एक जवान को बचाने की खातिर जान दे दी भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने

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लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी
भारतीय सेना के एक युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपने साथी सैनिक को  बचाने की खातिर खुद की जान कुरबान  कर दी.  शशांक सिर्फ 23 बरस का था और सेना में शामिल हुए बमुश्किल 6 महीने ही हुए थे . शशांक का परिवार उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रहता है . यह दुर्घटना 22 मई को  सिक्किम में  हुई . राजकीय सम्मान के साथ  शशांक का अंतिम संस्कार शनिवार को अयोध्या में किए जाने की तैयारी है . शशांक के शोक संतप्त परिवार ,यीन माता पिता और बहन है.

असल में  22 मई को गश्त के दौरान उनके साथी अग्निवीर जवान का पैर फिसल गया और वह पहाड़ी नदी में गिर गया था . लेफ्टिनेंट  शशांक ने उसे बचाने के लिए नदी में छलांग लगाई. उस जवान की जान तो बच गई लेकिन शशांक पानी के भाव में फंस कर बह गए . वे 23 मई को मरत अवस्था में मिले.

बचपन से ही सेना में शामिल होकर देश सेवा करने की सच्ची लगन अयोध्या के तिवारी परिवार के होनहार बालक शशांक को सेना के दरवाजे पर ले आई . शशांक  ने 2019 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी  ( national defence academy ) की परीक्षा पास कर ली थी .। ट्रेनिंग के बाद उन्हें 17 दिसंबर 2024  को  शशांक को सेना में लेफ्टिनेंट के तौर  पर कमीशन मिला. पूर्वोत्तर भारत के  सिक्किम में उनकी पहली पोस्टिंग हुई .  अयोध्या जिला प्रशासन ने शुकवार रात तक शशांक का पार्थिव शरीर लाने जाने की उम्मीद ज़ाहिर की थी . उसी के मुताबिक शनिवार को  जमथरा घाट पर उनका अंतिम संस्कार करने की जानकारी दी गई .

होनहार विद्यार्थी शशांक :
शशांक ने स्कूल की शुरूआती शिक्षा अयोध्या के केजिंगल बेल पाई थी लेकिन  2019 में जेबीए एकेडमी से इंटरमीडिएट किया था .  उसी साल  पहली ही कोशिश में शशांक ने  राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ( एनडीए ) के इम्तेहान  में  कामयाबी पा ली . तिवारी  परिवार अयोध्या की कौशलपुरी कॉलोनी में रहता है. उनके पिता जंग बहादुर तिवारी मर्चेंट नेवी के अधिकारी  हैं.  वह वर्तमान में अमेरिका में  हैं . पुत्र की दुर्घटना की खबर सुनते ही वे भारत के लिए रवाना हो गए लेकिन अभी तक शशांक के बारे में उनकी मां नीता तिवारी को नहीं बताया गया.

बीमार है  हैं मां :
लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी  की बड़ी बहन दुबई में रहती है, लेकिन इन दिनों  अपनी मां नीता तिवारी की तबीयत खराब होने  के कारण मायके  अयोध्या में आई हुई हैं.  मां को हृदय रोग है . कहीं सदमा न सह  पायें इसलिए  उनको  शशांक के इस दुनिया में n रहने के बारे में तुरंत बताया नहीं गया .  परिवार को डर लग रहा था  कि यह खबर सुनकर उनकी तबीयत कहीं ज्यादा बिगड़ न  जाए.

ऐसे हुई दुर्घटना :
दरअसल , 22 मई को लेफ्टिनेंट शशांक के नेतृत्व में सिक्किम में सेना का एक गश्ती दलएक महत्वपूर्ण टेक्टिकल ऑपरेटिंग बेस की तरफ  जा रहा था. उनको  भविष्य की तैनाती की तैयारी के लिए एक खास  चौकी पर पहुंचना था. सुबह करीब 11 बजे  यह दल एक लॉग ब्रिज पार कर रहा था . उसी समय  उनकी टीम के अग्निवीर जवान स्टीफन सुब्बा का पैर फिसल गया और वह नीचे तेज गति से बह रही पहाड़ी नदी में जा गिरा . अपने साथी को नदी में गिरता देखकर लेफ्टिनेंट तिवारी ने  उसको बचने के लिए तुरंत छलांग लगा दी.  एक और जवान नायक पुकार काटेल ने भी शशांक के  साथ छलांग लगाई. दोनों ने मिलकर सुब्बा को तो  सुरक्षित जगह पहुंचा दिया लेकिन पानी की  धारा तेज़ थी जिसमें लेफ्टिनेंट शशांक  तिवारी फंस गए और पानी भा ले गया।