मतदान के लिए जवानों से उनकी पसंद पूछते हैं सेना के अधिकारी

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मतदान
प्रतीकात्मक फोटो

भारत के सीमावर्ती लदाख लोकसभा निर्वाचन में तैनात सैनिकों से उनके मतदान करने में प्राथमिकता पूछे जाने की शिकायत मिली है. लद्दाख सीट की निर्वाचन अधिकारी एनवी लवासा ने इस बारे में 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC 14 Corps) को पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि सेना के अधिकारियों को ताकीद की जाये कि वो जवानों से मतदान के लिए उनकी पसंद ना पूछें.

असल में ये पूरा मसला तब सामने आया जब यहाँ से लोकसभा चुनाव लड़ रहे दो उम्मीदवारों ने शिकायत की कि सेना के इलेक्ट्रोनिक पोस्टल बैलेट कमान अधिकारी फोन करके जवानों से मतदान में उनकी प्राथमिकता पूछ रहे हैं. शिकायत करने वालों में कांग्रेस के बागी असगर अली करबलाई और सज्जाद हुसैन करगिली हैं.

निर्वाचन अधिकारी एनवी लहासा ने कल ये पत्र सेना को भेजा है. उनका कहना है कि सेना के अधिकारी जवानों को मतदान करने के लिए बैलेट पेपर सप्लाई नहीं करते. इतना ही नहीं ये मतदान देने में बरती जाने वाली आवश्यक गोपनीयता का उल्लंघन भी है जो आपराधिक मामला भी है. लिहाज़ा ऐसे मामले में कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.

निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि पत्र संवेदनशील सैन्य अधिकारी को भेजा गया है ताकि मतदान करने की प्रक्रिया की शुद्धता बनाई रखी जा सके. सज्जाद हुसैन करगिली का कहना है कि पहले भी सैनिकों की तरफ से इस तरह की शिकायतें आती रही हैं और ये शिकायतें खासतौर से लद्दाख स्काउट्स और अर्द्धसैन्य बल के जवानों की तरफ से मिली हैं. इन जवानों को उनका उनका बैलेट पेपर दिया ही नहीं जाता.

अंग्रेज़ी अखबार द ट्रिब्यून के मुताबिक़, सेना का कहना है कि इस तरह की शिकायतें नहीं मिली हैं और ये छवि खराब करने वाला काम है. सेना के जनसम्पर्क अधिकारी कर्नल राजेश ने इस मामले की गहराई से पड़ताल कराए जाने की जानकारी देते हुए कहा है कि सेना गैर राजनीतिक है और इसके मूल्यों को बनाये रखने के लिए पूरी शिद्दत से काम किया जाता है.

लदाख लोकसभा सीट पर पोस्टल बैलेट का काफी महत्व है. सज्जाद हुसैन करगिली मिसाल देते हुए कहते हैं कि 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थुप्स्तन चेह्वांग मात्र 36 वोट से तब जीते थे जब पोस्टल बैलेट पेपर की गिनती हुई. 2019 के चुनाव में लद्दाख में चार हज़ार पोस्टल बैलेट बांटे गये हैं.