
हिमाचल प्रदेश में कुत्ते बिल्लियों की तरह लड़ते हुए बड़े बड़े अफसरों की लड़ाई के हाई कोर्ट तक पहुंचने और फिर उसके बाद के घटनाक्रम में हुई छीछालेदर के बीच राज्य सरकार को एक कडा फैसला लेना पड़ा. इसके तहत राजधानी शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी , पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा और गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है . आईपीएस अतुल वर्मा तो सिर्फ 4 दिन बाद ही रिटायर होने वाले हैं .
फिलहाल हिमाचल प्रदेश पुलिस की कमान अशोक तिवारी को सौंपी गई है, जो वर्तमान में महानिदेशक (सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) के पद पर तैनात हैं. श्री तिवारी भारतीय पुलिस सेवा के हिमाचल प्रदेश कैडर के 1993 बैच के अधिकारी हैं. वहीं शिमला में पुलिस अधीक्षक ( sp shimla) के पद पर संजीव गांधी की जगह गौरव सिंह को तैनात किया गया है . उनका भी यह अतिरिक्त कार्यभार है. गौरव सिंह 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में शिमला के निकटवर्ती सोलन जिले के एसपी हैं .
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ( cm of himachal pradesh) के नेतृत्व में सरकार के उच्च अधिकारियों की बैठक के बाद मंगलवार को यह फैसला लिया गया. इस पूरे पूरा मामले के केंद्र में यूं तो ‘ मुख्य अभियंता विमल नेगी मौत के की जांच ‘ है लेकिन इसके आगे पीछे के घटनाक्रम में अहम की लड़ाई से उपजा विवाद भी है . फिलहाल सरकार ने अनुशासनहीनता के आरोप में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करते हुए डीजीपी अतुल वर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा और शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी को छुट्टी पर भेजा है . जल्द ही तीनों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने की संभावना है.
हिमाचल प्रदेश विद्युत निगम लिमिटेड ( himachal pradesh power corporation limited) के मुख्य अभियंता विमल नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और उनका शव 18 मार्च को बिलासपुर में गोविंद सागर झील में मिला था. विमल नेगी के परिवार की याचिका पर हाईकोर्ट ने हाल ही में यह मामला जांच के केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया था. इससे पहले विमल नेगी की मृत्यु के केस ( vimal negi death case ) जांच शिमला के एसपी संजीव गांधी के नेतृत्व वाली स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ( sit ) कर रही थी .
डीजीपी अतुल वर्मा 31 मई को रिटायर होने वाले हैं. छुट्टी के उनके लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं. उन्होंने हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में एक पेन ड्राइव के गायब होने का खुलासा किया था, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि उसे केस रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनाया गया था और उसे फॉर्मेट कर दिया गया था. डीजीपी अतुल वर्मा और अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा पर इस मामले में एडवोकेट जनरल अनूप रतन से जांच कराए बिना हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करने का आरोप है. संभावित कानूनी लड़ाई के कारण उन्हें अपनी पेंशन और अन्य लाभ प्राप्त करना और भी मुश्किल हो सकता है.
हिमाचल प्रदेश के गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा से गृह और राजस्व सहित सभी विभागों को वापस लेकर अन्य अधिकारियों को दे दिया गया है. उन्होंने मामले की जांच के लिए तथ्य-खोजी दल का नेतृत्व किया था.
हाई कोर्ट द्वारा केस को ट्रांसफर किए जाने के फैसले के बाद आईपीएस एसपी संजीव गांधी ( ips sanjeev gandhi ) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी . उन्होंने श्री वर्मा ही नहीं पूर्व पुलिस प्रमुख संजय कुंडू , मुख्य सचिव , एक विधायक और अन्य कुछ लोगों के नाम लेकर तरह तरह के आरोप लगाए थे . इसमें डीजीपी अतुल वर्मा के स्टाफ में शामिल कर्मचारियों पर ड्रग तस्करी सिंडिकेट से संबंध होने का भी आरोप लगाया गया था. इसके बाद ही डीजीपी अतुल वर्मा ने एसपी संजीव गांधी के निलंबन की सिफारिश करने संबंधी पत्र भी गृह विभाग को लिखकर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी.