सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ एएफटी के जस्टिस डीसी चौधरी के तबादले पर रोक लगाई

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जस्टिस डी सी चौधरी

भारत के सर्वोच्च न्यायालय  के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ , न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने  सशस्त्र बल पंचाट ( armed forces trubunal )  की चंडीगढ़ पीठ के प्रमुख न्यायमूर्ति  धरम चंद  चौधरी को कोलकाता स्थानांतरित किये जाने के आदेश पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है . साथ ही सर्वोच्च न्यायालय (supreme court ) की पीठ ने स्थानांतरण आदेश दिए जाने की परिस्थितियों के बारे में  सशस्त्र बल पंचाट के अध्यक्ष से रिपोर्ट भी मांगी है.

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि अगले आदेश तक जस्टिस चौधरी को कोलकाता में कार्यभार ग्रहण करने की ज़रूरत नहीं है. इस मामले में सशस्त्र बल पंचाट के अध्यक्ष ( chair person of armed forces tribunal ) को 13 अक्टूबर तक सीलबंद लिफ़ाफ़े में रिपोर्ट जमा कराने को कहा गया है .

सर्वोच्च न्यायालय ने चंडीगढ़  सशस्त्र बल पंचाट बार एसोसिएशन ( chandigarh aft bar association ) की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए , स्थानांतरण पर रोक संबंधी यह आदेश पारित किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि न्यायमूर्ति डी सी चौधरी ( justice d c chaudhary ) के स्थानांतरण में रक्षां मंत्रालय ने इसलिए दखल दिया है कि क्योंकि जस्टिस चौधरी ने रक्षा लेखा विभाग ( defence accounts department ) के एक अधिकारी पर , पंचाट के आदेश का पालन न करने पर अदालत की अवमानना प्रकिया शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा है कि चंड़ीगढ़ में सुनी जाने वाली याचिकाओं का निपटारा बिना सुप्रीम कोर्ट की इजाज़त के नहीं होगा .

चंडीगढ़ ए एफ टी बार एसोसिएशन के सदस्यों  ने जस्टिस चौधरी के पंजाब से पश्चिम बंगाल स्थानांतरित किए जाने के आदेश के विरोध में हडताल पर भी हैं . वह  इस स्थानांतरण आदेश को  को ‘ न्यायपालिका पर सीधा हमला ‘ मानते हैं .  चंडीगढ़ ए एफ टी बार एसोसिएशन की तरफ से इस मामले में दलील देने वाले वरिष्ठ वकील के परमेश्वर का कहना है कि अदालत के सामने एक प्रार्थना तो जस्टिस चौधरी के स्थानांतरण के विरोध में थी और दूसरी पंचाट ( tribunal ) के कम करने के तरीके के बारे में थी .

वकील के परमेश्वर का कहना था कि एएफटी रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में है. उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल ने पांच दफा कहा कि कृपया हमारे आदेश को अमल में लाया जाए. उन्होंने कहा कि मंत्रालय की तरफ से आदेश का पालन न किये जाने के कारण 600 याचिकाएं रुकी हुई हैं .

अधिकारियों के खिलाफ सख्त आदेश पारित किये जाने को  कारण जस्टिस चौधरी के चंडीगढ़ से हटाए जाने की पृष्ठभूमि माना जा रहा है . चंडीगढ़ की ए एफ टी बार एसोसिएशन ने बीते महीने में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस वाई वी चन्द्रचूड़ को इस बारे में विस्तृत पत्र भेजा था . 4 अक्टूबर को जस्टिस चंद्रचूड़ को भेजे गए एक अन्य पत्र में ए एफ टी बार ने  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से  ने रक्षा लेखा विभाग के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में  की गई उस टिप्पणी  के संदर्भ में शिकायत भी थी जिससे शक होता  है कि इस  मामले में मंत्रालय का हस्तक्षेप है . रक्षा लेखा विभाग का यह कार्यक्रम यह 1 अक्टूबर को हुआ था जिसका वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ . इसमें रक्षा मंत्री एक अधिकारी को बचाने की बात स्वीकार करते हुए कह रहे थे कि हर किसी को खुश नहीं किया जा सकता.

बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश को भेजी अपनी शिकायत में कहा है कि ए एफ टी की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करने के पीछे कारण चाहे जो हों लेकिन यह न तो वकीलों को स्वीकार है और न ही पुर्व सैनिकों , विकलांग पुर्व सैनिकों और विधवाओं की उस बड़ी आबादी  जो एएफटी के समक्ष की आने वाले ज़्यादातर वादी हैं.