आदेश के बावजूद एक साल से लटकी महिला सैनिक अफसर की सेवा बहाली , नाराज़ एएफटी ने रक्षा सचिव अरमाने को तलब किया

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Principal Bench of the Armed ForcesTribunal in New Delhi

भारतीय सेना की एक महिला लेफ्टिनेंट कर्नल को सेवा में बहाल करने का निर्देश देने वाले सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के आदेश को लागू न करने से नाराज, नई दिल्ली में न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ के अध्यक्ष ने रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने को 8 मई को तलब किया है.

न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ  ने  लेफ्टिनेंट कर्नल नंदिता सत्पथी की सेवा में बहाली का आदेश अप्रैल 2023 को दिया था .  रक्षा मंत्रालय (Ministry of defence ) ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका ( special leave petetion) के ज़रिए अपील की थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने  इसे सितंबर 2023 में खारिज कर दिया था. इसके बावजूद मंत्रालय ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू करने में नाकाम  रहा.

यह केस  जब सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन और लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती (सेवानिवृत्त) की पीठ के सामने आया तब उन्होंने किसी भी कानूनी कार्रवाई के लंबित रहने तक रक्षा सचिव को ट्रिब्यूनल के  समक्ष पेश होने का आदेश जारी किया.

यही नहीं नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए पीठ ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधिकरण के समक्ष 1,800 से अधिक मामले लंबित हैं जिनमें महीनों और वर्षों से उसके आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है.

पीठ ने कहा, “यह मामला  इस न्यायाधिकरण की तरफ से  पारित आदेशों के कार्यान्वयन से निपटने में प्रतिवादी का   दयनीय और लचर तरीका ज़ाहिर करता है . ”

असल में जब ट्रिब्यूनल का आदेश तय वक्त में  लागू नहीं किया गया, तो लेफ्टिनेंट कर्नल नंदिता सत्पथी ने चार महीने बाद, 25 अगस्त, 2023 को निष्पादन आवेदन दायर किया.

ट्रिब्यूनल ने कहा , “जब मामला 6 सितंबर, 2023 को सामने आया तो हमें सूचित किया गया कि 1 सितंबर, 2023 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक एसएलपी दायर की गई है और इस न्यायालय ने कहा कि सिर्फ  एसएलपी दाखिल करने से निष्पादन कार्यवाही रद्द नहीं होगी और जब तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने सहित उचित आदेश जारी नहीं किए जाते. तब तक उत्तरदाताओं को निर्धारित समय के भीतर इस ट्रिब्यूनल के आदेश पर अमल करना ज़रूरी  है.  इसके बावजूद, हमने प्रतिवादियों को आदेश अमल में लाने  के लिए मोहलत दी. आखिरकार , जब मामला 29 सितंबर, 2023 को उठाया गया तो हमें सूचित किया गया कि मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आया है और 22 सितंबर, 2023 को भारत संघ की तरफ से  दायर एसएलपी खारिज कर दी गई है, ” पीठ ने कहा विख्यात.

प्रधान पीठ ने कहा कि मामले को किसी न किसी बहाने से लटकाया गया है.  इसमें कहा गया है कि मंत्रालय की तरफ से  दायर हलफनामा  इशारा करता है कि वह की कोशिश कर रहा था कि ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू नहीं करना सुनिश्चित किया जाए.

कोर्ट की अवमानना :
“अदालत के आदेशों के प्रति अल्प सम्मान” को चिह्नित करते हुए, पीठ ने कहा कि यह अदालत की घोर अवमानना से कम नहीं है, जिसके लिए ट्रिब्यूनल ने , सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा 19 ,25 और 29  मरीं निहित  शक्तियों के भीतर डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पहले ही एक बड़ी पीठ गठित कर दी है .