सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना के कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे पर हमला करने के आरोपी पंजाब पुलिस अधिकारियों के आचरण की निंदा की हैऔर इस घटना की केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( central bureau of investigation) से जांच करवाने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (punjab and haryana high court ) के आदेश के खिलाफ पुलिस अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी.
सुप्रीम कोर्ट की , जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा वाली , पीठ ने उच्च न्यायालय ( high court ) के 16 जुलाई के सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ पुलिस अधिकारियों की याचिका खारिज करते हुए सोमवार को दिए आदेश में कहा, “सेना के लोगों का सम्मान करें. आप अपने घर में चैन की नींद सो रहे हैं क्योंकि वह व्यक्ति माइनस 40 डिग्री तापमान में सीमा पर तैनात है… वे आपकी रक्षा करने जाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे हुए वापस आते हैं.”
पीठ ने हैरानी ज़ाहिर करते हुए कहा, “जब युद्ध चल रहा है, तब आप इन सैन्य अधिकारियों का महिमामंडन करते हैं… आपके एसएसपी कहते हैं कि अग्रिम ज़मानत (याचिका) खारिज होने के बावजूद मैं उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पा रहा हूँ क्योंकि वे पुलिस अधिकारी हैं… एफआईआर दर्ज करने में आठ दिन की देरी. ”
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को “तर्कसंगत” बताते हुए कहा, “इस तरह की अराजकता स्वीकार्य नहीं है. कोई कानूनी दलील नहीं, कुछ भी नहीं… आपकी ज़मानत खारिज कर दी गई, वे खुलेआम घूम रहे हैं और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है… सीबीआई को इसकी जांच करने दीजिए,”
पुलिस अधिकारियों के वकील ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के आदेश ने ट्रायल कोर्ट में मुकदमा शुरू होने से पहले ही उन्हें दोषी ठहरा दिया.
यह घटना 13 और 14 मार्च की रात की है जब कर्नल पुष्पिंदर सिंह ( col pushpinder singh bath) और उनका बेटा पटियाला में सड़क किनारे एक ढाबे के पास खाना खा रहे थे. उनकी कार वहां पार्किंग में थी . तभी वहां पंजाब पुलिस के कर्मी पहुंचे जो अपने वाहन उस जगह पर खड़ा करना चाहते थे . इसी बात पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था . कर्नल बाठ ने आरोप लगाया है कि पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर रैंक के चार अधिकारियों और उनके हथियारबंद अधीनस्थों ने बिना किसी उकसावे के उन पर और उनके बेटे पर हमला किया, उनका पहचान पत्र और मोबाइल फोन छीन लिया और उन्हें “फर्जी मुठभेड़” की धमकी दी – यह सब सार्वजनिक रूप से और सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हुआ.
3 अप्रैल को, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ पुलिस को जांच सौंपी थी और उन्हें चार महीने में इसे पूरा करने का निर्देश दिया था. इस मामले की जांच में ढिलाई बरतने पर चंडीगढ़ पुलिस को फटकार लगाने के दो दिन बाद 16 जुलाई को उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी. जांच चंडीगढ़ पुलिस में तैनात पुलिस अधीक्षक आईपीएस अधिकारी मंजीत श्योराण के नेतृत्व में गठित विशेष टीम कर रही थी. कर्नल बाठ ने आरोप लगाया था यह टीम स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में “विफल” रही.
इससे पहले इस मामले में पंजाब पुलिस के अधिकारियों के रवैये को लेकर भी सवाल उठे थे . पहले तो पटियाला पुलिस अभियुक्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामले की एफआईआर करने में ही कतरा रही थी. इसके बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ फ़ौरन की जाने वाली जरुरी कार्रवाई भी नहीं की गई. उस वक्त डॉ नानक सिंह पटियाला के एसएसपी थे. कुछ दिन बाद उनका इस जिले से तबादला कर दिया गया था .
एक सेवारत सैन्य अधिकारी के साथ हुई इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद भी तब गौर किया गया जब बात सेना मुख्यालय तक पहुंची . इसके लिए भी कर्नल बाठ के परिवार को पंजाव के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से गुहार लगानी पड़ी .