लदाख में बुधवार को हुई तोड़फोड़ , हिंसा , आगज़नी और पुलिस कार्रवाई को लेकर उठे सवालों के जवाब देते हुए पुलिस महानिदेशक डॉ एस डी सिंह जामवाल ने दावा किया कि सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने इसे आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताया और कहा कि अगर यह कार्रवाई न की जाती तो पूरा लेह जलकर राख हो जाता. उन्होंने कहा कि इस हिंसा के सिलसिले में अब तक 44 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
एस डी सिंह ने कहा कि केंद्र शासित क्षेत्र लदाख प्रदेश की राजधानी लेह में बुधवार को हुई हिंसा अभूतपूर्व थी. उन्होंने इसके लिए “निहित स्वार्थों” और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को ज़िम्मेदार ठहराया. सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार करके किया गया है. उनको राजस्थान की जोधपुर जेल में भेज दिए जाने की खबर है .
उल्लेखनीय है कि लदाख को राज्य का दर्जा देने और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों की तरह यहां भी संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार करने की मांग को लेकर काफी समय आंदोलन चल रहा है. इसके तहत जहां लोग अनशन पर बैठे थे वहीं विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ . विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला. प्रदर्शन के हिंसक हो जाने पर पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने भारतीय जनता पार्टी ( bjp ) के लेह कार्यालय में को भी निशाना बनाया. इस दौरान पुलिस और केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल ( सीआरपीएफ) पर पथराव किया.
पुलिस प्रमुख एसडी जामवाल ने , आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे लेह एपेक्स बॉडी ( apex body leh ) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ( kargil democratic alliance ) इस आरोप को खारिज कर दिया कि सुरक्षा बलों ने अंधाधुंध गोलीबारी की. उन्होंने कहा कि यह केवल आत्मरक्षा में और हालात ज्यादा बिगड़ने को रोकने के लिए किया गया था.
डीजीपी जामवाल ने कहा, “अगर आप फुटेज और जिन परिस्थितियों में हमारे सुरक्षा बलों ने काम किया, उन्हें देखें तो उन्होंने बेहद सराहनीय काम किया. दोपहर में शुरू हुई हिंसा के बाद शाम 4 बजे तक स्थिति पर काबू पाने के लिए मैं उन्हें सलाम करता हूँ।”
उन्होंने कहा कि इस झड़प में लगभग 70 से 80 पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी घायल हुए हैं. इनमें से सीआरपीएफ के एक जवान को रीढ़ की गम्भीर चोटें आई हैं . घायलों में नागरिको की तादाद भी उन्होंने लगभग इतनी ही बताई है . इनमें एक लडकी ऐसी भी है जिसे गोली लगी है. उसे उचित उपचार के लिए एयरलिफ्ट करके ले जाया गया है.
“क्या आप चाहते हैं कि सुरक्षा बल के जवान मरें? यह संभव नहीं है. हर किसी की अपनी ज़िंदगी होती है. जब उन्होंने एक राजनीतिक दल ( बीजेपी ) के कार्यालय पर हमला किया और उसे आग लगा दी, तो लदाख पुलिस की चार महिला कांस्टेबल अंदर थीं. उन्हें बड़ी मुश्किल से बचाया जा सका . वहां तैनात सीआरपीएफ ( crpf) के जवानों को बुरी तरह पीटा गया और उनमें से एक अभी भी रीढ़ की हड्डी में चोट के साथ सेना के एक अस्पताल में भर्ती है।”
डॉ एसडी सिंह ने कहा , “सचिवालय पर हमला किया गया जहां ज़्यादातर कार्यालय हैं. क्या आप चाहते हैं कि कर्मचारी जलकर मर जाएँ? डॉ जामवाल का कहना था कि हिंसा कर रहे लोगों ने उनके पुलिस वाहन को भी निशाना बनाया और तोड़ डाला / उनका कहना था कि ऐसे में बचके निकलने में उनको भी मामूली चोटें आई.
उनका कहना था , “हिंसा का उद्देश्य अराजकता फैलाना था और अराजकता का मुकाबला करना हमारा मुख्य काम था.”
इस सवाल के जवाब में कि क्या इस तरह की गड़बड़ की कोई गुप्त जानकारी प्रशासन के पास पहले से थी श्री जामवाल का कहना था कि जानकारी होने के कारण ही तो फ़ोर्स का बन्दोबस्त किया गया था . उन्होंने सीआरपीएफ की पहले से तैनाती का बचाव करते हुए कहा कि खुफिया जानकारी थी कि वांगचुक समेत कुछ तत्व शांति भंग करने की कोशिश कर रहे थे.
लदाख पुलिस प्रमुख एस दी सिंह जामवाल का कहना था , “अगर उस दिन सीआरपीएफ वहां नहीं होती, तो मैं पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि पूरा शहर जलकर खाक हो जाता. ”
पुलिस प्रमुख के अनुसार, बुधवार को लगभग 6,000 लोगों ने उत्पात मचाया. उन्होंने कहा कि पुलिस कार्रवाई में घायल होने के कारण अस्पताल लाए कुछ युवको में तीन नेपाली मूल के भी हैं.
लदाख में एसडी सिंह की दूसरी तैनाती है . उन्होंने कहा ” मैं लदाख के लोगों की मानसिकता जानता हूं. मेरा मानना है कि यहां के लोगों ने हमेशा पुलिस और प्रशासन का समर्थन किया है. मैं जिनसे भी मिला, वे सभी इस बात से शर्मिंदा हैं. किसी ने भी इस तरह की हिंसा की उम्मीद नहीं की थी.”
उन्होंने कहा कि लेह में फिलहाल पूरी तरह कर्फ्यू नहीं हटाया जाएगा . आम लोगों की परेशानियों को समझते हुए अलग अलग स्थान पर कुछ कुछ देर के लिए कर्फ्यू में ढील देने की योजना पर विचार किया गया है .