हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा ने शिमला के पुलिस अधीक्षक ( sp simla ) संजीव कुमार गांधी को तत्काल निलंबित करने की औपचारिक सिफारिश राज्य सरकार से की है. उन्होंने संजीव गांधी की तरफ से लगाए गए विस्फोटक आरोपों के जवाब में “कदाचार और अवज्ञा” का हवाला दिया है. यह सिफारिश एसपी गांधी की तरफ से एक दिन पहले सार्वजनिक रूप से लगाए गए आरोपों के बाद की गई है.
हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को लिखे पत्र में डीजीपी अतुल वर्मा (dgp atul verma) ने कहा है कि एसपी संजीव गांधी ने उन पर , एक पूर्व डीजीपी और राज्य के मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और संवैधानिक अधिकारियों के खिलाफ निराधार और अनुचित आरोप लगाए हैं . इस पत्र को मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय से भी साझा किया गया है. पत्र के साथ ही शनिवार को एसपी संजीव गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस विवादास्पद मीडिया बातचीत का वीडियो फुटेज भी भेजा गया है.
शिमला के एसपी संजीव गांधी ने शुक्रवार को प्रेस कॉनफ्रेंस करके सार्वजनिक रूप से एक विधायक और अफसरों पर आरोप लगाए थे. उन्होंने डीजीपी कार्यालय की तरफ से , हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के एक मुख्य अभियंता विमल नेगी की रहस्यमयी मौत की जांच में , बाधा डालने का आरोप लगाया था. संजीव गांधी ने पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा के निजी स्टाफ के एक सदस्य और संजय भूरिया ड्रग तस्करी गिरोह के बीच संबंधों का भी दावा किया.
संजीव गांघी ने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस विमल नेगी की मौत के मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( central bureau of investigation) से कराने संबंधी हाई कोर्ट के आदेश के बाद की थी . संजीव गांधी , नेगी केस की जांच कर रहे विशेष जांच दल ( special investigation team ) का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने कहा था कि सीआईडी कार्यालय से गोपनीय दस्तावेज लीक हुए हैं . एसपी संजीव गांधी ने इसके साथ ही हाई कोर्ट में पेश की गई डीजीपी की स्थिति रिपोर्ट के पीछे की मंशा पर सवाल उठाया था .
डीजीपी वर्मा के पत्र में कहा गया है कि संजीव गांधी ने अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम, 1968 के नियम 3(1) और नियम 7 का उल्लंघन किया है, जो पूर्ण सत्यनिष्ठा को अनिवार्य करता है और एक लोक सेवक के अनुचित आचरण को प्रतिबंधित करता है, और उन्होंने कदाचार से संबंधित हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 87 का भी हवाला दिया. डीजीपी ने आग्रह किया कि एसपी गांधी को तत्काल निलंबित किया जाए और विभागीय जांच और विमल नेगी मामले में चल रही सीबीआई जांच के नतीजे आने तक उन्हें पुलिस मुख्यालय में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया जाए.
चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमय मौत का केस :
हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (hppcl – एचपीपीसीएल) के एक मुख्य अभियंता नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और 18 मार्च को बिलासपुर जिले में मृत पाए गए थे. उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जांच सीबीआई को स्थानांतरित की थी. दरअसल डीजीपी ने इस केस से जुडी जांच की जो रिपोर्ट अदालत को दी थी उसमें कुछ बिंदु जांच की प्रक्रिया की खामियां दर्शाते थे . साथ ही जांच की सत्यनिष्ठा के संबंध में उठाए गए थे . लेकिन एसपी संजीव गांधी के प्रमुख आरोपों में से एक यह था कि डीजीपी ने विमल नेगी की मौत के मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में एक “गैर-जिम्मेदार” और “भ्रामक” हलफनामा दायर किया, जो जांच के तथ्यों को गलत तरीके से पेश करता है. एसपी संजीव गांधी का कहना था कि वह और जांच दल ( एस आई टी ) के सदस्य हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देंगे.
एसपी संजीव गांधी ने दावा किया कि कुछ अधिकारियों को मनगढ़ंत सबूतों के साथ फंसाने की साजिश रची जा रही थी एक साधारण गैस रिसाव विस्फोट को आतंकवादी गतिविधि के रूप में पेश करने का प्रयास किया गया था और आरडीएक्स पाए जाने का दावा किया गया था जबकि फोरेंसिक रिपोर्ट इसके विपरीत संकेत दे रही थी. एसपी ने मुख्य सचिव पर रामकृष्ण आश्रम की भूमि से जुड़े विवाद से संबंधित जांच को छोड़ने के लिए उन पर दबाव डालने का भी आरोप लगाया था .
डीजीपी ऑफिस का कथन :
इस बीच रविवार को हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय ने एक जूनियर अधिकारी द्वारा किए गए “संवैधानिक प्राधिकरण के अनुचित संदर्भ” पर “गहरा खेद” व्यक्त करते हुए एक प्रेस नोट जारी किया है. यह स्पष्टीकरण शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव कुमार गांधी द्वारा एक सार्वजनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद आया है, जिसमें उन्होंने डीजीपी अतुल वर्मा और मुख्य सचिव के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. 25 मई, 2025 को जारी डीजीपी के प्रेस नोट में इस बात पर जोर दिया गया है कि जूनियर अधिकारी द्वारा व्यक्त किए गए विचार “पूरे हिमाचल प्रदेश पुलिस को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं” और कार्यालय को हुई किसी भी असुविधा के लिए “ईमानदारी से खेद” है. इसने यह भी पुष्टि की कि “सभी अधिकारी, सभी रैंक के, अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण में दृढ़ रहते हैं और संवैधानिक संस्थानों की गरिमा को बनाए रखते हैं”.
विधायक सुधीर शर्मा से विवाद :
वहीं धर्मशाला से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुधीर शर्मा ने एसपी गांधी को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें उन्होंने उनके आरोपों का खंडन किया है और प्रेस कॉन्फ्रेंस को “कवर-अप प्रयास” बताया है. एसपी गांधी ने इलज़ाम लगाया था कि सुधीर शर्मा ने बिना अदालत की इजाज़त लिए विमल नेगी के केस की अदालत में चल रही 21 मई की कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग की थी ताकि उनकी ( संजीव गांधी की ) छवि खराब की जा सके. एसपी गांधी पिछले साल हुए राज्य सभा चुनाव में वोट की खरीद फरोख्त के मामले की जांच कर रहे हैं और एसपी का कहना था कि सुधीर शर्मा इसके मास्टर माइंड थे.