महार रेजिमेंट के पूर्व सैनिकों ने यूँ मनाया चंडीगढ़ में हैप्पी बर्थ डे

636
भारतीय सेना की ऐतिहासिक महार रेजिमेंट का स्थापना दिवस मनाने के लिए चण्डीगढ़ में इकट्ठा हुए पूर्व सैनिक.

भारतीय सेना की ऐतिहासिक महार रेजिमेंट का स्थापना दिवस मनाने के लिए चण्डीगढ़ में इकट्ठा हुए पूर्व सैनिकों के लिए वो पल बेहद भावुक रहे जब रेजिमेंट के सबसे उम्रदराज़ साथी 93 वर्षीय लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) के एस मंगत ने केक काटने की रस्म अदा की. महार रेजिमेंट के 78 वें जन्मदिन का ये केक काटने के लिए रेजिमेंट के चंडीगढ़ चैप्टर के पूर्व सैनिक डिफेन्स सर्विसेज़ ऑफिसर्स इंस्टिट्यूट (डीएसओआई) में इकट्ठा हुए थे.

डीएसओआई चण्डीगढ़ में आये ये पूर्व सैनिक चंडीगढ़ और आसपास के मोहाली व पंचकुला से ताल्लुक रखते हैं. इनमें सबसे ज्यादा उम्र वाले क्यूंकि लेफ्टिनेंट कर्नल मंगत थे इसलिये केक भी उन्हें ही काटने के लिए कहा गया. पूर्व सैनिकों के साथ उनकी पत्नियाँ और परिवारजन भी इस ख़ुशी में शामिल हुए. वीर नारियों ने भी इस मौके पर शिरकत की. चंडीगढ़ में महार रेजिमेंट के स्थापना दिवस का कार्यक्रम आयोजित करने का ये लगातार दूसरा मौका था.

यूँ तो महार स्काउट्स और सैनिकों की भर्ती का इतिहास मराठा राजा शिवाजी के समय का है. वर्तमान भारतीय सेना की महार रेजिमेंट की स्थापना 1 अक्टूबर 1941 को बेलगाम में की गई थी. 78 बरसों के इस इतिहास में महार रेजिमेंट ने द्वितीय विश्व युद्ध और आज़ाद भारत की कई जंग में हिस्सा लिया. इनमे खासतौर से वो चुनौतीपूर्ण जंग भी थी जो भारत की आजादी के वक्त लड़ी गई. ये रेजिमेंट संयुक्त राष्ट्र और कई शान्ति मिशन में काम करने के अलावा घुसपैठियों और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाइयों को अंजाम दे चुकी है.

विभिन्न जंगों और ऑपरेशंस के दौरान इसके कई जवान और अधिकारी शहादत को प्राप्त हुए. अपने बिछड़े साथियों को यहाँ आये पूर्व सैनिकों ने याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की.

ऐसे बनी और बदली महार रेजिमेंट :

महार रेजिमेंट (फाइल फोटो)

महार रेजिमेंट अपने कारनामों के बूते कई सैन्य सम्मान पा चुकी है जिनमें अशोक चक्र और परमवीर चक्र भी शामिल हैं. ‘बोलो हिन्दुस्तान की जय’ के युद्ध उद्घोष के साथ दुश्मन पर हमला बोलने वाली ये थल सेना की इन्फेंटरी रेजिमेंट है. यश सिद्धि इसका ध्येय वाक्य है. महार रेजिमेंट का जब गठन हुआ था तब इसमें सिर्फ महाराष्ट्र के महार समुदाय के सैनिक ही हुआ करते थे. बाद में इसके इस स्वरूप में बदलाव किया गया. अब ये भारतीय सेना की उन कुछ रेजिमेंट में से है जिसमें सभी समुदाय के सैनिक हैं.