
स्मारक पर वरिष्ठ सैन्य और असैन्य गणमान्य व्यक्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित, शहीद सैनिकों की याद में 545 दीप जलाए गए और वीर नारियों और उनके परिजनों का सम्मान किया गया. सेना ने समावेशिता के एक मार्मिक संकेत के रूप में भारत और नेपाल के सभी 545 शहीदों के परिवारों से संपर्क किया.
सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इंडस व्यू प्वाइंट, ई-श्रद्धांजलि पोर्टल और क्यूआर-आधारित ऑडियो गेटवे सहित विरासत परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इस दौरान क्षमता प्रदर्शन में गतिशीलता, निगरानी व मारक क्षमता में अत्याधुनिक स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया, जो आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में सेना के कोशिशों को दिखता है . सांस्कृतिक प्रदर्शन, धार्मिक प्रार्थनाएं और इंटरैक्टिव आउटरीच कार्यक्रमों ने राष्ट्र की अपने सैनिकों के प्रति अटूट कृतज्ञता तथा गहरे भावनात्मक जुड़ाव को प्रतिबिंबित किया.
कल (25 जुलाई 2025) यहां युद्ध स्मरण एवं शौर्य संध्या का आयोजन किया गया .
स्मरण कार्यक्रम की शुरुआत द्रास के लामोचेन व्यू प्वाइंट पर बैटल ब्रीफिंग और एक समारोह के साथ हुई. पूर्व सैनिकों और सेवारत कार्मिकों ने उन्हीं चोटियों पर अपने अनुभव सुनाए, जहां पर करगिल का युद्ध लड़ा गया था. इसके बाद एक भावपूर्ण ऑडियो वीडियो के माध्यम से बलिदान, साहस और लचीलेपन की कहानियों को जीवित कर दिया गया.
समारोह के बाद, केंद्रीय मंत्रियों डॉ. मनसुख मांडविया ने संजय सेठ की उपस्थिति में एक विशेष कार्यक्रम में करगिल के नायकों के निकटतम परिजनों को सम्मानित किया गया . गणमान्य व्यक्ति विजय भोज में शामिल हुए .इस अवसर पर सैनिकों, एनसीसी कैडेटों व आर्मी गुडविल पब्लिक स्कूलों के विद्यार्थियों द्वारा उत्साहपूर्ण क्षेत्रीय एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई जिससे इस अवसर पर देशभक्ति का जोश और भी बढ़ गया.
करगिल युद्ध स्मारक पर शुक्रवार की शाम शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि के रूप में ‘शौर्य संध्या’ कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसकी शुरुआत सेना के बैण्ड द्वारा प्रस्तुत ‘गौरव गाथा’ से हुई. इसमें संगीत के माध्यम से वीरता की गाथाएं सुनाई गईं. सभी प्रमुख धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच धार्मिक गुरुओं ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है. कुल 545 दीप जलाए गए, जिनमें से प्रत्येक दीपक ऑपरेशन विजय में अपने प्राणों की आहुति देने वाले एक सैनिक का प्रतीक था.
इस दौरान सबसे हृदयस्पर्शी क्षणों में से एक सम्मान समारोह था, जहां उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ( lt gen pratik sharma ) ने नौ वीर सैनिकों के परिजनों को सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में 400 से अधिक प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया, जिनमें असैन्य और सैन्य गणमान्य व्यक्ति, वीर नारियां, वीर माताएं तथा स्थानीय नागरिक शामिल थे, जो सामूहिक आभार व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए थे.
करगिल विजय दिवस :
आर्मी चीफ जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने में राष्ट्र का नेतृत्व किया. उनके साथ वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, वीरता पुरस्कार विजेता, वीर नारियां तथा शहीदों के परिवार भी शामिल हुए. “लास्ट पोस्ट” के दिल को छू लेने वाले स्वर घाटी में गूंज रहे थे, जिससे शक्तिशाली भावनाएं और स्मृतियां जागृत हो रही थीं.
जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अपने मुख्य भाषण में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके अटूट साहस एवं बलिदान की तारीफ़ की . उन्होंने 1999 में भारतीय सेना की ऐतिहासिक जीत और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राष्ट्रीय संप्रभुता की दृढ़ रक्षा पर विचार व्यक्त किए.
जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसावे की कार्रवाई का निर्णायक जवाब देगा. उन्होंने नागरिकों को नुकसान पहुंचाए बिना आतंकवादी ढांचे के खिलाफ सेना के सफल व सटीक अभियानों का ज़िक्र किया. सेना प्रमुख ने ‘रुद्र’ सभी शस्त्र ब्रिगेड, ‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियन, ‘शक्तिबाण’ आर्टिलरी रेजिमेंट और ‘दिव्यास्त्र’ बैटरियां, ड्रोन से सुसज्जित पैदल सेना बटालियन तथा स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों के माध्यम से सेना को भविष्य के लिए तैयार बल में बदलने की रूपरेखा प्रस्तुत की. उन्होंने राष्ट्रीय निर्माण में सेना की भूमिका की भी सराहना की, विशेष रूप से सीमावर्ती बुनियादी ढांचे, पर्यटन, अर्थव्यवस्था और पूर्व सैनिक कल्याण में तथा 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में सैनिकों की स्थायी भूमिका की पुष्टि की. जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने युवाओं से ईमानदारी और समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा करने का आह्वान करते हुए भारत की एकता, संप्रभुता एवं सम्मान की रक्षा के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ अपने भाषण का समापन किया.