बाढ़ में फंसी महालक्ष्मी एक्सप्रेस के 1,050 यात्रियों को तीनों सेनाओं ने सकुशल बचाया

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भारतीय नौसेना ने इस तरह बचाया ट्रेन यात्रियों को.

मुंबई से कोल्हापुर जा रही महालक्ष्मी एक्सप्रेस (17411) के बाढ़ में फंस जाने के कारण करीब 1,050 यात्री लगभग 12 घंटे ट्रेन में अटके रहे. राज्य सरकार की सुरक्षा और प्रशासनिक एजेंसियों और भारत की तीनों सेनाओं के अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बचाव दलों के अथक प्रयासों से शनिवार शाम चार बजे तक सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इस आपरेशन की निगरानी खुद कर रहे थे.

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ट्रेन यात्रियों को बचाने के लिए वायुसेना के हेलिकाप्टर का भी प्रयोग किया गया.

मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में शुक्रवार सुबह से ही रह-रहकर भारी बारिश हो रही थी. इस कारण मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित बदलापुर स्टेशन और वांगणी गांव के बीच उल्हास नदी का पानी अचानक रेल की पटरियों पर आ गया और पटरियां डूब गईं. मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी एके जैन के मुताबिक, ट्रेन तड़के 3.53 बजे बदलापुर से आगे बढ़ी तो वांगणी पार करने से पहले ही पटरियों के पानी में डूब जाने के कारण उसका आगे बढना मुश्किल हो गया. खतरा यह भी था कि जलस्तर कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा था.

यात्रियों के फंसे होने की खबर मिलते ही ठाणे आपदा प्रबंधन, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), नौसेना, वायु सेना, थल सेना, स्थानीय पुलिस, आरपीएफ और स्थानीय ग्रामवासियों ने मिलकर बचाव कार्य शुरू कर दिया. नौसेना ने अपने विशेषज्ञ गोतोखोरों को भी बचाव अभियान में लगाया तो वायु सेना के दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर अभियान में जुटे थे. सेना के 130 जवानों ने यात्रियों तक खाद्य सामग्री, पेयजल और अन्य राहत सामग्री पहुंचाई.

यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए आठ हल्की नौकाओं का प्रयोग किया गया. पहले महिलाओं और बच्चों को, उसके बाद पुरुषों को निकाला गया. सुरक्षित निकाले गए यात्रियों में नौ गर्भवती महिलाएं भी शामिल थीं.

जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के निर्देश पर नौसेना की टीमें और उसके दो हेलीकॉप्टर भी बाढ़ में फंसी ट्रेन पर मंडरा रहे थे. कुछ लोगों को सी-किंग हेलीकॉप्टर से भी बाहर निकाला गया.