छह सदस्यीय एसआईटी की खासियत यह है कि इसमें तीन महिला अधिकारी और एसआईटी को समयबद्ध तरीके से जांच पूरी करने के लिए कहा गया है .
चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को 10 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ( amneet p kumar) ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एफआईआर में आरोपियों के नाम “स्पष्ट रूप से” नहीं हैं और “दस्तावेज़ में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए ज़रूरी विवरण की कमी है.”
दिवंगत आईपीएस अधिकारी की पत्नी का इलज़ाम है कि 8 अक्टूबर को उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस को जो शिकायत दी थी उसमें दो आरोपियों – हरियाणा पुलिस के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर (dgp of haryana ) और रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजरानिया ( suprintendent of police of rohtak ) के नाम थे लेकिन एफआईआर में दर्ज नहीं किए गए हैं. अमनीत पी कुमार ने एफ आई आर में संशोधन करने की मांग की है . उनका कहना है कि एफआईआर के प्रारूप को न तो पूरी तरह से भरा गया है और न ही उसमें कानून की उपयुक्त धाराएं लगाई गई हैं .
इससे पहले चंडीगढ़ पुलिस ने 9 अक्टूबर को एक बयान में बताया था कि वाई पूरन कुमार के सुसाइड नोट में जिन सभी अधिकारियों के नाम हैं, उनके खिलाफ बीएनएस और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. चंडीगढ़ पुलिस ने यह भी बताया कि आगे की जांच जारी है.
एफआईआर पर सवाल :
चंडीगढ़ पुलिस ने इस केस में चंडीगढ़ सेक्टर 11 ( पश्चिम ) थाने में एफआई संख्या 156 /2025 दर्ज की थी जिसमें भारतीय न्याय संहिता की धारा 108/3 (5) और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) कानून की धारा 3 (1 ) (r) लगाई गई हैं जबकि अमनीत पी कुमार का कहना है कि इस केस में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) कानून की धारा 3(2)(v) लगाई जानी चाहिए.
अमनीत पी कुमार ने चण्डीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर (kanwardeep kaur ) को लिखे पत्र में दो मुख्य बिंदु उठाए हैं . उन्होंने लिखा है कि निर्धारित एफआईआर प्रारूप के अनुसार, सभी आरोपियों के नाम कॉलम संख्या सात में स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध होने चाहिए, जिसका पालन नहीं किया गया. इसलिए अनुरोध है कि एफआईआर में संशोधन किया जाए ताकि सभी आरोपियों के नाम उचित धाराओं में सटीक रूप से दर्शाए जा सकें.
अपने पत्र में, अमनीत ने यह भी रेखांकित किया कि एफआईआर में “एससी/एसटी अधिनियम की कमजोर धाराएं लगाई गई हैं उनमें बदलाव किया जाना चाहिए”. उनका कहना था कि इस मामले में लागू होने वाली उपयुक्त धारा एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संशोधित धारा 3(2)(v) है. सही कानूनी प्रावधानों को लागू करने के लिए इन धाराओं को तदनुसार जोड़ा जाना चाहिए.”
एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(2)(v) में कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति केवल इसलिए अपराध करता है क्योंकि पीड़ित अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) का सदस्य है, उसे उम्र कैद और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है .
इससे पहले अमनीत ने 8 अक्टूबर को चंडीगढ़ पुलिस को दी अपनी शिकायत में ज़िक्र किया था कि उनके पति की मृत्यु कोई साधारण आत्महत्या नहीं थी. उनके पति , जो अनुसूचित जाति के एक अधिकारी थे , की मौत उन शक्तिशाली और उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा व्यवस्थित रूप से प्रताड़ित किए जाने का सीधा परिणाम थी जिन्होंने अपने पदों का दुरुपयोग करके उन्हें “मानसिक रूप से प्रताड़ित” किया.
