भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) आज (8 अक्टूबर) अपना 86वां स्थापना दिवस मना रही है. वायु सेना का ध्येय वाक्य है….नभः स्पृशं दीप्तम् -Touch the Sky with Glory. इस सेना के गठन और समय समय पर किये गये बदलाव का दिलचस्प इतिहास है. भारतीय वायु सेना से जुड़ी आठ बातें :
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भारतीय वायु सेना का गठन 8 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासन ने किया था और तब ये ब्रिटेन की वायु सेना की सहायक सेना थी. इसे तब रायल इंडियन एयरफ़ोर्स कहा जाता था. 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद इसके नाम के आगे से ‘रायल’ शब्द हटाया गया.
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भारतीय वायुसेना की पहली स्क्वाड्रन (स्क्वाड्रन-1) की शुरुआत पांच पायलटों और 4 विमानों से हुई थी. इसके कमांडिंग अफसर फ्लाइट लेफ्टिनेंट सेसिल बौशियर (Cecil Bouchier) थे.
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भारतीय वायु सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना के हिस्से के तौर पर पहला हमला जापान में किया था.
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भारत की आजादी से पहले भारतीय सेना का कमांडर इन चीफ ही एयर फोर्स को नियंत्रित करता था. एयर मार्शल सर थामस वाकर एल्मिर्स्ट को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने इंडियन एयर फोर्स को सेना के नियंत्रण से मुक्त कराया और स्वतंत्र फोर्स बनाया.
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इस स्क्वाड्रन की कमान 1943 में, बतौर कार्यकारी स्क्वाड्रन लीडर, सम्भालने वाले अधिकारी अर्जन सिंह बाद में वायु सेना के प्रमुख भी बने. मार्शल आफ एयर फ़ोर्स का ओहदा पाने वाले अर्जन सिंह ही अब तक के अकेले सैन्य अधिकारी हैं. उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था. 98 वर्ष की उम्र में सितम्बर 2017 में उनका देहांत हुआ.
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भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय प्रमुख सुब्रतो मुखर्जी थे जो सबसे पहली गठित स्क्वाड्रन के पांच पायलटों में से एक थे. वह 1 अप्रैल 1954 को एयर स्टाफ के चीफ बने. वो फ़ुटबाल प्रेमी थे. टोक्यो में एक रेस्त्रां में उनके निधन के बाद ही उनकी याद में सुब्रतो कप फुटबाल टूर्नामेंट शुरू किया गया.
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वर्तमान में इसके प्रमुख एयर चीफ मार्शल बिरेंदर सिंह (बीएस) धनोवा हैं.
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इंडियन एयर फ़ोर्स की पांच एयर कमांड हैं. इनके अलावा एक ट्रेनिंग कमांड और एक मेंटेनेंस कमांड है. इसके कार्मिकों की कुल संख्या 1 लाख 40 हजार के आसपास है.