सीबीआई मुख्यालय में अधिकारियों के लिए ‘जीने की कला’ के तीन दिन

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जीने की कला सीखते सीबीआई के 150 अधिकारी. साथ में सीबीआई के प्रभारी निदेशक 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी सी नागेश्वर.

भारत में अपराधों की जांच के लिए तेज़ तर्रारी के लिये मशहूर लेकिन अब प्रतिष्ठा बचाने के लिए संघर्ष कर रही एजेंसी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानि सीबीआई अपने अधिकारियों के व्यक्तित्व को निखारने और मज़बूत करने के लिए श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट आफ लिविंग फाउंडेशन की मदद ले रही है. दिल्ली में लोदी कालोनी में सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित सीबीआई मुख्यालय में तीन दिन तक अलग अलग किस्म के सत्र के जरिये आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के विशेषज्ञ इसके 150 अधिकारियों को जीने की कला सिखा रहे हैं.

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जीने की कला सीखते सीबीआई के अधिकारियों के साथ सीबीआई के प्रभारी निदेशक 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी M Nageshwar Rao.

सीबीआई के प्रवक्ता के मुताबिक़ इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में अलग अलग रैंक के अधिकारियों से लेकर प्रभारी निदेशक एम नागेश्वर राव भी हिस्सा रहे हैं. सीबीआई के मुताबिक़ तीन दिन (10 , 11 और 12 नवंबर) की इस वर्कशॉप का मकसद अधिकारियों में सकारात्मकता में बेहतरी, तालमेल में वृद्धि और स्वस्थ वातावरण बनाना है ताकि स्टाफ की अधिकतम क्षमता हासिल कर सके.

अभी ये स्पष्ट नहीं है कि विवाद के बाद छुट्टी पर भेजे गये सीबीआई के निदेशक और भारतीय पुलिस सेवा के यूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा और विशेष निदेशक व गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना इन तीन दिनों में कभी वर्कशाप में हिस्सा लेंगे या नहीं.

उल्लेखनीय है कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना ने ही एक दूसरे पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के इलज़ाम लगाये थे जिसके बाद सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेजते हुए केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी – CVC) से जांच कराने का फैसला लिया था. ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट और फिर भारत की सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी जांच की सुपरविजन के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की तैनाती की. साथ ही पन्द्रह दिन बाद मामले की अगली सुनवाई का दिन मुक़र्रर किया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी नागेश्वर को प्रभारी निदेशक के तौर पर काम जारी रखने को कहा लेकिन इस ताकीद के साथ कि वह कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे.