ऑपरेशन सिन्दूर में शामिल विंग कमांडर निकिता पाण्डेय को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

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भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर निकिता पाण्डेय को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली
भारत की सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना की  विंग कमांडर निकिता पाण्डेय को फिलहाल सेवा से हटाने पर रोक लगा दी है . वायु सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी  (short service commission officer ) विंग कमांडर निकिता पाण्डेय पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिन्दूर और उससे पहले ऑपरेशन बालाकोट में शामिल रही हैं . सुप्रीम  कोर्ट ने कहा है कि सशस्त्र बलों के अधिकारियों के बीच इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि 10 साल की सेवा के बाद उन्हें सेवा में शामिल किया जाएगा या नहीं, यह ठीक नहीं है और उचित नीति लाकर इसे दूर किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार और भारतीय वायु सेना को विंग कमांडर निकिता पाण्डेय के मामले में  सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को होने  वाली अगली सुनवाई में जवाब देना होगा.

सुप्रीम कोर्ट की  न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ उन विंग कमांडर निकेता पांडे की याचिका पर विचार कर रही थी  , जो 2011 में एसएससी  ( ssc ) के ज़रिए  सेना में भर्ती  हुई थीं . मेरिट के आधार पर उन्हें 10 साल की सेवा पूरी करने पर 19 जून, 2025 तक सेवा विस्तार मिला था.  उन्होंने अपनी सेवा मुक्ति  पर तब तक रोक लगाने की मांग की है  जब तक कि विशेष चयन बोर्ड  ( special selection board ) उनके स्थायी कमीशन के मामले पर विचार नहीं कर लेता.

निकिता पाण्डेय  अपनी सेवामुक्ति  पर रोक पाने वाली भारतीय वायुसेना की पहली शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले, 9 मई को, सेना की 50 से अधिक ऐसी ही  महिला एसएससी अधिकारियों की  सेवा मुक्ति पर रोक लगाते हुए इसी तरह के आदेश पारित किए थे, जिन्हें स्थायी कमीशन के लिए विचार किया जाना था.

जस्टिस सूर्यकांत  और जस्टिस एन कोटेश्वर  सिंह की पीठ ने कहा कि ये अधिकारी राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण संपत्ति हैं और आश्चर्य जताया कि केंद्र  सरकार ऐसी नीति क्यों नहीं लाती  जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि एसएससी के माध्यम से चयनित सभी अधिकारियों को आवश्यक मानदंडों को पूरा करने के अधीन स्थायी कमीशन मिले.

साढ़े तेरह साल की सेवा में  प्रमोशन पाते-पाते निकिता पाण्डेय  विंग कमांडर के पद  तक पहुंचीं. उनकी तैनाती फिलहाल वायु सेना  में फाइटर कंट्रोलर की है. निकिता इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) में विशेषज्ञ की भूमिका में हैं. यही नहीं वे देश की फाइटर कंट्रोलर्स की मेरिट लिस्ट में दूसरे नम्बर पर हैं .

हालांकि सुप्रीम कोर्ट से ये फैसला  आ चुका है कि महिलाओं को तीनों सशस्त्र बलों में स्थायी  कमीशन मिलेगा. यानि  60 साल की उम्र में  रिटायर होने तक  वह सेना  में सेवा कर पाएंगी. विंग कमांडर निकिता पाण्डेय  का केस यह  था कि उनको चयन बोर्ड की तरफ से  स्थाई  कमीशन देने से मना किया जा चुका था. लिहाज़ा शार्ट सर्विस कमीशन के नियमों के तहत उनको एयरफोर्स से रिटायर होना था.

जस्टिस सूर्यकांत ने एडिशनल सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से सफाई मांगी तो उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता निकिता पाण्डेय  को सेलेक्शन बोर्ड ने अयोग्य पाया था. उन्होंने एयरफोर्स से कोई रिप्रजेंटेशन दिए बिना सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अब एक और सेलेक्शन बोर्ड उनका  केस देखेगा.

निकिता ने लिग के आधार पर भेदभाव  का इलज़ाम लगाया :  

विंग कमांडर निकिता पांडे ने वायु सेना में काम करते  हुए सुप्रीम कोर्ट में अपने लिए स्थाई  कमीशन के लिए लड़ाई जारी रखी. वायु सेना में महिलाएं 1992 से भर्ती हो रही हैं. लेकिन उनके लिए आज भी शार्ट सर्विस कमीशन का ही विकल्प है. पुरुषों को परमानेंट कमीशन मिल जाता है. निकिता ने भेदभाव का आरोप लगाया.