उत्तराखंड ग्राम पंचायत चुनाव: रिटायर्ड आईजी विमला गुंज्याल ने ग्राम प्रधान बन इतिहास रचा

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आईपीएस विमला गुंज्याल

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पुलिस महकमे में 30 साल की सेवा करने के बाद हाल ही में रिटायर हुई आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल ( ips vimla gunjyal) ने एक शानदार इतिहास रच डाला है. उन्होंनें प्रेरणादायक तरीका चुना जिसका उत्तराखंड के गुंजी गांव के लोगों ने न सिर्फ स्वागत किया बल्कि भरपूर समर्थन भी दिया.

विमला गुंज्याल उत्तराखंड पुलिस में आईजी (विजिलेंस) के पद से रिटायर हुई हैं. इससे पहले विमला गुंज्याल एक पुलिस ऑफिसर के तौर पर यूपी मेॅ तैनात थीं. उन्होंने उत्तराखंड के गठन से पहले यानि अविभाजित उत्तर प्रदेश में ही राज्य पुलिस सेवा ज्वाइन की थी. अब तीस साल की खाकी वर्दी में की गई सेवा के बाद भी उन्होंने देश व समाज की खिदमत जारी रखते हुए शहरी सुविधा और आराम को छोड़कर अपने पैतृक गांव गुंजी की सेवा का संकल्प लिया .

विमला गुंज्याल ने केन्द्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC ) की परीक्षा पास नहीं की थी बल्कि वह राज्य पुलिस सेवा (PPS) से तरक्की पाकर आईपीएस ( Indian police service) अधिकारी बनी थीं. अपने काम के बूते उन्होंने एक अच्छा मुकाम हासिल किया. आईपीएस विमला गुंज्याल को उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है.
कहां है गुंजी गांव :
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला ब्लॉक में बसा है गुंजी गांव जो भारत-चीन सीमा पर है. यह इलाका सामरिक नजरिए से बेहद संवेदनशील माना जाता है. इस गांव तक पहुंचना भी आसान नहीं, लेकिन विमला गुंज्याल ने इस कठिन इलाके को ही अपनी भविष्य की कर्मभूमि बनाने का इरादा लिया ताकि ग्रामीण विकास में योगदान दे सकें. इसलिए वो फिर से यहीं बस गई. इसके लिए उन्होंने ग्राम प्रधान के चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला करते हुए पर्चा भरा. गांव वालों ने भी उनके इस फैसले का भरपूर समर्थन किया और निर्विरोध ग्राम प्रधान चुन लिया.

इस कदम का असर:
विमला गुंज्याल का गांव वापस लौटना एक व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है लेकिन यह उस एक सामाजिक बदलाव की नींव भी बन सकता है जिसकी सोच में गांव प्राथमिकता पर हैं. उनका यह कदम ग्रामीण विकास को रास्ते पर लाने के लिए अच्छा , टिकाऊ , सकारत्मक स्थानीय नेतृत्व देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है.