कैसी है एसआईटी :
चंडीगढ़ पुलिस के महानिदेशक सागरप्रीत हूडा (sagar preet hooda) ने कल ( 10 अक्टूबर 20 25 ) को आदेश जारी करके इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल ( एसआईटी ) का गठन किया . सागर प्रीत हूडा भारतीय पुलिस सेवा के एजीएमयूटी कैडर ( agmut cadre ) के वरिष्ठ अधिकारी हैं और कुछ ही महीने ही ट्रांसफर करके उन्हें चंडीगढ़ पुलिस का प्रमुख बनाया गया है. इससे पहले वे दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर के ओहदे पर थे. एक अनुभवी पुलिस अधिकारी सागर प्रीत का हरियाणा , पंजाब और चंडीगढ़ से पुराना नाता है . मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले सागर प्रीत चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं . आईपीएस अधिकारी के तौर पर अपने पुलिस करियर के शुरूआती दिनों में वे बतौर एएसपी भी तैनात रहे हैं.
प्रमुख के तौर पर एसआईटी का नेतृत्व कर रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पुष्पेन्द्र कुमार चंडीगढ़ के महानिरीक्षक हैं जोकि चंडीगढ़ पुलिस में , डीजीपी के बाद, सबसे बड़ा ओहदा है . पुष्पेन्द्र कुमार एजीएमयूटी कैडर के 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. मई 2025 में दिल्ली पुलिस से स्थानांतरित होकर आए पुष्पेन्द्र कुमार ने चंडीगढ़ में आईजी का ओहदा संभाला था . यही नहीं सागर प्रीत की तैनाती से पहले श्री कुमार चंडीगढ़ के डीजीपी पद का भी काम देख रहे थे .
एसआईटी के बाकी पांच सदस्यों में से सबसे अहम सदस्य कंवरदीप कौर ( kanwardeep kaur) हैं . कंवरदीप कौर भारतीय पुलिस सेवा के पंजाब कैडर के 2013 बैच की अफसर है. मार्च 2023 में उनको चंडीगढ़ का एसएसपी ( ssp chandigarh ) बनाया गया था. इससे पहले वे पंजाब के फिरोजपुर जिले की एसएसपी थीं. कंवरदीप मूल रूप से चंडीगढ़ के पास मोहाली की रहने वाली हैं और पंजाब की एक अनुभवी पुलिस अफसर मानी जाती हैं .
एसआईटी एक अन्य सदस्य महिला अधिकारी के एम प्रियंका ( ips k m priyanka ) है. के एम प्रियंका भारतीय पुलिस सेवा के एजीएमयूटी कैडर के 2021 बैच की अधिकारी हैं और वर्तमान में चण्डीगढ़ पुलिस में एसपी (सिटी ) के ओहदे पर हैं . इससे पहले वे दिल्ली पुलिस में तैनात थी. उनका तबादला भी कुछ महीने पहले पुष्पेन्द्र कुमार के साथ यहां हुआ था.
एसआईटी के अन्य तीन अधिकारी चंडीगढ़ पुलिस के ही प्रोन्नत अधिकारी हैं . इनमें चंडीगढ़ पुलिस सेवा के अफसर उपाधीक्षक चरणजीत सिंह विर्क सबसे वरिष्ठ हैं . श्री विर्क वर्तमान में चंडीगढ़ में डीएसपी ( ट्रैफिक ) के पद पर हैं . उनको केस का जांच अधिकारी बनाया गया है .
अन्य सदस्यों में चंडीगढ़ पुलिस सेवा की ही अधिकारी गुरजीत कौर ( gurjit kaur ) है जोकि चंडीगढ़ दक्षिण की सब डिवीजन अधिकारी ( एसडीपीओ ) हैं. छठवें सदस्य के तौर पर इंस्पेक्टर जसवीर सिंह राणा ( insp jasveer singh rana ) हैं जो कि चण्डीगढ़ सेक्टर 11 (वेस्ट ) थाने के एसएचओ हैं . एफआईआर इसी थाने में दर्ज हुई है .
क्या करेगी एस आई टी :
आदेश में कहा गया है कि विशेष जांच दल समयबद्ध तरीके से मामले के तमाम पहलुओं की पड़ताल करेगा और अंतिम रिपोर्ट देने से पहले तमाम साक्ष्य इकट्ठे करेगा , गवाहों के बयान दर्ज करेगा , विशेषज्ञों से क़ानूनी सलाह आदि लेगा . इसके दल में कुछ विशेषज्ञों या अधिकारियों को भी शामिल किया जा सकता है .