नगालैंड में सेना को मिले विशेष अधिकार हटाने की तैयारी..! अभी समीक्षा होगी

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AFSPA
सांकेतिक तस्वीर

भारत के सीमांत राज्य नगालैंड में दशकों से लागू सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को हटाने को लेकर समीक्षा की जा रही है. इसके लिए 5 सदस्यों वाली समिति बनाई गई है जो 45 दिन में रिपोर्ट देगी. दूसरी तरफ भारत के बॉर्डर वाले केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में इस तरह की समीक्षा किये जाने की संभावना से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने साफ़ साफ़ इनकार किया है.

नगालैंड में 4 और 5 दिसंबर की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में सेना के हाथों 14 नागरिकों के मारे जाने के बाद शुरू हुए विरोध के मद्देनज़र हालात काबू करने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है. सेना ने मोन ज़िले में ट्रक में जा रहे मजदूरों को आतंकवादी समझ कर गोलियां चलाई थीं. यही नहीं इस घटना के विरोध में इकट्टा हुए मृतकों के परिवार और स्थानीय लोगों ने जब सवाल खड़े किये तो उन पर भी गोली चली, इस घटना में और लोग मारे गये.

नगालैंड के मोन ज़िले के ओटिंग-तीरू गांव की इन घटनाओं की जांच के लिए सरकार ने विशेष जांच दल (एस आई टी – SIT) बनाया जिसे एक महीने में अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. वहीं नागालैंड में इसके बाद विरोध का सिलसिला जारी है और सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून हटाने की मांग जोर पकड़ रही है. विधान सभा ने इस कानून को हटाने के लिए मांग के तहत बिल भी पास किया है. 6 साल से भी कम समय में यह तीसरा मौका है जब नगालैंड विधानसभा ने अफस्पा के विरोध में बिल पास किया गया है.

भारतीय सुरक्षा बलों को नागा सशस्त्र विद्रोह से निपटने के लिए विशेष शक्तियां देने के लिए 1958 में संसद द्वारा AFSPA अधिनियमित किया गया था. बता दें कि जिन इलाकों में अफस्पा लागू है वहां, यह बिना वारंट के लोगों को हिरासत में लेने और उन्हें गिरफ्तार करने की छूट देता है.

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी विशेष अधिकार कानून की समीक्षा करने वाली इस पांच सदस्यीय समिति के अध्यक्ष बनाये गए हैं जो इसका नेतृत्व करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे. समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और असम राइफल्स के महानिदेशक (डीजी) हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक करने के 3 दिन बाद इस समिति का गठन किया गया है. दिल्ली में 23 दिसंबर को हुई बैठक में नागालैंड के उप मुख्यमंत्री वाई पैटन और नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टी आर जेलियांग भी शामिल थे.

ओटिंग-तिरू गांव में 4 दिसंबर को सेना की 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज की टुकड़ी ने फायरिंग की थी. इसके अलावा 5 दिसंबर को भी एक व्यक्ति की जान गई और 35 लोग घायल हुए. इस संबंध में, नागालैंड विधानसभा ने 20 दिसंबर को अफ्सपा (AFSPA) के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया. पिछले 6 साल से भी कम समय में यह तीसरा मौका है जब नगालैंड विधानसभा ने अफस्पा के विरोध में बिल पास किया है.

जम्मू कश्मीर :

इस बीच केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून हटाने या इसकी समीक्षा करने की बात को एक तरह से सिरे से ख़ारिज कर दिया. कल एक प्रेस कान्फ्रेंस में पूछे गये सवाल के जवाब में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि इस बारे में चिंता करने की बात नहीं है और मुझे नहीं लगता कि इसकी कोई ज़रूरत है.