पूर्व डीजीपी के पुत्र की मौत का राज़ : नशे की ओवरडोज़ या ज़हर देकर की गई हत्या ?

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पुत्र अकील अख्तर और पिता पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ( फाइल फोटो )

हरियाणा सरकार पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक मोहम्मद मुस्तफा और राज्य की पूर्व मंत्री रज़िया सुलताना के बेटे अकील अख्तर की मौत की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो से करवाए जाने के पक्ष में है . इस बीच, वर्तमान में जांच कर रहे  हरियाणा पुलिस के विशेष जांच दल ( special investigation team ) के प्रमुख ने बताया कि अकील के घर पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ की गई है और घरेलू नौकरों से पूछताछ होनी है . पुलिस ने मृतक का सेलफोन और लैपटॉप भी हासिल कर लिया है .

एसआईटी ( sit ) प्रमुख सहायक पुलिस आयुक्त ( assistant commissioner of police ) विक्रम नेहरा ने पंचकूला में संवाददाताओं को इस केस के बारे बताते हुए कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अकील अख्तर की मौत की वजह पता लगाना है . एसीपी नेहरा ने यह भी कहा कि अकील अख्तर और उसके पिता मोहम्मद मुस्तफा के बीच तनावपूर्ण रिश्ते थे और इसमें कोई शक नहीं है . अकील के अपने  पिता समेत परिवार के अन्य सदस्यों के साथ  वैचारिक स्तर पर काफी मतभेद थे.

उन्होंने बताया  कि अकील के घर पर सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस के 9 कर्मी तैनात थे जिनसे 27 अक्टूबर को पूछताछ कर ली गई थी. इसके बाद घरेलू नौकरों से पूछताछ की जा रही है .

भारतीय पुलिस सेवा के 1985 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी और वीरता के लिए पुलिस पदकों से सम्मानित मोहम्मद मुस्तफा की गिनती धाकड़ पुलिस अधिकारियों में हुआ करती थी . उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना पंजाब के मलेरकोटला से विधायक थीं और पंजाब में कांग्रेस शासनकाल में मंत्री भी रहीं . उनका 35 वर्षीय शादीशुदा पुत्र अकील अख्तर 16 अक्टूबर को पंचकूला के सेक्टर 4 स्थित मनसा देवी कॉम्प्लेक्स में  अपने आवास पर बेहोशी की हालत में मिला था . अकील को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था .

अकील अख्तर ( aqil akhter ) को नशीले पदार्थों के सेवन की लत थी . वो ड्रग्स लिया करता था. इसी आधार पर शुरू में इस मामले को ‘ नशे की ओवरडोज़ ‘ का केस  माना गया . पोस्टमार्टम के बाद  अकील के शव को परिवार ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित पैतृक गांव हरदा खेड़ी में ले जाकर कब्रिस्तान में सुपुर्दे ख़ाक किया .

अकील का वीडियो :
इसी बीच अकील का एक पुराना वीडियो सामने आया जिसे आधार बनाकर मलेरकोटला के शमसुद्दीन चौधरी नाम के शख्स ने पुलिस में  शिकायत दर्ज कराई जिसमें मौत के कारणों को लेकर कुछ संदेह ज़ाहिर आ गया . इसी को बुनियाद मानकर पुलिस ने 20 अक्टूबर 2025 को मोहम्मद मुस्तफा , रज़िया सुल्ताना , अकील की बहन और पत्नी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता ( बीएनएस ) की विभिन्न धाराओं 103 (1 ) ( हत्या )  और 61 ( आपराधिक षड्यंत्र )  के तहत  मामला दर्ज किया .

अकील अख्तर ने यह वीडियो रिकॉर्ड करके 27 अगस्त को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया था जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसके पिता और उसकी पत्नी के बीच नाजायज़ रिश्ते हैं और , मां – बहन  समेत, उसका सारा  परिवार उसकी हत्या कराना या उसे फंसाना चाहता है .  हालांकि बाद में अकील ने वीडियो डिलीट कर दिया था लेकिन इस बीच कुछ लोगों ने यह डाउनलोड कर लिया.

मोहम्मद मुस्तफा ने कहा :
अपने पुत्र अकील अख्तर की मौत के मामले  अपने और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ नामजद एफआईआर को लेकर पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ने 21 अक्टूबर 2025 को सहारनपुर में संवादाताओं से कहा था कि वह एफआईआर दर्ज करने का स्वागत करते है और चाहते हैं कि जांच के ज़रिए सच सामने आए .

वैसे श्री मुस्तफा ने एफ आई आर में लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि यह उनके परिवार को बदनाम करने और सार्वजनिक जीवन में छवि को खराब करने की कोशिश है . उनके बेटे अकील के रेकॉर्डेड वीडियो के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि अकील 18 साल से नशे की लत के कारण परेशान था और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ था. यही नहीं वह अक्सर परिवार वालों के प्रति हिंसक हो उठता था . उनका कहना था कि अकील की हालत उस हद तक बिगड़ गई थी कि उसे होश ही नहीं रहता था कि वि क्या कह रहा है या क्या कर रहा है.

अब तो यहां तक कहा जा रहा है कि कुछ साल पहले जब रजिया सुल्ताना के कूल्हे की हड्डी टूटी थी , वह कोई हादसा नहीं था बल्कि उन पर बेटे अकील अख्तर के हमले का नतीजा था . मोहम्मद मुस्तफा का कहना है कि यह 2008 की घटना है जब अकील ने अपनी पत्नी पर हमला करने की कोशिश की तो रज़िया सुल्ताना उसे रोकने की कोशिश गिर गई थी . मुस्तफा का कहना था कि वह सार्वजनिक जीवन जीते है इसलिए ऐसे मामले परिवार छिपाता रहा लेकिन अब सचाई सामने आनी ही चाहिए.

सीबीआई को केस :
एक अलंकृत पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी  और राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार के अलावा केस के तार हरियाणा , पंजाब और उत्तर प्रदेश से जुड़े होने के कारण यह संवेनशील मामला माना जा रहा है. इसे देखते हुए हरियाणा पुलिस चाहती है कि किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( सीबीआई) करे तो बेहतर होगा. अभी इस पर केंद्र सरकार की मंज़ूरी होने की सूचना नहीं मिली है .