हिमाचल पुलिस के आदेश पर विवाद , एसएचओ और डीएसपी के मीडिया से बात करने पर रोक

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हिमाचल प्रदेश पुलिस (फाइल फोटो )
हिमाचल प्रदेश पुलिस (फाइल फोटो )
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में जारी उस आदेश पर विवाद होने लगा है जिसमें कहा गया है कि  जिले के पुलिस अधीक्षक और रेंज के  उप महानिरीक्षक से नीचे के रैंक के पुलिस अधिकारी  मीडिया से बातचीत नहीं करेंगे . इसे लेकर स्थानीय मीडियाकर्मियों ने आलोचना की और कहा कि यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है. वहीं अधिकारी यह भी कह रहे हैं थाना प्रभारी और उपाधीक्षक स्तर के अधिकारियों की मीडियाकर्मियों को जानकारी  देने पर पूरी तरह रोक नहीं है लेकिन इसे नियंत्रित किया गया है .

हिमाचल प्रदेश में  पुलिस महानिदेशक कार्यालय से गुरुवार देर शाम  जारी किए गए एक आदेश में  कहा गया है कि उप मंडल  पुलिस अधिकारियों (sub divisional police officer-SDPO) और स्टेशन हाउस अधिकारियों (station house officers-SHO) को कुछ मौकों पर विभिन्न मुद्दों पर मीडिया से बातचीत करते, सार्वजनिक बयान देते और अपराध, जांच और पुलिसिंग से संबंधित अन्य मामलों पर टिप्पणी करते देखा गया है.  आदेश में इसमें स्पष्ट किया गया है कि “केवल जिले के पुलिस अधीक्षक और रेंज के उप महानिरीक्षक ही अपराध, कानून और व्यवस्था, जांच, पुलिसिंग नीतियों और अन्य आधिकारिक मुद्दों से संबंधित मामलों पर औपचारिक रूप से मीडिया से बातचीत करने के लिए अधिकृत हैं, और वह भी जहां भी आवश्यक हो, पुलिस मुख्यालय की पूर्व अनुमति से.

निर्देशों में आगे कहा गया है कि “अन्य सभी अधिकारी, जिनमें एसडीपीओ  (sdpo) और एसएचओ (sho ) शामिल हैं, अपनी आधिकारिक क्षमता में मीडिया को संबोधित नहीं करेंगे, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया को बयान या टिप्पणी जारी नहीं करेंगे, या आधिकारिक मामलों पर साक्षात्कार, ब्रीफिंग या प्रतिक्रिया नहीं देंगे, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से लिखित रूप में अधिकृत न किया जाए.”

आदेश में कहा गया है कि ये निर्देश केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 7 के तहत जारी किए गए हैं, जो सरकारी कर्मचारियों को सरकार की पूर्व अनुमति के बिना मीडिया या जनता को जानकारी देने से रोकता है.आदेश में हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 29 का भी ज़िक्र  किया गया है, जो पुलिस अधिकारियों द्वारा अनुशासन, वैध आदेशों का पालन और निर्धारित आचरण का पालन अनिवार्य करता है. इसमें पंजाब पुलिस नियम 1934 का हवाला दिया गया है जिसके वे उपनियम  16.1 और 16.2  हिमाचल प्रदेश पर लागू होते हैं जो अनुशासन, अधीनस्थता और वैध आदेशों के अनुपालन पर जोर देते हैं.

विवाद क्या है :
इस बीच मीडियाकर्मियों ने इस आदेश को  लोकतंत्र, पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना के खिलाफ बताया . उन्होंने  सवाल किया कि क्या किसी अधिकारी के लिए आपातकाल के समय, जब कोई बड़ी घटना होती है, क्या किसी एक अधिकारी के लिए  एक साथ बहुत से मीडियाकर्मियों के  फोन कॉल लेना या जानकारी देना संभव होगा ..?

रोक नहीं नियंत्रण :
वहीं दूसरी तरफ आदेश के पीछे की मंशा को  साफ करते हुए एक वरिष्ठ  पुलिस अधिकारी ने कहा कि आदेश  स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी ) के तहत एक तरह का  रूटीन प्रशासनिक  कदम के तौर पर जारी किया गया था और इसका मतलब डीएसपी और एसएचओ का  मीडिया से बातचीत पर पूरी तरह से बैन नहीं है. वह  एसपी  और दूसरे वरिष्ठ  अधिकारियों को पहले से जानकारी देने के बाद ऐसा कर सकते हैं.

इस अधिकारी का यह भी कहना था कि सामान्य परिस्थितियों में डीएसपी और एसएचओ  को कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर रोजाना मीडिया से बात करने की इजाज़त है और नई एसओपी  का मकसद आधिकारिक बातचीत में एकरूपता और अनुशासन बनाए रखना है. इस  अधिकारी का कहना था कि पुलिस विभाग की मीडिया के साथ बातचीत में निरंतरता बनाए रखने के लिए ऐसे आदेश समय-समय पर जारी किए जाते हैं.