कश्मीर में आतंकियों ने छुट्टी पर आये सैनिक मुख्तार अहमद को घर में घुसकर मार डाला

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मुख्तार अहमद
प्रांतीय सेना (Territorial Army) में लांस नायक मुख्तार अहमद मलिक की फाइल फोटो.

भारत के आतंकवाद प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर में एक भारतीय सैनिक के परिवार को हैवानियत भरी त्रासदी से गुज़रना पड़ रहा है. ये परिवार दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के रहने वाले सैनिक मुख्तार अहमद मलिक का है जिसे आतंकवादियों ने सोमवार सुबह उसी के घर में घुसकर मार डाला. मुख़्तार प्रांतीय सेना (Territorial Army) में लांस नायक था और अपने बेटे के अंतिम क्रिया से जुडी धार्मिक रस्म पूरी करने के लिए छुट्टी लेकर घर आया था.

आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के शुरत गाँव के रहने वाले इस मुख्तार के परिवार पर दुःख का पहाड़ तो हाल ही में टूटा था जब उसके जवान बेटे की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी. अठारह साल के बेटे की पिछले हफ्ते हुई मौत की वजह से, टेरेटोरियल आर्मी की 162 बटालियन का लांस नायक, 43 वर्षीय मुख्तार अहमद मलिक क्रियाकर्म के लिए छुट्टी लेकर गाँव आया हुआ था.

पुलिस के मुताबिक सोमवार (17 सितम्बर) की सुबह आतंकवादी शुरत गाँव के उसके घर में घुस आये जो हथियारों से लैस थे. आतंकवादियों ने पहले तो सैनिक मुख्तार अहमद मलिक से सवाल जवाब वाले लहज़े में पूछताछ की और फिर नज़दीक से ही उसे गोली मार दी और फरार हो गये. घायल मुख्तार को परिवार वाले पास के अस्पताल लेकर गये लेकिन तब तक मुख़्तार के प्राण निकल चुके थे.

मुख्तार अहमद
प्रांतीय सेना (Territorial Army) में लांस नायक मुख्तार अहमद मलिक को अस्पताल में बचाने की कोशिश नाकाम रही.

असल में आतंकवादी मुख्तार के एक दोस्त का पीछा करते करते उसक घर तक पहुंचे. उस वक्त लांस नायक मुख़्तार अहमद मलिक पहली मंजिल पर था. आतंकवादियों ने जब उससे ज्यादा सवाल किये तो उसने और सवाल पूछने से मना कर दिया. इसके बाद आतंकियों ने मुख्तार अहमद को गोली मार दी.

इस घटना के फ़ौरन बाद पुलिस, केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और अन्य सुरक्षा बलों ने इलाके में तलाशी शुरू की लेकिन देर शाम तक हमलावर आतंकियों का पता नहीं लग सका.

मुख़्तार अहमद मलिक 1994 से 2002 तक उस इक्वान गुट में था जो सरकार के पक्ष में आतंकवादियों का खात्मा कर रहा था. 2002 में इक्वान को भी खत्म कर दिया गया था और उसके कई सदस्यों को भारतीय सेना में भर्ती किया गया. मुख्तार अहमद मलिक इक्वान का कमांडर भी था और उसको भी तब टेरेटोरियल आर्मी में भर्ती किया गया था और वो 162 वीं बटालियन से अटैच था. वैसे लोग मुख्तार अहमद मलिक को मुख्तार गोला के नाम से भी जानते थे.

पुलिस और सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने शहीद मुख्तार पर की कायराना तरीके से की गई हत्या की निंदा की है.