ही  प्रेरणास्त्रोत हैं .

प्रीति रजक की जीवन यात्रा  मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम ज़िले में बसे शांत औद्योगिक शहर इटारसी से शुरू होती  है. 6 नवंबर 2002 को  एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी प्रीति छोटे शहर की ज़िंदगी की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में पली-बढ़ीं.

उनके पिता का  एक छोटे मोटा  ड्राई क्लीनिंग का व्यवसाय था जिसमें कड़ी मेहनत मशक्कत करने के बाद घर का खर्च चलता था. पिता से मेहनत  है के  महत्व  का सबक और सपनों का पीछा करने का प्रोत्साहन मिलना प्रीति के आत्मविश्वास की नींव बना. मीडिया के साथ बात करते अपने एक इंटरव्यू में  प्रीति ने  कहा भी था , “उन्होंने मुझे हमेशा अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रोत्साहित किया, चाहे वे कितने भी अनोखे क्यों न हों.” प्रीति की मां  ज्योत्सना रजक सामुदायिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने भी प्रीति की हौसला अफजाई की.

इटारसी जैसे छोटे शहर  में  खेल का  बुनियादी ढांचा बस काम चलाऊ ही था लेकिन प्रीति के लिए  उपजाऊ ज़मीन साबित हुआ.  पूर्व खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के मार्गदर्शन में 2006-07 में स्थापित मध्य प्रदेश निशानेबाजी अकादमी, प्रीति के लिए एक परीक्षण स्थल बन गई.

2016 में 14  साल की उम्र में औपचारिक रूप से शामिल होने के बाद, प्रीति ने  ट्रैप शूटिंग में खुद को पूरी तरह से डुबो दिया.   लक्ष्यों की अनियमित चाल व गति  का अनुमान लगाना, ट्रिगर खींचने के साथ साँस का तालमेल बिठाना, और दबाव में मानसिक दृढ़ता विकसित करना.  शुरुआती दिनों में  राज्य जूनियर चैंपियनशिप में छोटी-छोटी जीत की कामयाबी और पदकों  ने प्रीति के संकल्प को और मज़बूत किया जिसने  एक जिज्ञासु किशोरी को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी में बदल डाला.

ट्रैप शूटिंग, शिकार करने के विचार  से  प्रेरित , निशानेबाजी की एक विधा है जो एक एथलीट की पाँच स्थिर स्टेशनों से शॉटगन से हवाई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता का परीक्षण करती है. इस विधा में 13 साल की उम्र से ही, उन्होंने तेज़ी से प्रगति की. प्रीति का  स्वाभाविक संतुलन और विश्लेषणात्मक दिमाग उन्हें दूसरों से अलग बनाता था. किशोरावस्था के उत्तरार्ध तक, वह राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक स्थायी सदस्य बन गईं और कई  सम्मान प्राप्त किए .

सूबेदार प्रीति रजक ( फाइल फोटो )

प्रीति रजक दिसंबर 2022 में सेना मिलिटरी पुलिस कोर ( corps of military police)  में भर्ती हुई . वह डायरेक्ट एंट्री  हवलदार थीं . प्रीति को  अंतर्राष्ट्रीय कामयाबी  23 सितंबर से 7 अक्टूबर, 2023 तक चीन के हांग्जो में आयोजित 19वें एशियाई खेलों में मिली. महिला ट्रैप टीम स्पर्धा में, प्रीति ने अनुभवी राजेश्वरी कुमारी और मनीषा कीर के साथ मिलकर संयुक्त स्कोर बनाया और रजत पदक जीता. यह इन  खेलों में इस विधा में भारत का पहला पदक था.

चीन और कज़ाकिस्तान जैसे देशों के तगड़े निशानेबाज एथलीटों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच जीता गया यह पदक प्रीति के लिए  सिर्फ़ एक उपलब्धि भर नहीं था  बल्कि एक मान्यता थी. प्रीति ने पदक मिलने के सिलसिले को भावुकता से  याद करते हुए  “ऐसा लगा जैसे देर रात तक की सारी प्रैक्टिस और सारी शंकाएँ उस पल में गायब हो गईं.”

लेकिन यह कामयाबी कोई  कोई संयोग नहीं था.  प्रीति के करियर में जूनियर नेशनल और आईएसएसएफ विश्व कप में लगातार पोडियम स्थान हासिल करना शामिल रहा  है. उन्होंने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ अपनी तकनीकों को लगातार निखारा.  2024 की शुरुआत तक, वह भारत की महिला ट्रैप रैंकिंग में छठे स्थान पर थीं.

महू स्थित आर्मी मार्क्समैनशिप यूनिट ( army marksmanship unit  ) में उनकी ट्रेनिंग बेहद अहम रही   जो सैन्य कठोरता और खेल विज्ञान का एक अत्याधुनिक मिश्रण है.  यहां  विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में, वह बायोमैकेनिक्स, मानसिक कंडीशनिंग और यहाँ तक कि पोषण संबंधी रणनीतियों को भी निखारती हैं, अक्सर 10 घंटे के सत्र में सैनिक और एथलीट के बीच का फासला खत्म हो जाता है.

अगस्त 2025 में: कज़ाकिस्तान के श्यामकेंट में 16वीं एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में, प्रीति ने अपनी टीम की कप्तानी करते हुए महिलाओं की ट्रैप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता.  इस जीत ने पेरिस ओलंपिक के कुछ ही महीनों बाद उनकी विशिष्ट स्थिति को और पुख्ता कर दिया