कर्नल नवजोत बल : ऐसा जिंदादिल योद्धा तो लाखों में एक ढूँढ पाना भी मुश्किल है

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कर्नल नवजोत सिंह बल का दाहिना हाथ कैंसर की वजह से काट दिया गया था. बाएं हाथ से ली गई अपनी अंतिम सेल्फी.

भारतीय फौजियों की जिस्मानी और जेहनी तौर पर मजबूती के साथ जिंदादिली की मिसाल वाली कहानियाँ जब भी कही और सुनी जायेंगी तो उनमें कर्नल नवजोत सिंह बल का भी ज़िक्र कहीं न कहीं ज़रूर होगा. कश्मीर में आतंकवादियों का पीछा करने के दौरान आमने सामने की लड़ाई में उनमें से दो को ढेर करने के बाद लौटे स्पेशल फोर्सेस के इस कमांडो नवजोत सिंह बल को जांबाज़ी के लिये शौर्य चक्र से 2008 में सम्मानित किया गया था. ये घटना कश्मीर की लोलाब घाटी में हुई थी.

आखिरी फोटो खुद ली :

पंजाब के अमृतसर के फ़ौजी परिवार से ताल्लुक रखने वाले 39 साल के कर्नल नवजोत के पिता रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल के एस बल गढ़वाल राइफल्स में थे. 1998 में भारतीय सेना की राष्ट्रीय रक्षा एकेडमी में दाखिल हुए नवजोत सिंह बल ने 2002 में 2 पैरा (स्पेशल फोर्सेस) में कमीशन तो हासिल किया ही और आखिरी सांस तक इस बटालियन के कमान अधिकारी भी रहे. वो भी तब जबकि सबसे खतरनाक रोगों में से एक कैंसर से युद्ध में उन्होंने अपना दाहिना बाजू भी गंवा दिया था. अपनी आखिरी तस्वीर खुद उन्होंने खींची थी. कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में अस्पताल के बिस्तर पर प्राणांत से कुछ घंटे पहले बायें हाथ से ली गई उनकी ये सेल्फी सोशल मीडिया पर लोगों ने बहुत फख्र के साथ शेयर की है. कैंसर के दिए दर्द में भी कर्नल बल तस्वीर में मुस्करा रहे थे.

Col Navjot Singh Bal
भारतीय सेना के शौर्य चक्र से सम्मानित जांबाज कर्नल नवजोत सिंह बल

असली एथलीट :

दिल्ली में धौला कुआं स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के छात्र रहे नवजोत सिंह बल के असीमित हौसले का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दाहिना बाजू ऑपरेशन के दौरान काट दिए जाने के बाद भी उनके भीतर का एथलीट उसी जज़्बे से हिलौरे मारता था. शायद यही वजह थी जो ऐसी शारीरिक अवस्था में भी वो दौड़ते थे. वो भी 100 – 200 मीटर नहीं, हाफ मैराथन यानि 21 किलोमीटर. और तो और उन्होंने दाहिने बाजू से किये जाने वाले काम ही बाएं हाथ से करने शुरू नहीं किये, बंदूक का निशाना लगाने की प्रैक्टिस भी बाएं हाथ से शुरू कर दी थी. फिटनेस को लेकर हमेशा जुनूनी रहे कर्नल नवजोत ने तो एक ही बाजू से पुल अप्स (Pull ups ) करना भी शुरू किया. वो भी 50 की संख्या तक. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि उनके इस जुनून के आगे तो कैंसर ने भी हथियार डाल दिए थे.

कैसर से जंग :

20 मार्च 2018 को 2 पैरा की कमांड सम्भालने के दो महीने भी मुश्किल से उन्हें हुए थे कि दाहिने बाजू में कैंसर की गाँठ का पता चला लिहाज़ा पूरा आपरेशन करके डॉक्टर को पूरा बाजू ही जिस्म से अलग करना पड़ा. ये जनवरी 2019 की बात है. उनके मित्र बताते है कि साइक्लिंग के शौक़ीन कर्नल नवजोत ने अस्पताल से लौटते ही घर पर पहला काम तो साइकिल को मोडिफाई करने का प्लान बनाया. बाजू बेशक अलग कर दिया गया था लेकिन कैंसर के कीटाणु उनके जिस्म में बाद में फ़ैल गये थे हालांकि उनकी कीमोथेरेपी भी हुई थी. लेकिन इन तमाम मुश्किल भरे हलात के बावजूद वो अपने इलाज के साथ साथ ड्यूटी करते रहे. अप्रैल में ही उनकी हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्होंने दूसरे अधिकारी को 2 पैरा बटालियन की कमान सौंपी.

देश विदेश में ऑपरेशंस :

आतंकवाद निरोधक कई ऑपरेशंस में हिस्सा ले चुके कर्नल नवजोत बल संयुक्त राष्ट्र के मिशन पर कांगो में भी तैनात रहे थे. 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त कर्नल नवजोत बल भारतीय सेना की उत्तरी कमांड के ऑपरेशन कमांडो दल में थे.

कर्नल नवजोत के शोक संतप्त परिवार में पत्नी आरती और दो बेटे हैं. इनमें एक तो आठ साल का और छोटा 4 साल का है.