असीम मुनीर को पाकिस्तान का सबसे ऊंचा  फौजी ओहदा  ‘ फील्ड मार्शल ‘ दिया गया

5
पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर
पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तान  सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ( gen asim munir)   को अपने देश के सबसे ऊँचे फौजी ओहदे ‘ फील्ड मार्शल ‘ से नवाज़ा है . असीम मुनीर को मंगलवार को फील्ड मार्शल के पद पर तरक्की देने का ऐलान किया गया . ऐलान में स्पष्ट किया गया है कि असीम मुनीर को यह ओहदा भारत – पाकिस्तान के बीच हुए ताज़ा संघर्ष के दौरान उनकी भूमिका के लिए दिया गया है . पाकिस्तान  के इतिहास में दूसरी दफा हुआ  है जब किसी सैन्य अधिकारी को इस पद पर पदोन्नत किया गया हो .

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक़ पाकिस्तान  के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ  ( prime minister of pakistan )  की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक के बाद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की पदवी देने के  फैसले का ऐलान किया गया .  इसमें कहा गया है कि  भारत के ऑपरेशन सिन्दूर के जवाब में उन्होंने  ऑपरेशन ‘ बनयान-उम-मर्सूस चलाया और उसका साहसपूर्ण नेतृत्व करते हुए कामयाब किया . भारत ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 22 अप्रैल 2025 पर्यटकों के नरसंहार की घटना के जवाब में कार्रवाई करते हुए 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था जिसके  पहले ही दिन सेना ने  , बिना  अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार किए ,  नौ स्थानों पर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया व  उनको नेस्तनाबूद  किया गया था.

असीम मुनीर,  1959 के बाद ,  इस पद पर आसीन होने वाले पहले पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी हैं. 1959 में पाकिस्तान  के पहले सैन्य तानाशाह अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल घोषित किया था. इस पदोन्नति से मुनीर की सत्ता पर पकड़ मजबूत होगी  की  क्योंकि सेना पहले से ही विदेश और सुरक्षा नीतियों को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभा रही है. बल्कि यह भी कहा जाता है कि कई बरसों से सेना ही पाकिस्तान पर राज कर रही है . यही कारण है जो जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल का ओहदा देना भारत में हास्यास्पद माना जा रहा है. भारतीय पक्ष का मानना है कि ताज़ा घटना क्रम में पाकिस्तान सेना  की  छीछालेदर हुई है और अपनी नाकामी को छिपाने के लिए पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने खुद को ही सम्मान दे डाला . इसे ठीक उसी तरह से देखा जा रहा है जैसा कि पाकिस्तान के तानाशाह शासक  जनरल अयूब  खान ने किया था. पाकिस्तान के दूसरे राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने 11 साल , 1958 से 1969 तक ,  एक तानाशाह के तौर पर शासन किया और खुद को ही फील्ड मार्शल की पदवी दी थी.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने उर्दू में जारी एक बयान में कहा, “पाकिस्तान सरकार ने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मार्का-ए-हक तथा ऑपरेशन बनयान-उम-मर्सूस के दौरान उच्च रणनीति और साहसी नेतृत्व के आधार पर दुश्मन को हराने के लिए जनरल सैयद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत करने को मंजूरी दे दी है. ” बयान में कहा गया है कि मुनीर ने “अनुकरणीय साहस और दृढ़ संकल्प” के साथ पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व किया और “सशस्त्र बलों की युद्ध रणनीति और प्रयासों का पूर्ण समन्वय किया”. कैबिनेट ने मुनीर को उनके “सैन्य नेतृत्व, साहस और बहादुरी, पाकिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने और दुश्मन के खिलाफ साहसी बचाव” के सम्मान में पदोन्नत करने के शरीफ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

असीम  मुनीर को नवंबर 2022 में पाकिस्तान सेना का प्रमुख नियुक्त किया गया था. दिलचस्प है कि उसके तीन दिन बाद ही उनको रिटायर होना था क्योंकि उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा होने वाला था .   हालांकि, सरकार ने 2024 में उनका कार्यकाल पांच साल के लिए बढ़ा दिया और अब उनके नवंबर 2027 तक सेवा देने की उम्मीद है.

पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा की तरफ से  जारी एक बयान में असीम मुनीर के हवाले से कहा गया कि उन्होंने यह सम्मान सशस्त्र बलों को समर्पित किया है. मुनीर ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कैबिनेट को उन पर भरोसा ज़ाहिर करने के लिए धन्यवाद भी दिया.

पाकिस्तान के मीडिया के मुताबिक़ , इससे पहले शाहबाज़ शरीफ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात की और मुनीर को पदोन्नत करने के फैसले के बारे में उन्हें विश्वास में लिया.  राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में जरदारी के हवाले से कहा गया: “जनरल सैयद असीम मुनीर के नेतृत्व में सशस्त्र बलों ने सफलतापूर्वक मातृभूमि की रक्षा की है.” उन्होंने कहा कि मुनीर पाकिस्तान की रक्षा करने के लिए पदोन्नति के हकदार थे.

भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के प्रतिशोध में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में  आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाते हुए 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. इसके बाद चार दिनों तक जोरदार हमले और जवाबी हमले हुए, जिसमें दोनों पक्षों ने ड्रोन, मिसाइल और अन्य लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल किया और एक व्यापक युद्ध की आशंका जताई. दोनों पक्षों के बीच 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी.