पूरी दुनिया में सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह का सोमवार को सड़क हादसे में निधन हो गया. वह 114 वर्ष के थे. दुर्घटना तब हुई जब फौजा सिंह पंजाब के जालंधर में अपने घर के बाहर टहल रहे थे. उनको एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी. हादसे में फौजा गंभीर रूप से जख्मी हो गए. परिवार के सदस्य उन्हें जलंधर शहर के एक निजी अस्पताल में लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
फौजा सिंह ने सन 2000 में अपनी मैराथन यात्रा शुरू की थी और बुजुर्गों की ऐसी आठ स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था.
फौजा सिंह का मैराथन करिअर :
फौजा सिंह ने अपने मैराथन करिअर की शुरुआत वर्ष 2000 में तब की जब उनकी उम्र 90 साल होने वाली थी. वैसे 2011 में उन्होंने जब टोरंटो मैराथन में हिस्सा लिया तब दुनिया का ध्यान उनकी ओर गया. वे दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक के रूप में मशहूर हुए. लेकिन जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं हो सका था.
फौजा सिंह ने अपने मैराथन करिअर की शुरुआत वर्ष 2000 में तब की जब उनकी उम्र 90 साल होने वाली थी. वैसे 2011 में उन्होंने जब टोरंटो मैराथन में हिस्सा लिया तब दुनिया का ध्यान उनकी ओर गया. वे दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक के रूप में मशहूर हुए. लेकिन जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं हो सका था.
जब बीस किलोमीटर दौड़े फौजा सिंह:
फौजा ने 2012 में लंदन मैराथन में 20 किलोमीटर दौड़ पूरी कर एक बार फिर सबको चौंका डाला. यही नहीं 2013 में 102 वर्ष की आयु में उन्होंने हांगकांग मैराथन में हिस्सा लेकर अपनी अंतिम पेशेवर दौड़ पूरी की.
फौजा ने 2012 में लंदन मैराथन में 20 किलोमीटर दौड़ पूरी कर एक बार फिर सबको चौंका डाला. यही नहीं 2013 में 102 वर्ष की आयु में उन्होंने हांगकांग मैराथन में हिस्सा लेकर अपनी अंतिम पेशेवर दौड़ पूरी की.
दरअसल फौजा सिंह ने एक बार बताया था कि जीवन में एक गहरी व्यक्तिगत क्षति ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया था और वह अवसाद की चपेट में आ रहे थे. तब उन्होंने लंबी दूरी की दौड़ शुरू करने का इरादा किया और अपनी इच्छाशक्ति व आत्मबल से मंजिल हासिल की जिसने असंख्य लोगों को प्रेरणा दी.
यह अवसाद 89 साल की उम्र में एक दुर्घटना में उनकी पत्नी और बेटे की मृत्यु होने के कारण sacanak जीवन में आए खालीपन से पैदा हुआ था. इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया और वे अवसाद से जूझने लगे जिसके बाद उन्होंने लंबी दूरी की दौड़ में शामिल होने का फैसला किया और अपनी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प से दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया।
पांच साल की तक चल नहीं सके थे
फौजा सिंह का जन्म 1911 में हुआ था.वह पांच साल की उम्र तक चल नहीं सके थे. वजह उनके पैर पतले जो कमजोर थे। 90 के दशक में वह अपने बेटे के साथ ईस्ट इंग्लैंड के इलफोर्ड शहर में बस गए थे उन्होंने 89 साल की उम्र में दौड़ को गंभीरता से लिया .