जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन महादेव : पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सुलेमान समेत 3 आतंकी मारे गए

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मुठभेड़ वाली जगह जहां आतंकवादी छिपे हुए थे .

भारतीय सुरक्षा बलों ने जम्मू कश्मीर के लिडवास में जंगलों में छिपे तीन आतंकवादियों को एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया है. इन आतंकवादियों में से एक का नाम सुलेमान शाह है जो पहलगाम में पर्यटकों के नरसंहार का साजिशकर्ता बताया जाता है . बाकी दोनों आतंकवादियों के नाम  अबू हमजा और यासिर हैं. बताया जाता है कि सुलेमान पाकिस्तानी सेना में रह चुका है और उसे हाशिम मूसा के नाम से भी जाना जाता था.

भारतीय सेना की चिनार कोर ने इस कार्रवाई को ‘ ऑपरेशन महादेव ‘ नाम दिया है जिसमें अन्य सुरक्षा बलों ने भी सहयोग दिया. चिनार कोर ( chinar corps) के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ( lt gen pratik sharma ) ने इसके लिए सेना व अन्य बलों की सराहना की है .

सोमवार की सुबह हुई इस मुठभेड़ के बारे  में चिनार कोर के एक  प्रवक्ता ने बताया कि लिडवास में अभियान के दौरान आतंकवादियों ने भीषण गोलीबारी की.  लिडवास दो तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है. लिडवास दाचीगाम वन क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में है. दाचीगाम वन क्षेत्र के दो किनारे हैं, एक किनारा दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम की ओर और दूसरा गांदरबल  जिले को जोड़ता है.

कश्मीर में सेना आला अधिकारियों के साथ चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा

मुठभेड़ वाली जगह  से आतंकवादियों के शव बरामद किए गए. शुरुआती  रिपोर्टों से पता चला है कि एक अमेरिकी कार्बाइन, एक एके-47, 17 राइफल ग्रेनेड और अन्य सामान  भी यहां से बरामद हुआ .  की गई हैं.अधिकारियों ने बताया कि उन्हें जंगल के भीतर एक ठिकाना मिला है जहाँ आतंकवादी अपने लिए खाना बनाते थे. ठिकाने पर खाने-पीने की चीज़ें और खाना पकाने के बर्तन देखे गए.

आतंकवादी सुलेमान शाह की गिरफ्तारी पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने  20 लाख रूपये के ईनाम का भी ऐलान किया था . वह पहले भी जम्मू कश्मीर में कुछ आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है . सुलेमान प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा से ताल्लुक रखता था. कहा जाता है कि सुलेमान शाह पाकिस्तान की सेना की विशिष्ठ इकाई ( unit of pakistan army )  स्पेशल सर्विस ग्रुप ( ssg ) का कमांडो था .

पहलगाम हमला :
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में शुमार पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को आधुनिक हथियारों से लैस आतंकवादियों ने 26 सैलानियों को बेरहमी से गोलियां बरसाकर मार डाला था. यह हमला धर्म के आधार पर सैलानियों को चुनकर किया गया था. महिलाओं और बच्चों को अलग करके उनके सामने ही उनके परिवार के पुरुषों को मार डाला गया था. इस नरसंहार की ज़िम्मेदारी टीआरएफ ( the ressistant front ) ने ली थी जिसका नाम पहली बार सूना गया था. वैसे इस घटना के बाद अमेरिका ने भी टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया.

ऑपरेशन सिन्दूर :
पहलगाम हमले के बाद , बदले की कार्रवाई और भारत विरोधी कारवाईयों में लिप्त आतंकवादियों सबक सिखाने के लिए , भारत ने मई 2025 में  ‘ऑपरेशन सिन्दूर ‘ (operation sindoor ) चलाया. यह कार्रवाई सेना को बिना वहां भेजे पाकिस्तानी क्षेत्र में हवाई हमले के तहत की गई . इस पर प्रतिक्रिया करते हुए  पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा के इस पार भारतीय नागरिक क्षेत्रों में हमले किए. भारत ने जवाब में पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जिससे पाकिस्तान सेना को काफी नुक्सान हुआ. हालांकि पाकिस्तान ने भी दावा किया कि उसने भारतीय सेना के कुछ विमानों को जवाबी हमले में तबाह किया .

सीज़फायर :
पाकिस्तान के सैन्य ऑपरेशंस से महानिदेशक ( dgmo , pakistan ) ने इसके बाद फोन कॉल करके भारत के डीजीएमओ से बात की जिसके बाद भारत – पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम हुआ लेकिन इससे पहले कि इस बारे में भारत की तरह से घोषणा की जाती , अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( us president donald trump ) ने कुछ घंटे पहले ही इसका ऐलान कर डाला. यही नहीं डोनाल्ड ट्रंप ने  इस बात का भी दावा किया कि भारत – पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करते हुए अमेरिका ने सीज़फायर करवाया है .

विवाद और सियासत : 
पाकिस्तानी कार्रवाई में भारत की सेना को हुए नुक्सान के बारे में खुलासा करना और अमेरिका की सीजफायर में भूमिका को भारत में सियासी युद्ध छिड़ गया. विपक्ष के इस रुख की केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने सरकार की हिमायत करते हुए विपक्ष की आलोचना की लेकिन इन दोनों बिन्दुओं पर कभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं की. एक बार नहीं ट्रम्प ने अपने दावे के इसके बाद भी दोहराया. ट्रम्प के इस तरह के बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुए.

अब दो महीने बाद  लोकसभा में 28 जुलाई को शुरू हुए मानसून सत्र के पहले दिन इस ‘ ऑपरेशन सिन्दूर ‘ पर चर्चा के दौरान भारत सरकार ने स्थिति स्पष्ट की . विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में दिए अपने बयान साफ़ साफ़ कहा कि भारत – पाकिस्तान के बीच सीज़फायर कराने में अमेरिका ने कोई मध्यस्थता नहीं निभाई.

वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  ( defence minister rajnath singh ) ने अपने बयान में बताया कि 10 मई की सुबह, जब भारतीय वायु सेना ने कई पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर भारी हमले किए, तो पाकिस्तान ने हार मान ली और युद्ध विराम की पेशकश करने लगा.